इस मास की शुरुआत कब से हो रही है और क्यों इसे माना जाता है विशेष? जानें फाल्गुन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व!
फाल्गुन हिन्दू पंचांग का बारहवां और अंतिम माह होता है, जो माघ के बाद और चैत्र से पहले आता है। यह माह विशेष रूप से उल्लास, भक्ति और रंगों का प्रतीक माना जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण पर्व और व्रत आते हैं, जैसे कि महाशिवरात्रि, फाल्गुन पूर्णिमा, और अमलकी एकादशी।
फाल्गुन मास को आनंद, उल्लास और त्योहारों का महीना कहा जाता है। इस माह से सर्दी कम होने लगती है और धीरे-धीरे गर्मी की शुरुआत होती है। ये महीना धार्मिक दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि फाल्गुन में महाशिवरात्रि, और होली जैसे कई बड़े पर्व आते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह साल का बारहवां और अंतिम महीना होता है। फाल्गुन पूर्णिमा को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ता है, इसलिए इस महीने का नाम फाल्गुन है।
2025 में फाल्गुन माह का प्रारंभ सोमवार, 13 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार से होगा और 14 मार्च 2025, शुक्रवार को ये महीना समाप्त होगा।
हमारे देश में साल के 12 महीने कोई न कोई धार्मिक पर्व आते रहते हैं, लेकिन फाल्गुन मास के धार्मिक महत्व की बात करें, तो इस माह में भगवान विष्णु व शिव जी से जुड़े दो पर्व आते हैं-
वैसे तो हम हर दिन किसी देवी-देवता की आराधना अवश्य करते हैं, लेकिन कुछ महीने ऐसे हैं, जिनमें भगवान की आराधना करने पर वो भक्तों से अति प्रसन्न होते हैं, और अपनी विशेष कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।
जिस तरह माघ के महीने में दान-पुण्य का महत्व है, वैसे ही फाल्गुन माह में भी दान देना बहुत ही लाभप्रद माना जाता है। अपनी सामर्थ्य एवं श्रद्धा के अनुसार ज़रूरतमंदों को दान और पितरों को तर्पण अवश्य करना चाहिए। फाल्गुन के महीने में शुद्ध घी, सरसों का तेल, तिल और फल आदि का दान करने से विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है।
आशा है कि इस लेख से आपको फाल्गुन मास की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसी ही उपयोगी और धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।
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