दक्षिण सरस्वती पूजा | Dakshin Saraswati Puja 2024, Date, Time, Puja Vidhi, Samagri

दक्षिण सरस्वती पूजा

जानें दक्षिण सरस्वती पूजा की तिथि, समय, पूजा विधि की पूरी जानकारी।


दक्षिण सरस्वती पूजा सम्पूर्ण जानकारी

दक्षिण में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। इसका पालन केरल और तमिलनाडु में आयुध पूजा के समान दिन किया जाता है। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान आखिरी चार दिनों तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सरस्वती आवाहन से होती है। जिसका अर्थ है, मां सरस्वती का आहान करना। इसके बाद सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन होता है। यहां आप जानेंगे-

  • कब होगी दक्षिण सरस्वती पूजा?
  • दक्षिण में सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
  • क्या है दक्षिण सरस्वती पूजा
  • दक्षिण सरस्वती पूजा 2003 उत्सव
  • दक्षिण सरस्वती पूजा का महत्व/क्यों करते हैं दक्षिण सरस्वती पूजा?
  • दक्षिण सरस्वती पूजा विधि/दक्षिण सरस्वती पूजा के धार्मिक अनुष्ठान

दक्षिण में सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त | Dakshin Puja Shubh Muhurt

हिंदू कैलेंडर के अनुसार दक्षिण सरस्वती पूजा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है।

  • दक्षिण सरस्वती पूजा 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को की जाएगी।
  • विद्यारम्भम् संस्कार 13 अक्टूबर 2024, रविवार को होगा।
  • आयुध पूजा विजय मुहूर्त - 01:41 PM से 02:27 PM तक रहेगा।
  • नवमी तिथि प्रारम्भ - 11 अक्टूबर, 2024 को 12:06 PM बजे से
  • नवमी तिथि समाप्त - 12 अक्टूबर, 2024 को 10:58 AM बजे तक होगा।

चलिए अब जानते हैं इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त-

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 16 मिनट से प्रातः 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 41 मिनट से सुबह 05 बजकर 55 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 21 मिनट से 12 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 01 बजकर 41 मिनट से 02 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 05 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त - 05 बजकर 33 मिनट से 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल मुहूर्त शाम 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 20 मिनट से 13 अक्टूबर को मध्यरात्रि 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

इस दिन यह दो विशेष योग बन रहे हैं -

  • सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05 बजकर 55 मिनट से 13 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन पर रवि योग पूरे दिन रहेगा।

क्या है दक्षिण सरस्वती पूजा?

आयुध पूजा को दक्षिण सरस्वती पूजा भी कहते हैं। इस दिन जातक शास्त्रों की पूजा करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता होते हैं, क्योंकि शास्त्रों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शास्त्रों की, शिल्पकार अपने उपकरणों की और विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं। जबकि कल से जुड़े लोग अपने यंत्रों की पूजा करते हैं।

दक्षिण सरस्वती पूजा उत्सव

तमिलनाडु और केरल में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। जबकि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह दशहरा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा विधि विधान के साथ करते है।

दक्षिण सरस्वती पूजा का महत्व

दक्षिण सरस्वती पूजा का त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित है। शिव महा पुराण के अनुसार देवी सरस्वती त्रिदेव का एक हिस्सा है और नवरात्रि के अंतिम दिन मां सरस्वती रूप में प्रकट होती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार इसी दिन देवी सरस्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए शक्तिशाली हथियार बनाए थे। जिस के बाद से हथियारों को पवित्र माना जाने लगा और उनकी पूजा करने लगे। इस परंपरा को आयुक्त पूजा कहा जाता है। इस दिन लोग रोज मुर्गा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले अपने औजारों और हथियारों की पूजा करते हैं।

दक्षिण सरस्वती पूजा विधि | Dakshin Saraswati Puja Vidhi

  • जातक को सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
  • दक्षिण सरस्वती पूजा वाले दिन अब शुभ मुहूर्त से पहले पूजन की तैयारी करनी चाहिए।
  • पूजा से पहले शास्त्रों की अच्छी तरह सफाई और फिर उन पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करना चाहिए।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाकर महाकाली स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • अब अपने शस्त्र पर कुमकुम, हल्दी का तिलक और फूल चढ़ाना चाहिए।
  • अब जातक शास्त्र को धूप दिखाकर मिष्ठान का प्रसाद चढ़ा सकते है और सर्वे कार्य सिद्धि की कामना मां सरस्वती से कामना करनी चाहिए।
  • इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद का वितरित करना चाहिए।
  • दक्षिण सरस्वती पूजा करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • मां सरस्वती को सफेद रंग बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जातक को सफेद रंग धारण करके ही पूजा करनी चाहिए।

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