जगद्धात्री पूजा 2024 | Jagdhatri Puja
पुराणों में माता जगद्धात्री को आदिशक्ति माँ दुर्गा का अवतार माना गया है। जगद्धात्री का अर्थ होता है ‘जगत की माँ’ या ‘जगत की धारक’। अर्थात जिसने इस पूरी सृष्टि को धारण किया है, वो हैं माता जगद्धात्री। आज हम जानेंगे जगद्धात्री पूजा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। जगद्धात्री पूजा की ये विशेष पूजा अक्षय नवमी के दिन की जाती है।
जगद्धात्री पूजा कब है?
- जगद्धात्री पूजा 10 नवंबर, रविवार को मनाई जायेगी।
जानिए जगद्धात्री पूजा की तिथि व शुभ मुहूर्त
- नवमी तिथि 09 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- नवमी तिथि का समापन 10 नवम्बर को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगा।
जगद्धात्री पूजा का महत्व क्या है?
जगद्धात्री पूजा माता जगद्धात्री को समर्पित एक विशेष पर्व है जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में मनाया जाता है। यह त्योहार कुल पांच दिनों तक चलता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को माता जगद्धात्री का आगमन होता है और दशमी के दिन माँ को विसर्जित किया जाता है। हालांकि, ज्यादातर जगहों पर जगद्धात्री पूजा एकदिवसीय त्योहार के रूप में, केवल नवमी के दिन मनाया जाता है।
जगद्धात्री माता की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। पूरे विधि-विधान के साथ माता की पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्त के सारे संकट दूर कर देती हैं।
जगद्धात्री पूजा की शुरुआत किसने किया?
जगद्धात्री पूजा की शुरुआत महाराजा कृष्ण चन्द्र द्वारा सन 1754 में कृष्णनगर में की गई थी। मान्यता है कि दुर्गा पूजा के दसवें दिन, माता ने स्वप्न में कृष्ण चन्द्र को एक छोटी बच्ची के रूप में दर्शन दिया, और कहा- “हे राजन, आज से ठीक एक महीने बाद, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को तुम मेरी पूजा करना”।
जब महाराजा कृष्ण चंद्र ने यह घटना अपने पुजारी को बताई, तो पुजारी ने कहा कि वह बच्ची वास्तव में माता जगद्धात्री थीं। यह जानने के बाद राजा ने माता जगद्धात्री की एक मूर्ति बनवाई और ठीक एक महीने बाद, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को, विधि-विधान से माता की पूजा की। तब से जगद्धात्री पूजा एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
जगद्धात्री पूजा की आसान पूजाविधि जानें यहाँ
- जगद्धात्री पूजा सुबह सूर्योदय के बाद या शाम को गोधूलि बेला में की जानी चाहिए।
- घर की उत्तर दिशा में माँ जगद्धात्री की मूर्ति को किसी पीले वस्त्र के ऊपर स्थापित करें।
- खुद भी पीले वस्त्र धारण करें और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
- एक कलश लें और उसमें जल भरें और थोड़ी मात्रा में दाल डालें। फिर कलश को नारियल से ढककर माता की प्रतिमा के सामने रखें।
- अब घी का एक दीपक जलाएं। इसके बाद माता को हल्दी का तिलक लगाएं और पीले रंग के फूल अर्पित करें।
- भोग के रूप में दूध, शहद और केला माता को अर्पित करें।
- अब इस मंत्र का 21, 51 या 108 बार जाप करें- “ॐ परितुष्टा जगद्धात्री प्रत्यक्षं प्राह चंडिका नमोस्तु ते”
- जाप के बाद माता को शीश झुकाएं और उनका आशीर्वाद लें।
- पूजा के बाद कलश का जल पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए। यदि आपके घर के आसपास पीपल का पेड़ नहीं है तो किसी दूसरे पेड़ पर डाल सकते हैं।
इन उपायों से प्रसन्न होंगी माँ जगद्धात्री
चलिए अब जानते हैं कि जगद्धात्री पूजा के दिन क्या-क्या करना चाहिए:-
दान-पुण्य करें:
गरीबों, बेसहारा लोगों या किसी धार्मिक स्थल पर अन्न, वस्त्र, और आवश्यक वस्तुएं दान करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
सेवा भाव अपनाएं:
घर में या आसपास के बुजुर्गों, जरूरतमंदों और पशु-पक्षियों की सेवा करें। सेवा भाव से देवी की कृपा प्राप्त होती है और मन में शांति बनी रहती है।
सात्विक भोजन करें:
माँ जगद्धात्री पूजा के दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मांस-मदिरा से दूर रहें। सात्विक भोजन से मन की शुद्धि होती है।
क्रोध पर नियंत्रण रखें:
किसी भी परिस्थिति में क्रोध न करें। क्रोध से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए धैर्य से काम लें।
सकारात्मक लोगों के साथ रहें:
आपकी सोच सकारात्मक हो, इसलिए अच्छे आदर्शों वाले लोगों के साथ रहें। नकारात्मकता और ईर्ष्या से दूर रहें।
जगद्धात्री पूजा के लाभों के बारे में जानिए
मानसिक शांति:
यह पूजा मन को शांति और स्थिरता देती है, इसलिए जो लोग तनाव में रहते हैं, उन्हें ये पूजा मानसिक शांति प्रदान करती है।
परिवार में सौहार्द:
परिवार के साथ मिलकर यह पूजा करने से पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं और घर में आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़ता है।
स्वास्थ्य में सुधार:
जगद्धात्री पूजा से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
सफलता व समृद्धि:
मां जगद्धात्री की पूजा करने से करियर में सफलता और आर्थिक समृद्धि मिलती है। यह पूजा जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करती है।