होली भाई दूज 2025 कब है? इस दिन भाई के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए कैसे करें पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, विधि और परंपराएं।
होली भाई दूज, होली के बाद मनाया जाने वाला एक खास पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के तिलक करती हैं, उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज या भ्राता द्वितीया के नाम से जाना जाता है। ये भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता एक बेहद ही खूबसूरत त्यौहार है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना के लिए पूजा व व्रत रखती हैं, और इसके बदले में भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है।
ये त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। एक 'दिवाली' के बाद और दूसरा 'होली' के बाद।
चलिए जानते हैं कि साल 2025 में होली के बाद भाई दूज कब मनाई जाएगी, एवं कब होंगे शुभ मुहूर्त
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:30 ए एम से 05:18 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:54 ए एम से 06:06 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:43 ए एम से 12:31 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:07 पी एम से 02:55 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:05 पी एम से 06:29 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:07 पी एम से 07:19 पी एम तक |
द्विपुष्कर योग | 11:45 ए एम से 04:58 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:42 पी एम से 12:30 ए एम, मार्च 17 तक |
मुहूर्त | समय |
अमृत सिद्धि योग | 06:06 ए एम से 11:45 ए एम तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 06:06 ए एम से 11:45 ए एम तक |
मान्यताओं के अनुसार कई कथायें और कहानियां हैं जो भाई दूज की मनाने की परंपरा से जुड़ी हुईं हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि इस दिन, मृत्यु के देवता भगवान यम ने अपनी बहन यमी या यमुना से भेंट की थी। यमुना ने ‘आरती’ और मालाओं से अपने भाई का स्वागत किया, उनके माथे पर ‘तिलक’ लगाया और उन्हें मिठाई व विशेष व्यंजन भोजन के रूप में खिलाए। इसके बदले में, यमराज ने उसे एक अनोखा उपहार दिया और कहा कि इस दिन जो भाई अपनी बहन द्वारा आरती और तिलक का अभिवादन पाएंगे, उन्हें लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलेगा।
इसी कारण इस दिन को ‘यम द्वितीया’ या ‘यमद्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है। एक अन्य कथा में बताया गया है कि भगवान कृष्ण, राक्षसों के राजा नरकासुर का वध करने के बाद, अपनी बहन, सुभद्रा के पास गए थे, और सुभद्रा जी ने उनका स्वागत मिठाई, माला, आरती और तिलक लगाकर किया था। इस प्रकार भाई दूज के पर्व की शुरूआत हुई।
हिन्दू धर्म में कई सारे रीति रिवाज हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। इनमें से भाईदूज एक ऐसा उत्सव है जो खासतौर पर भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है। इस दिन भाई और बहन के बीच प्रेम की भावना देखने को मिलती है।
इस दिन विवाहित बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
इस तरह भाई दूज का पर्व भी रक्षाबंधन के त्यौहार की ही तरह भाई बहनों के बीच के अमर प्रेम को बढ़ाने वाला त्योहार है। यह एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाने और सुखमय जीवन के लिए किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन जो कोई भी बहन विधि पूर्वक और शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक करती है और फिर पूजा आदि करती है उसके भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और उनकी उम्र लंबी होती है।
कार्तिक में आने वाले भाई दूज की तरह ही 'होली भाई दूज' भी एक ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सुखमय जीवन के लिए कामना करती हैं, बदले में भाई उन्हें जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक भाई द्वितीया तिथि पर अपनी बहन के घर तिलक करवाने के लिए गया, परंतु रास्ते में उसे नदी, शेर व सांप आदि मिले जो उसके प्राण लेना चाहते थे। भाई ने उन सबको वचन दिया कि जब वो बहन के यहां से टीका लगवाकर वापस लौटेगा तो अपने प्राण दे देगा। ये वचन देने के बाद भाई अत्यंत दुखी था। जब बहन ने भाई के दुख का कारण जाना तो एक उपाय सुझाया, जिससे भाई के प्राणों की रक्षा हुई। इसके बाद भाई ने जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया। भाई बहन के इसी अटूट बंधन, प्रेम और समर्पण को और प्रगाढ़ करने के लिए भाई दूज का ये पावन पर्व मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म में कई सारे रीति रिवाज विद्यमान हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। इनमें से भाईदूज एक ऐसा उत्सव है जो विशेष रूप से भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है। इस दिन भाई और बहन के बीच प्रेम की भावना देखने को मिलती है।
इस दिन विवाहित बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
कहते हैं कि इस दिन जो कोई भी बहन विधि पूर्वक और शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक करती है और फिर पूजा आदि करती है उसके भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और उनकी उम्र लंबी होती है।
कार्तिक मास की तरह ही होली के बाद आने वाली द्वितीया को भी भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई को भोज के लिए निमंत्रित करती हैं। और उन्हें तिलक करके उनकी लम्बी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। चलिए जानें इस दिन व्रत और पूजा कैसे की जाती है और क्या है इसके लिए आवश्यक सामग्री -
इसके अतिरिक्त आप अपने भाई को उपहार स्वरूप देने के लिए श्री-फल, मिठाई और वस्त्र आदि भी रख सकती हैं।
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