2025 में होने वाली चैत्र अमावस्या की तिथि, पूजा विधि और पितृ तर्पण के महत्व की जानकारी यहां पढ़ें।
चैत्र अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों के तर्पण, दान-पुण्य और स्नान का विशेष महत्व है।
सनातन धर्म में हर तिथि का अलग-अलग महत्व होता है। इसी प्रकार चैत्र अमावस्या भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत, स्नान व दान करना विशेष फलदाई माना जाता है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, चैत्र अमावस्या प्रत्येक वर्ष मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती है। वर्ष 2025 में ये पर्व 29 मार्च 2025, शनिवार को मनाया जायेगा।
चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष के प्रथम माह में पड़ने के कारण धार्मिक व आध्यांत्मिक गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस तिथि पर जातक भगवान विष्णु की उपासना व स्नान-दान करते हैं।
इस दिन किसी नए कार्य का शुभारंभ या कोई आयोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस तिथि पर भूत-प्रेत आदि बुरी आत्माओं का प्रभाव अत्यंत उग्र हो जाता है, इस कारण इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ने के कारण भौमवती अमावस्या कही जायेगी। भौमवती अमावस्या मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
तो दोस्तों, ये थी चैत्र अमावस्या की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो एवं भगवान विष्णु की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।
Did you like this article?
जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 की तिथि, समय, पूजा विधि, और कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। यह व्रत माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
इन्दिरा एकादशी व्रत 2024 की तारीख, विधि और महत्व जानें। इस पवित्र व्रत से पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जानें दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है और यह कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।