Dussehra Puja Vidhi | दशहरा पूजा विधि

दशहरा पूजा विधि

पूजा के सही तरीके, सामग्री और इस महत्वपूर्ण त्योहार के धार्मिक अनुष्ठानों की पूरी जानकारी प्राप्त करें


हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि धर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर माता दुर्गा ने राक्षसों की राजा महिषासुर का वध किया था और इसी दिन शिव राम ने रावण का भी संहार किया था।

दशहरा पूजा कब है: शुभ मुहूर्त | Dussehra Pooja Date & Shubh Muhurt

  • विजयदशमी 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाई जाएगी।
  • विजय मुहूर्त 01 बजकर 27 मिनट से 02 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • अपराह्न पूजा का समय 12 बजकर 54 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
  • दशम तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • दशमी तिथि का समापन 13 अक्टूबर को 09 बजकर 08 मिनट पर होगा।
  • श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 25 मिनट पर होगा।
  • श्रवण नक्षत्र का समापन 13 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगा।

दशहरा में किसकी पूजा करते है? | Dussehra me kiski puja karte hai?

दशहरा पर्व पर भगवान राम लक्ष्मण व माता सीता की पूजा का विधान है। इसके अलावा इस माता दुर्गा के स्वरूप जया विजया की भी उपासना की जाती है।

दशहरा पूजा की सामग्री | Dussehra pooja ki poojan samagri

हर अनुष्ठान की तरह दशहरा पूजा के लिए भी कुछ सामान्य पूजा सामग्री की जरूरत होती है। जैसे- गाय का गोबर, धूप बत्ती, रोली- मौली, जनेऊ, कुमकुम, अक्षत, फूल, फल, नैवेद्य आदि।

दशहरा पूजा विधि | Dussehra ki pooja vidhi kya hai?

दशहरा पर मुख्य रूप से तीन प्रकार की पूजा की जाती है:

सीमोल्लंघन व शमी पूजन

  • इस पूजा में अपने ग्राम देवता को दिन के तीसरे पहर में पालकी में बिठाकर गांव की सीमा से बाहर ले जाकर वहां शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।
  • सबसे पहले नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रार्थना करें।

शमी शमयते पापं शमी लोहितकंटका। धारिण्यर्जुनबाणानां रामस्य प्रियवादिनी।। करिष्यमाणयात्रायां यथाकाल सुखं मया। तत्र निर्विघ्नकत्रिम त्वं भव श्रीरामपूजिते।।

  • प्रार्थना करने के बाद शमी के वृक्ष पर रोली अक्षत से तिलक करें। इसके बाद फूल व सुपारी चढ़ाएं।
  • दक्षिण के रूप में तांबे का सिक्का चढ़कर सात बार शमी के वृक्ष की परिक्रमा करें।

अपराजिता देवी पूजन

  • मान्यता है कि यदि आप दशहरे के दिन शमी वृक्ष के नीचे अपराजिता देवी की पूजा करते हैं तो आपके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • अपराजिता देवी की पूजा करने के लिए अष्टदल बनाकर इसकी बीचो-बीच माता अपराजिता को स्थापित करें।
  • इस अष्टदल के आठ बिंदु, आठ लोकपालों के प्रतीक हैं और मुख्य बिंदु माता अपराजिता का प्रतीक है।
  • अब माता को जल, वस्त्र, धूप-दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।

हारेण तू विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्र्रता करोतु विजयं मम।।

  • देवी अपराजिता को शत्रुओं का नाश करने वाली माना जाता है। मान्यता है कि पूजा के शमी पत्र में देवी अपराजिता की शक्तियां निहित हो जाती हैं। ऐसे में इन शमी की पत्तियों को घर में रखने पर सभी बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है।

शस्त्र पूजा (आयुध पूजा)

  • दशहरा के दिन उपकरणों की पूजा करने की भी परंपरा है।
  • पूजा के लिए स्वच्छ स्थान पर ईशान कोण में एक सफेद कपड़े का आसान बिछाएं, और उस पर अपने शस्त्र व उपकरण स्थापित करें।
  • इसके साथ ही माता दुर्गा की मूर्ति भी स्थापित करें, और धूप दीप, नैवेद्य अर्पित करें, साथ ही शस्त्र व उपकरण पर भी अक्षत व रोली से तिलक करें, और मौली बांधें।
  • इसके बाद माता दुर्गा की आरती करें, और उनसे शत्रुओं से रक्षा करने की प्रार्थना करें।

दशहरा पूजा के लाभ क्या हैं | Dussehra pooja ke laabh kya hain?

  • दशहरा पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • इस पूजा से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, और जीवन में सकारात्मकता आती है।
  • दशहरा के दिन ये विशेष अनुष्ठान करने से भगवान श्री राम व माता दुर्गा की कृपा होती है, और घर में सुख समृद्धि आती है।

FAQ:

प्रश्न: दशमी पूजा घर पर कैसे करें?

उत्तर: दशहरा पूजा अभिजित काल, विजय मुहूर्त या अपराह्न काल में करना शुभ माना जाता था।

  • ये पूजा घर के ईशान कोण में करना चाहिए।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ करके कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल चक्र बनाएं।
  • अब इस अष्टदल चक्र के बीच माता अपराजिता की प्रतिमा स्थापित करें, और ॐ अपराजिताय नमः का उच्चारण कर माता का आह्वान करें।
  • इसके बात देवी जया को दाईं ओर और विजया को बाईं ओर स्थापित करें
  • अब तीनों देवियों की षोडशोपचार विधि से पूजा करें, और उन्हें धूप-दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • दशहरा के अवसर पर भगवान श्री राम व बजरंगबली की भी उपासना करें।
  • अंत में सभी दैवीय शक्तियों की आरती करें, और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें।

प्रश्न: दशहरा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • किसी का अपमान न करें
  • किसी की बुराई करने या झूठ बोलने से बचें।
  • किसी जीव जंतु को नुकसान न पहुंचाएं।
  • किसी से कोई झगड़ा या विवाद न करें।
  • कोई भी अनैतिक काम न करें

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