इस पवित्र अवसर पर चंद्रमा के दर्शन का महत्व और अनुष्ठान की जानकारी प्राप्त करें।
पुराणों में चंद्र देव को पूजनीय देवताओं में से एक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,चंद्रमा मन का निर्देशक माना जाता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा अर्चना करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, इसलिए हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है। आज हम ‘चंद्र दर्शन’ के महत्व के बारे में विस्तारपूर्वक बात करेंगे साथ में हम ये भी जानेंगे कि इस दिन क्या करें और क्या न करें।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:42 AM से 05:32 AM तक |
प्रातः सन्ध्या | 05:07 AM से 06:21 AM तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:47 AM से 12:34 PM तक |
विजय मुहूर्त | 02:07 PM से 02:53 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 05:57 PM से 06:22 PM तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:00 PM से 07:14 PM तक |
अमृत काल | 04:40 AM, मार्च 02 से 06:06 AM, तक (02 मार्च) |
निशिता मुहूर्त | 11:45 PM से 12:35 AM, तक (02 मार्च) |
त्रिपुष्कर योग | 06:21 AM से 11:22 AM तक |
चंद्रमा 'नवग्रहों' में से एक ग्रह है और पृथ्वी पर जनजीवन को प्रभावित करता है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर चंद्र देव का आशीर्वाद रहता है, उसे सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए भक्त, सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा व व्रत रखते हैं।
अमावस्या के बाद अगले दिन या दूसरे दिन को चन्द्र दर्शन दिवस कहा जाता है। यह पूजा कई मायनों में लाभकारी और कल्याणकारी मानी जाती है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा की पूजा से मन को शांति मिलती है। साथ ही जीवन में सफलता के अनेक रास्ते खुलते हैं, साथ ही सद्बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा निम्न या अशुभ स्थिति में मौजूद होता है उन्हें अपने जीवन में तमाम परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कहा जाता है कि ऐसी कुंडली वाले लोग यदि चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देवता की उपासना के साथ व्रत रखते हैं तो चंद्र से उत्पन्न होने वाले उनके ग्रह दोष शांत हो जाते हैं।
अगर आप चंद्र दर्शन तिथि के दिन चंद्र देव की कृपा प्राप्त प्राप्ति के लिए चंद्र देव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो यह आपके लिए है। इस पूजा को करने से चंद्र देव की कृपा और आशीष आप पर बना रहता है। तो चलिए विस्तार पूर्वक इस पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
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