इस विशेष दिन के महत्व और अनुष्ठानों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
हिंदू धर्म के अनुसार, दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ चंद्रमा की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, इस पावन तिथि पर पितरों की पूजा, तर्पण, स्नान एवं दान करना विशेष फलदायी माना गया है। पूर्वजों के निमित्त अनुष्ठान करने की परंपरा के कारण इस दिन को 'श्राद्ध अमावस्या' भी कहा जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:57 ए एम से 04:41 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:19 ए एम से 05:25 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:30 ए एम से 12:22 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:06 पी एम से 02:58 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:25 पी एम से 06:47 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:26 पी एम से 07:32 पी एम तक |
अमृत काल | 06:20 पी एम से 07:44 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:33 पी एम से 12:17 ए एम, 28 अप्रैल तक |
Did you like this article?
सीता नवमी 2025 कब है? जानें तिथि, महत्त्व और पूजन विधि। जानकी जन्मोत्सव पर करें मां सीता की पूजा और पाएं सुख-शांति का आशीर्वाद।
कूर्म जयंती 2025 कब है? जानें भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की जयंती की तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्त्व। समुद्र मंथन की कथा में इस अवतार की भूमिका का विशेष महत्व है।
छिन्नमस्ता जयंती 2025 कब है? जानें तांत्रिक साधना की देवी छिन्नमस्ता की जयंती तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्त्व। यह दिन शक्ति उपासकों के लिए विशेष होता है।