image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

बसंत पंचमी 2025

बसंत पंचमी का पर्व, सरस्वती माता की पूजा और बसंत ऋतु का स्वागत। जानें इस दिन की पूजा विधि, महत्व और तिथि।

बसंत पंचमी के बारे में

बसंत पंचमी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है, जो ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी हैं। इसे शिक्षा और कला के आरंभ का शुभ दिन माना जाता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना, पीले फूल चढ़ाना और मीठे पकवान, विशेष रूप से केसरयुक्त भोजन बनाना शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जिससे प्रकृति में नई ऊर्जा और उमंग का संचार होता है।

1.बसंत पंचमी कब मनाया जाता है2.वर्ष 2025 में बसंत पंचमी कब है3.बसंत पंचमी 2025 के शुभ मुहूर्त के बारे में4.इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त5.बसन्त पंचमी क्या है?6.बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती है7.बसन्त पंचमी का महत्व8.बसंत पंचमी पर विद्यार्थी माँ सरस्वती को प्रसन्न कैसे करें?9.बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी अवश्य करें ये काम10.बसंत पंचमी पूजा विधि11.सरस्वती पूजा में ध्यान देने वाली बातें12.बसंत पंचमी पर किन मन्त्रों और आरती से होगी आपकी पूजा सफल?13.सरस्वती माता के मंत्र14.सरस्वती वंदना15.मां सरस्वती जी की आरती16.बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त क्यों कहते हैं?17.बसंत पंचमी पर और क्या करना होता है शुभ?18.बसंत पंचमी से मिलने वाले 5 लाभ19.सावधान! बसंत पंचमी पर न करें ये 5 गलतियां20.इन 6 कार्यों से मिलेगा माँ सरस्वती का आशीर्वाद

बसंत पंचमी कब मनाया जाता है

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह किसी भी बच्चे की शिक्षा प्रारम्भ करने के लिए अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है और इस दिन बच्चों को भेंट स्वरूप पुस्तकें, कलम या शिक्षा से जुड़ी अन्य वस्तुएं भी दी जाती है।

वर्ष 2025 में बसंत पंचमी कब है

  • इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 02 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा।
  • बसंती पंचमी तिथि का प्रारम्भ 02 फरवरी, रविवार को सुबह 09 बजकर 14 मिनट से होगा
  • यह तिथि 03 फरवरी, सोमवार को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।

दोस्तों! वैसे तो बसंत पंचमी का पूरा दिन ही माँ शारदा की पूजा के लिए उपयुक्त होता है। लेकिन पूर्वाह्न के समय में की गई सरस्वती पूजा को श्रेष्ठ फलदायक माना जाता है।

बसंत पंचमी 2025 के शुभ मुहूर्त के बारे में

  • बसंत पंचमी - 02 फरवरी 2025, रविवार
  • पञ्चमी तिथि प्रारम्भ - 02 फरवरी 2025, रविवार को 09:14 AM से
  • पञ्चमी तिथि समाप्त - 03 फरवरी 2025, सोमवार को 06:52 AM तक
  • वसन्त पञ्चमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - 09:14 AM से 12:12 PM
  • वसन्त पञ्चमी मध्याह्न का क्षण - 12:12 PM

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

  • प्रातः सन्ध्या - 05:23 ए एम से 06:41 ए एम तक
  • अभिजित मुहूर्त - 11:50 ए एम से 12:34 पी एम तक
  • विजय मुहूर्त - 02:02 पी एम से 02:46 पी एम तक
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:41 पी एम से 06:07 पी एम तक
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:43 पी एम से 07:01 पी एम तक
  • अमृत काल - 08:24 पी एम से 09:53 पी एम तक
  • निशिता मुहूर्त - 11:46 पी एम से 12:37 ए एम, तक (03 फरवरी)
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:41 ए एम से 12:52 ए एम, तक (03 फरवरी)
  • रवि योग - 12:52 ए एम, फरवरी 03 से 06:40 ए एम, तक (03 फरवरी)

तो यह है बसंत पंचमी के दिन शुभ समय की जानकारी

बसन्त पंचमी का त्यौहार भारत के लगभग हर हिस्से में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसलिए इस ख़ास लेख में अब हम आपको बताएंगे कि-

  • बसन्त पंचमी क्या है?
  • बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती है?
  • इस पंचमी तिथि का क्या महत्व है?

बसन्त पंचमी क्या है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसन्त पंचमी मनाई जाती है। बसन्त पंचमी के दिन वाणी, ज्ञान, कला और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। इस पर्व को श्रीपंचमी के रूप में भी मनाया जाता है।

बसन्त पंचमी क्यों मनाई जाती है

मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की। लेकिन इस रचना के बाद भी हर तरफ मौन छाया रहता था। तब भगवान विष्णु की अनुमति से उन्होंने अपने कमंडल के जल से मां सरस्वती की उत्पत्ति की। ब्रह्मा जी ने सरस्वती से वीणा बजाने को कहा, और उनकी वीणा के नाद से पूरे संसार में चेतना आई। तभी से बसन्त पंचमी पर मां सरस्वती के पूजन की परंपरा है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कामदेव को भगवान शिव ने उनके अनुचित कार्यों के परिणामस्वरूप भस्म कर दिया था, किन्तु उनकी पत्नी रति की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी कामदेव को पुनः जीवनदान दिया था। यह बसंत पंचमी का ही दिन था।

बसन्त पंचमी का महत्व

  • माँ सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान, और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। बसन्त पंचमी का दिन विद्या आरम्भ या किसी भी कला के अभ्यास के लिये काफी शुभ माना जाता है। इसलिए आज के दिन माता-पिता अपने बच्चे को मां सरस्वती के आशीर्वाद के साथ विद्या आरम्भ कराते हैं।
  • बसन्त पंचमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के संपन्न किया जा सकता है।
  • इस पर्व के बाद बसन्त ऋतु में फसलें पकने लगती हैं, और सरसों के पीले फूल भी खिलने लगते हैं। इसलिए बसन्त पंचमी पर्व पर पीले रंग के कपड़े पहनना और पीला भोजन करना शुभ माना जाता है।
  • ग्रंथों के अनुसार बसन्त का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है।

आप भी इस पावन पर्व पर 'मां सरस्वती' की आराधना करें, आपको अपार ज्ञान प्राप्त हो, धन-धान्य में समृद्धि मिले।

बसंत पंचमी पर विद्यार्थी माँ सरस्वती को प्रसन्न कैसे करें?

हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 02 फरवरी 2025, रविवार को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित होता है। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी के दिन स्कूलों में भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि व ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थियों को माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए-

बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी अवश्य करें ये काम

  • बसंत पंचमी के दिन किसी ज़रूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं दान करना चाहिए।
  • इस दिन पुस्तकों की पूजा कर उन पर मोरपंख रखना चाहिए, माना जाता है कि इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  • बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए, साथ ही मां सरस्वती की पूजा पीले और सफेद रंग के फूलों के साथ करनी चाहिए।
  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। इससे माता प्रसन्न होती हैं।
  • मां सरस्वती को बूंदी बेहद पसंद होती है, ऐसे में देवी मां को बूंदी का प्रसाद चढ़ाने से ज्ञान प्राप्ति में आने वाली बाधा दूर होती है।
  • सरस्वती पूजा में कलम और कॉपी अवश्य शामिल करें, इससे बुध की स्थिति अनुकूल होती है, जिससे बुद्धि बढ़ती है।
  • अगर आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे रंग के फल चढ़ाएं। इसके अलावा बच्चा जिस कमरे में पढ़ाई करता है, वहां मां सरस्वती की तस्वीर लगाएं।
  • अगर आपको उच्च शिक्षा लेने में किसी तरह की परेशानी आ रही है, तो आपको माता सरस्वती के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। ये है मंत्र- 'ऊं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः!'

आशा है कि इस लेख से मिली जानकारी आपको मां सरस्वती का कृपापात्र बनाने में सार्थक सिद्ध होगी। आपके ज्ञान और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी, साथ ही हर कार्य में आपको सफलता मिलेगी।

बसंत पंचमी पूजा विधि

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन सरस्वती जी की पूजा की जाती है। इस दिन शादी, गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्य करना शुभ माना जाता है। इस लेख में जानिए कि बसन्त पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा कैसे करनी चाहिए

पूजा सामग्री

चौकी, बिछाने के लिए साफ वस्त्र, गंगाजल, अक्षत, चंदन, फूल, दुर्वा, पान, हल्दी, सुपाड़ी, रक्षासूत्र (कलावा) धूप-दीप, प्रसाद के लिए केसर युक्त चावल, पीला हलवा या बेसन के लड्डू, सरस्वती जी को चढ़ाने के लिए पीला वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, आरती की थाली आदि।

पूजा विधि

  • बसंत पंचमी के दिन प्रात:काल जल में हल्दी डालकर स्नान करके साफ पीले रंग का वस्त्र पहन लें, उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
  • सबसे पहले चौकी स्थापित करने वाली जगह को गंगाजल छिड़क कर साफ कर लें, और इसके बाद इस जगह पर चावल या आटे से स्वास्तिक बनाएं।
  • अब स्वास्तिक के ऊपर चौकी स्थापित करें और चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
  • इस चौकी पर पीले चावल का अष्टदल कमल बनाएं, उसके बाद इसपर कलश स्थापित करें। इस कलश में आप गंगाजल, साधारण शुद्ध जल, हल्दी, सुपाड़ी, और एक सिक्का डालें। ध्यान रहे कि कलश के नारियल को लाल कपड़े की बजाय पीले कपड़े में लपेटें।
  • चौकी के सामने एक साफ पीला आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें।
  • अब पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। गौरी-गणेश जी प्रथम पूज्य हैं, तो उनको भी स्थापित करें और सभी को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद तिल के तेल या शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • मां सरस्वती तथा गौरी-गणेश को हल्दी का टीका लगाएं। सबसे पहले गौरी-गणेश को फूल, अक्षत्, पान, दूर्वा, धूप, दीप, आदि अर्पित कर पूजा करें।
  • अब मां सरस्वती को पीले वस्त्र पहनाएं, साथ ही श्रृंगार सामग्री भी अर्पित करें। इसके बाद पीले फूल, फल, अक्षत्, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल आदि अर्पित करें, और मां शारदा को गेंदे के फूल की माला पहनाएं।
  • इसके बाद गौरी-गणेश, माता सरस्वती और श्री कलश को रक्षासूत्र अर्पित करें।
  • अब फल और बेसन के लड्डू, बर्फी या केसरयुक्त चावल का भोग लगाएं, और भोग स्वीकार करने के लिए सभी देवी देवताओं का आह्वान करें। सरस्वती माता को सफेद तिल के लड्डू भी चढ़ा सकते हैं।
  • विधिवत पूजा करने के बाद खड़े होकर गौरी-गणेश और मां सरस्वती की आरती करें। उसके बाद घर के सभी सदस्य आरती लें, और दक्षिणा चढ़ाएं।
  • आरती के दीपक को घर या स्कूल में चारों ओर लेकर जाएं, ताकि उससे नकारात्मक प्रभाव दूर हों।

सरस्वती पूजा में ध्यान देने वाली बातें

  • सरस्वती पूजा के दिन संभव हो तो सफेद या पीला वस्त्र पहनें, यह शुभ माना जाता है।
  • इस दिन कन्याओं को शक्कर और केसर डालकर बना हुआ चावल या पीला हलवा ज़रूर खिलाएं।
  • विद्यार्थियों को सरस्वती पूजा के दिन पुस्तकोंं, कलम, पेंसिल आदि की भी पूजा करनी चाहिए।
  • जो लोग कला एवं संगीत से जुड़े हुए हैं, उनको इस दिन मां सरस्वती का ध्यान करके अपनी कला का अभ्यास करना चाहिए।
  • शिक्षा, कला एवं संगीत में सफलता के लिए सरस्वती माता के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। मां शारदा की कृपा से आपको यश एवं कीर्ति प्राप्त होगी।

इस प्रकार आपकी सरस्वती पूजा विधिवत संपन्न हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा सफल हो, और मां सरस्वती प्रसन्न होकर आपको अपनी कृपा का पात्र बनाएं।

बसंत पंचमी पर किन मन्त्रों और आरती से होगी आपकी पूजा सफल?

माँ सरस्वती जी की भक्ति सदा से ही भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और स्मरण शक्ति का आशीर्वाद प्रदान करती है। कहते हैं कि माँ के शक्तिशाली मन्त्रों के सरस्वती वंदना जाप एवं आरती से अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है। जिसके फलस्वरूप जीवन में सात्विक विचारों और आर्थिक उन्नति की भी बढ़ोत्तरी होती है।

इस लेख में आप पढ़ेंगे

  • सरस्वती माता के मंत्र और इसके लाभ
  • सरस्वती वंदना और इसके लाभ
  • मां सरस्वती जी की आरती

सरस्वती माता के मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः॥ लाभ - इस मंत्र के जाप से एकाग्रता, वाणी और याददाश्त में सुधार होता है

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥ लाभ - यह मंत्र जाप इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प को मजबूती प्रदान करता है।

ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥ लाभ - बाधाओं से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, अहंकार के नाश के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी होता है।

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥ या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता। सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

लाभ - विद्या आरंभ करने से पहले सरस्वती वंदना करने का विशेष लाभ मिलता है। साथ ही माता सरस्वती की सच्चे भाव से की गई वंदना अल्पबुद्धि वाले मनुष्य को भी विद्वान बन सकती है।

मां सरस्वती जी की आरती

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

चन्द्रबदनी पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।

सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला ।

शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया ।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो ।

मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो ।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।

हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

॥ जय जय सरस्वती माता ॥

यदि आप भी पाना चाहते हैं वाणी की देवी माँ सरस्वती की कृपा तो इन मन्त्रों एवं आरती को अपनी पूजा में अवश्य शामिल करें।

बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त क्यों कहते हैं?

  • शुभ मुहूर्त का शास्त्रों में विशेष महत्व माना गया है, लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसी तिथियां होती हैं, जब मुहूर्त देखने की कोई आवश्यकता नहीं रहती। यानि इस पूरे दिन को ही श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी ही तिथियों को अबूझ मुहूर्त या 'स्वयं सिद्ध मुहूर्त' कहते हैं।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुछ अबूझ मुहूर्त होते हैं, जिनमें विवाह करना काफी शुभ मानते हैं। इनमें आखा तीज (अक्षय तृतीया), देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी और भडल्या नवमी शामिल है।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बसंत पंचमी के पूरे दिन दोषरहित श्रेष्ठ योग रहता है। इसके अलावा इस दिन रवि योग का भी शुभ संयोग बनता है। शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव और पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था। इस दृष्टि से शादी के लिए बसंत पंचमी का दिन बहुत शुभ माना जाता है।

इस लेख में जानिए कि बसंत पंचमी के दिन कौन-कौन से लोग शादी कर सकते हैं

  • बसंत पंचमी के दिन ऐसे लोग शादी कर सकते हैं जिन्हें लगातार दिक्कतें आ रही हो।
  • शादी के लिए वर और वधु पक्ष राजी हों और इसके लिए गुण मिलान नहीं हो पा रहा हो।
  • शादी के लिए सब कुछ तय है और इसके लिए शुभ मुहूर्त नहीं निकाल पा रहे हों तो ऐसे में बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं।
  • जो लोग तुरंत शादी करना चाहते हैं उनके लिए बसंत पंचमी का दिन सर्वश्रेष्ठ होता है।

बसंत पंचमी पर और क्या करना होता है शुभ?

बसंत पंचमी का दिन शादी के लिए तो शुभ माना ही गया है, इसके अलावा इस दिन गृह प्रवेश, नई नौकरी की शुरुआत, किसी नए काम की शुरुआत, भूमि पूजन, मुंडन आदि शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं।

तो इस लेख में आपने जाना कि बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त क्यों कहते हैं।

बसंत पंचमी से मिलने वाले 5 लाभ

बसंत पचंमी का दिन ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती की भक्ति का दिन होता है। यदि सच्चे भाव से आप माता की आराधना करते हैं तो निश्चित ही आपको वीणावादिनी की परम कृपा और अद्भुत लाभ प्राप्त होंगे। तो आइए जानते हैं उन विशेष लाभों के बारे में जो बसंत पंचमी पर आपको मिल सकते हैं।

कला/साहित्य के क्षेत्र में सफलता - मां सरस्वती वाणी की देवी हैं, इसलिए संगीत आदि कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों को बसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा अवश्य करनी चाहिए, इससे आपको आपके क्षेत्र में मनचाही सफलता मिलेगी।

मानसिक शांति - इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मन शान्त और प्रसन्न होता है। साथ ही तनाव एवं बुरे विचारों से भी मुक्ति मिलती है।

एकाग्रता - जिन लोगों को एकाग्रता यानि किसी विषय पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती हो, वो बसंत पंचमी के दिन से प्रतिदिन सुबह सरस्वती वंदना का पाठ करें, निश्चित ही अच्छे परिणाम मिलेंगे।

करियर में विफलता - मां सरस्वती की पूजा विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए छात्र व नौकरी पाने के लिए प्रयासरत लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की स्तुति करें। अगर सरस्वती जी प्रसन्न हुईं तो आपका करियर संवर जायेगा। विद्यार्थियों को चाहिए कि वो मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने पीले रंग के कागज़ पर लाल रंग की कलम से ग्यारह या इक्कीस बार मां सरस्वती का ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिखें। ज्ञान की देवी, माँ सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है।

वाणी दोष में सुधार - मान्यता है कि अगर किसी बच्चे में वाणी दोष है, यानि हकलाने या तुतलाने की समस्या है, तो बसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से केसर द्वारा ‘ऐं’ लिखें। कहते हैं इससे बच्चे की आवाज़ स्पष्ट होती है और वाणी दोष समाप्त हो जाता है।

दोस्तों ये तो थे बसंत पंचमी के दिन मिलने वाले 5 लाभ। हमारी कामना है कि मां सरस्वती आप पर प्रसन्न हों, और अपनी कृपादृष्टि बनाएं रखें।

सावधान! बसंत पंचमी पर न करें ये 5 गलतियां

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का पर्व अत्यंत विशेष माना जाता है। यह दिन संगीत, ज्ञान, कला, विद्या, एवं वाणी की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।

शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखते हुए यदि सच्चे भाव से आप माँ सरस्वती की भक्ति करते हैं तो निश्चित रूप से आपको माँ का स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होगा।

काले वस्त्र न करें धारण: बसंत पंचमी के दिन काले वस्त्र धारण न करें, बल्कि आप पीले रंग के कपड़े पहनें। क्योंकि बसंत पंचमी के दिन पीले रंग की विशेष महत्ता है। यह रंग मां सरस्वती को प्रिय है। इसलिए इस दिन विद्या की देवी को पीले रंग के कपड़े अर्पित करें।

भूल से भी न काटें पेड़-पौधे: बसंत पंचमी के दिन वृक्षों को भूलकर भी नहीं काटना चाहिए। क्योंकि यह पर्व प्रकृति में बदलाव का संकेत माना जाता है।

बिना नहाएँ न करें भोजन: बसंत पंचमी के दिन बिना नहाएँ भोजन नहीं करें। हालाँकि रोगियों, बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए यह नियम लागू नहीं होता।

मन में न लाएं किसी के प्रति बुरे विचार: शास्त्रों में बसंत पंचमी को विद्यारंभ और अन्य तरह के मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। बसंत पंचमी के दिन किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए तथा ना ही किसी के प्रति मन में बुरे विचार लाने चाहिए। किसी भी प्रकार से क्लेश और विवाद से बचें।

मांस-मदिरा और धूम्रपान से रहें दूर: बसंत पंचमी के दिन सात्विक जीवन व्यतीत करें तथा मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहें। शुद्ध शाकाहारी आहार ग्रहण करें। इस दिन स्वच्छता और पवित्रता का विशेष खयाल रखें।

हम आशा करते हैं बसंत पंचमी के इस पावन पर्व पर आपको माँ सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त हो और आपका जीवन खुशहाल बना रहें।

इन 6 कार्यों से मिलेगा माँ सरस्वती का आशीर्वाद

दोस्तों, बसंत पंचमी, बसंत ऋतु के आरम्भ का प्रतीक है। इस ऋतु को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इसे ऋतुराज भी कहा गया है, अर्थात ऋतुओं को राजा। यह दिन ज्ञान और शिक्षा की देवी सरस्वती मां को समर्पित है। कहा जाता है जहां लक्ष्मी का वास हो, जरुरी नहीं वहां सरस्वती भी विराजित हों पर जहां सरस्वती जी विराजती है वहां लक्ष्मी मैया स्वयं ही आ जाती हैं। तो अगर आप भी सच्चे मन से मां सरस्वती की आराधना करें और ज्ञान की देवी सरस्वती जी को प्रसन्न करें।

आइये जानते हैं बसंत पंचमी के विशेष पर्व पर किन बातों का पालन करें?

पीला रंग है बेहद खास : पीला रंग सरस्वती मां का पसंदीदा रंग है, इसलिए आप माता की पूजा के दौरान भी उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। आप स्वयं भी इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

पीले रंग का भोग : बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती को पीले रंग के व्यंजन और मिठाइयां अर्पित करें। मान्यतों के अनुसार माँ को पीला भोग चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है।

पूजा-अर्चना : आप सरस्वती पूजा के दौरान माँ सरस्वती के मंत्र, भजन और आरती अवश्य करें। माँ से विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

श्री मंदिर में करें भक्ति : आप माँ सरस्वती के मंदिर अवश्य जाए, अगर ऐसा संभव न हो सके तो आप श्री मंदिर पर भी माँ सरस्वती का मंदिर स्थापित कर सकते हैं, साथ ही आप माँ के मधुर मन्त्र, भजन और बसंत पंचमी की अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सदाचार अपनाएं : बसंत पंचमी के दिन किसी से भी अपशब्द न कहें। मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहें। पाठ्य सामग्री का दान : इस खास दिन पर जरूरतमंदों के बीच पाठ्य सामग्री जैसे पुस्तक, पेन, कॉपी आदि का दान अवश्य करें।

तो इस तरह इन सरल उपायों को अपनाकर आप सरस्वती माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही अपने बच्चों को भी इस दिन का महत्व अवश्य समझाएं, और उन्हें भी अपनी संस्कृति से परिचित कराएं। हम आशा करते हैं आप सभी पर विद्या की देवी माँ सरस्वती जी की असीम कृपा बनी रहे और आप अपने जीवन में सफल बनें।

divider
Published by Sri Mandir·January 29, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.