Dussehra Kyu Manaya Jata Hai | दशहरा क्यों मनाया जाता है?

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

जानें दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है


दशहरा क्यों मनाया जाता है ? | Dussehra Kyu Manaya Jata Hai

विजय के प्रतीक विजयादशमी को दशहरा नाम से भी जाना जाता है, दशहरा, 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के समापन का प्रतीक है। हिंदु कैलेंडर के अनुसार, दशहरे का त्यौहार हिंदू मास आश्विन के दसवें दिन आता है। यह प्रमुख रूप से सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। इस साल यह त्यौहार 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के त्यौहार के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और दूसरा, देवी दुर्गा ने 10 दिनों तक चले युद्ध में राक्षस महिषासुर का वध किया था।

भगवान राम को दिए गए 14 वर्ष के वनवास के दौरान लंका के राजा रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था। तब भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमानजी और वानरों की सेना ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए युद्ध किया था। भगवान राम और रावण के बीच कई दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। भगवान राम ने 9 दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की और 10वें दिन रावण का वध कर दिया।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था और रावण के बढ़ते अत्याचारों और अहंकार के कारण भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया और रावण का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। दशहरा का त्यौहार रावण पर विजय की याद में मनाया जाता है। इस त्यौहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

दशहरा की कहानी क्या है | Dussehra Story

विजयदशमी से जुड़ी यह कथाएं इस बात का प्रतीक हैं कि अधर्म पर धर्म की जीत निश्चित हैं, असत्य बलवान ज़रूर हो सकता है लेकिन विजयी नहीं। सत्य की जीत अवश्य होगी और भगवान जी अपनी कृपा से सृष्टि का कल्याण करते रहेंगे। हम आशा करेंगे कि आपके जीवन में से भी असत्य और नकारात्मकता का अंधकार दूर हो, और आप हमेशा धर्म के मार्ग पर चलते रहें।

पहली कथा - इस दिन एक महान घटना घटित हुई थी, जिसमें देवी दुर्गा ने महिषासुर जैसे क्रूर और पापी राक्षस का अंत किया। 9 दिनों तक एक शक्तिशाली राक्षस के विरुद्ध युद्ध करके, देवी जी ने समस्त संसार का कल्याण किया और देवों को भी इस असुर के अत्याचारों से मुक्त किया।

आज भी देवी दुर्गा और श्रीराम जी की विजय को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी है, जो कि सभी को सत्य का साथ देने के लिए प्रेरित करता है।

दूसरी कथा - जहां दशहरा शब्द दशानन की हार को दर्शाता है, वहीं विजयदशमी देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध को चिन्हित करती है। दोनों संघर्ष भले ही अलग-अलग बुरी शक्तियों को पराजित करने के लिए किए गए हों, लेकिन इनका उद्देश्य एक ही था, पापों के अंधकार को दूर करके, आशा और सत्य की लौ को प्रज्वलित करना। दोनों ही अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय घटनाएं हैं, जो आज भी समस्त मानव जाति को सत्य और धर्म का मार्ग दिखाती हैं।

लंका में श्रीराम जी और रावण की सेना के बीच घमासान युद्ध चल रहा था। धीरे-धीरे रावण की सेना राम जी की सेना के सामने कमज़ोर पड़ने लगी थी। इस युद्ध में महान योद्धा माने जाने वाले रावण के पुत्र और भाईयों को भी रावण के दुस्साहस के परिणामस्वरूप अपने प्राण गंवाने पड़े।

राम जी की सेना को भी इस युद्ध में काफी क्षति पहुंची, और कई वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। लेकिन इस आहुति ने आखिरकार धर्म की अग्नि को जलाए रखने में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया।

जब एक-एक करके रावण के सभी योद्धाओं ने रणभूमि में अपने घुटने टेक दिए, तब रावण, श्रीराम से युद्ध करने के लिए स्वयं युद्धभूमि में उतरा। श्रीराम और रावण, दोनों की तरफ से अस्त्रों की बौछार होने लगी। श्रीराम के पराक्रम के सामने, रावण के सभी वार, अस्त्र और चालें कमज़ोर पड़ने लगीं, लेकिन रावण भी एक महान योद्धा था, उसे हराना इतना आसान नहीं था। राम जी की वीरता को विभीषण के ज्ञान का साथ मिला, जिसने रावण के वध में बहुत बड़ा योगदान दिया। वह विभीषण ही थे, जिन्होंने अपने भ्रातृप्रेम के आगे सत्य और धर्म का साथ चुना और राम जी को बताया कि रावण की नाभि में अमृतकुंड है, अगर राम जी वहां बाण मारे, तो वह सूख जाएगा और रावण की पराजय हो जाएगी।

राम जी ने ऐसा ही किया और रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध कर दिया।

इस युद्ध में राम जी की सबसे बड़ी शक्ति थी उनकी सच्चाई, उनके सिद्धांत और उनकी धर्मनिष्ठा, वहीं असुरराज होने के बावजूद रावण की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी, उसका अहंकार और उसके पाप। आज भी इस दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है, यह पुतला उसके द्वारा किए गए अनाचारों और अधर्म का प्रतीक होता है।

Dussehra Kyu Manaya Jata Hai: FAQs

प्रश्न: दशहरा का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

उत्तर: हिंदू धर्म में दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। तब से हर साल लोग आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा मनाते हैं।

प्रश्न: दशहरा का इतिहास क्या है?

उत्तर: रामायण के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन रावण नामक राक्षस का वध किया था और अपनी पत्नी सीता को लंका से मुक्त कराया था। रावण दस सिर वाला एक अत्याचारी राक्षस था, जिसने सीता का अपहरण कर लिया था। भगवान राम ने रावण को मारकर धर्म की स्थापना की और सत्य की जीत सुनिश्चित की।

प्रश्न: दशहरा का असली नाम क्या है?

दशहरा का मूल नाम विजयदशमी है। इसका अर्थ होता है "विजय का दसवां दिन"। यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।

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