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गायत्री जापम 2025

क्या आपकी साधना अधूरी रह गई है? गायत्री जापम 2025 में मिलेगा पूर्ण फल! जानिए कब करें मंत्र जाप, कैसे करें पूजा और क्यों है यह दिन इतना शुभ।

गायत्री जापम के बारे में

गायत्री जपम् उपाकर्म के अगले दिन मनाया जाता है। यह वैदिक परंपरा का हिस्सा है जिसमें ब्राह्मण समुदाय पवित्र गायत्री मंत्र का जप करता है। यह आत्मशुद्धि, मानसिक एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

2025 में कब है गायत्री जापम?

  • गायत्री जापम् में 10 अगस्त 2025, रविवार को मनाया जाएगा।
  • इससे एक दिन पहले, यजुर्वेदीय श्रावणी उपाकर्म का आयोजन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को होगा

गायत्री जापम शुभ मुहूर्त व तिथि

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:02 ए एम से 04:46 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:24 ए एम से 05:29 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:37 ए एम से 12:29 पी एम

विजय मुहूर्त

02:14 पी एम से 03:07 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:37 पी एम से 06:59 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:37 पी एम से 07:42 पी एम

द्विपुष्कर योग

12:09 पी एम से 01:52 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:42 पी एम से 12:25 ए एम, अगस्त 11

गायत्री जापम् एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैदिक पर्व है, जो श्रावणी उपाकर्म के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन विशेषकर ब्राह्मणों और वैदिक अध्ययनरत ब्रह्मचारी छात्रों के लिए पवित्र माना जाता है।

श्रावण पूर्णिमा के शुभ अवसर पर उपनयन सूत्र (जनेऊ, यज्ञोपवीत या जन्ध्यम) धारण कर उपाकर्म अनुष्ठान किया जाता है। यह वेदों के प्रति श्रद्धा और आगामी वेदाध्ययन सत्र की शुरुआत का प्रतीक है।

क्या है गायत्री जापम?

गायत्री जापम् एक वैदिक और आध्यात्मिक पर्व है, जो श्रावणी उपाकर्म (जनेऊ संस्कार) के अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन मुख्यतः ब्राह्मणों और यज्ञोपवीतधारी ब्रह्मचारी छात्रों के लिए विशेष रूप से पवित्र माना गया है। इस दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान के बाद, गायत्री मंत्र का विधिवत जाप करते हैं, जिससे आत्मशुद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

गायत्री जापम का महत्व

  • यह पर्व वेदाध्ययन के नव-सत्र की शुरुआत का प्रतीक है।
  • उपाकर्म के बाद किया गया गायत्री जाप, पुरुषार्थ की शुद्धता, आत्म-परिष्कार और प्रायश्चित्त भावना को दर्शाता है।
  • यह दिन हमें संस्कारों की रक्षा और गायत्री साधना की शक्ति का स्मरण कराता है।
  • यह जाप साधक की बुद्धि को प्रकाशित करता है और उसे धर्म, ज्ञान और विवेक की ओर प्रेरित करता है।

गायत्री जापम की पूजा कैसे करें?

  • ब्रह्म मुहूर्त या प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • यज्ञोपवीत (जनेऊ) का संकल्प लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • अपने कुल, गोत्र एवं ऋषियों का स्मरण करें और गायत्री मंत्र का जाप आरंभ करें —

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

  • सामान्यतः 108, 1008 या अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।
  • जाप के बाद, दीपक जलाकर गायत्री माता की आरती करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।

गायत्री जापम् का उद्देश्य

  • उपाकर्म अनुष्ठान के अगले दिन, प्रातःकाल स्नान के बाद यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप करता है।
  • यह जाप प्रायश्चित्त, आत्मशुद्धि और वैदिक संकल्पों की पुनः पुष्टि के रूप में किया जाता है।
  • अधिकांश लोग 108 बार या 1008 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हैं।
  • यह जाप एकाग्रता, शुद्धता और साधना के उच्चतम रूपों में से एक माना जाता है।

गायत्री मंत्र

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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

अर्थ

हम उस परम तेजस्वी, पावन, जीवनदायी सविता देव की उपासना करते हैं। वह हमारी बुद्धि को शुभ और सत्पथ की ओर प्रेरित करे।

क्षेत्रीय परंपरा और महत्व

  • दक्षिण भारत, विशेषकर आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में, यह दिन बड़े श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
  • यहाँ इसे "गायत्री प्रतिपदा" या "गायत्री पाद्यमी" कहा जाता है।
  • ब्राह्मण समुदाय के बीच यह पर्व आध्यात्मिक अभ्यास और वेद-संरक्षण की परंपरा का मुख्य प्रतीक है।

गायत्री जापम व गायत्री जयंती में क्या अंतर है

गायत्री जापम और गायत्री जयंती दोनों ही आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण पर्व हैं, किंतु इनका उद्देश्य, समय और स्वरूप अलग होता है। गायत्री जापम मुख्यतः उपनयन संस्कार के बाद वेदाध्ययन की नई शुरुआत के रूप में मनाया जाता है और यह श्रावण पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से गायत्री मंत्र का जाप और आत्मशुद्धि पर बल दिया जाता है और यह पर्व विशेष रूप से ब्राह्मणों तथा वेदपाठी ब्रह्मचारियों के लिए होता है।

वहीं दूसरी ओर, गायत्री जयंती देवी गायत्री के जन्मोत्सव के रूप में श्रावण पूर्णिमा को ही मनाई जाती है, जिसमें देवी गायत्री की पूजा, आराधना और स्तुति की जाती है। यह पर्व सभी श्रद्धालुओं द्वारा पूरे भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है, जबकि गायत्री जापम का क्षेत्रीय महत्व विशेषकर दक्षिण भारत में अधिक देखा जाता है, जहां इसे गायत्री पाद्यमी कहा जाता है।

गायत्री जापम के लाभ

  • आत्मा, वाणी और विचारों की शुद्धता प्राप्त होती है।
  • व्यक्ति की बुद्धि और निर्णय शक्ति मजबूत होती है।
  • ध्यान और साधना में स्थिरता आती है।
  • जीवन में धर्म, ज्ञान और संयम की भावना जागृत होती है।
  • यह जाप व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

गायत्री जापम् न केवल वेदों की परंपरा का संवाहक पर्व है, बल्कि साधक के भीतर प्रकाश, पवित्रता और विवेक का बीज बोता है। इस दिन किया गया गायत्री मंत्र का जाप, जीवन को नव-ऊर्जा से भर देता है।

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Published by Sri Mandir·July 29, 2025

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