कार्तिक पूर्णिमा 2024 | Kartik Purnima
हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत, स्नान-दान और पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं। साथ ही, कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस दिन भक्तजन मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए कई विशेष उपाय भी करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत कब है?
- कार्तिक पूर्णिमा 15 नवम्बर 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय शाम 04 बजकर 34 मिनट पर होगा।
- पूर्णिमा तिथि 15 नवम्बर 2024 को 06 बजकर 19 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवम्बर 2024 को मध्यरात्रि 02 बजकर 52 मिनट पर होगा।
क्यों रखा जाता है कार्तिक पूर्णिमा का व्रत?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। इसके अलावा पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लेकर असुर त्रिपुरासुर और उसके भाइयों का वध किया था। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में, गंगा स्नान करके दीये जलाने का विधान है।
शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र तीर्थ स्थल जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
जानें कार्तिक पूर्णिमा व्रत का महत्व
हिंदू धर्म ग्रंथों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया धर्म कर्म मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिक स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करना 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी इसी दिन हुआ था।
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने के नियम
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन वैसे तो किसी जलाशय या पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो पाए तो, घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
- ब्रह्म मुहूर्त में ही सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद तुलसी के पौधे की जड़ों में गाय का दूध अर्पित करें, दीप प्रज्वलित करें, धूप दिखाएं, भोग लगाएं और आरती उतारें।
- इस दिन भोग में तुलसी जी को 30 या 31 पूड़ी और खीर अर्पित करना शुभ माना गया है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत की पूजा सामग्री लिस्ट
- चौकी
- पीला वस्त्र
- केले के पत्ते
- गंगाजल
- शिव जी, भगवान विष्णु, गणेश जी, माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र
- अक्षत, कलश, मौली
- शुद्ध जल, सुपारी, सिक्का
- हल्दी, कुमकुम, आम के पत्ते
- नारियल
- घी का दीपक
- पुष्प, जनेऊ, दूर्वा, हल्दी, चंदन और कुमकुम
- पीले फूलों की माला
- कमल का फूल और सुहाग सामग्री
- पंचामृत, पंजीरी
- फल और मिठाई
- धूप, आरती थाली, दक्षिणा।
कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा की विधि क्या है?
- कार्तिक पूर्णिमा पूजा के लिए ईशान-कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी स्थापित कर लें और चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
- इस चौकी के ऊपर केले के पत्तों का मंडप लगाएं।
- चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को शुद्ध कर लें।
- अब चौकी पर अक्षत का आसन देत हुए, भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर लें।
- इसके पश्चात् सभी प्रतिमाओं पर भी एक-एक करके गंगाजल छिड़कें।
- अब कलश की स्थापना के लिए मूर्ति के समक्ष चावल रखें या अष्टदल बनाएं और उस पर कलश रखकर उस पर मौली बांध दें।
- अब कलश में गंगा जल, शुद्ध जल, सुपारी, सिक्का, हल्दी, कुमकुम आदि डाल दें और इसके मुख पर आम के पत्ते रख दें।
- आम के पत्तों और नारियल पर भी मौली बांध कर रखें। मूर्ति या चित्र के दाएं तरफ एक घी का दीपक रख दें।
- सबसे पहले आसन ग्रहण करें और “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए आचमन करें।
- अब आप घी के दीपक को प्रज्वलित करें और हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें और फिर वह पुष्प भगवान जी के चरणों में अर्पित कर दें।
- सबसे पहने भगवान गणेश का पूजन करें। उन्हें हल्दी-रोली से तिलक करें। फिर उन्हें अक्षत, जनेऊ, लाल पुष्प और दूर्वा अर्पित करें।
- अब सत्यनारायण जी को हल्दी-चंदन का तिलक लगाएं और लक्ष्मी माता को कुमकुम-हल्दी को तिलक करें।
- सभी प्रतिमाओं को अक्षत अर्पित करें। इसके पश्चात् सत्यनारायण भगवान को जनेऊ चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं और पीले फूलों की माला पहनाएं।
- माँ लक्ष्मी को कमल का फूल, पुष्प माला, मौली और सुहाग की पूरी सामग्री अर्पित करें।
- अब भोग में आप भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को पंचामृत, पंजीरी, फल और मिठाई का भोग लगाएं। भगवान गणेश जी को भी मिठाई और फल अर्पित करें।
- भोग के साथ भगवान जी को दक्षिणा भी अर्पित करें।
- अब सत्यनारायण भगवान की कथा को पढ़ें या सुनें।
- अब विधि विधान से शिव जी की पूजा करें, और उन्हें भी फल-फूल, धूप-दीप आदि अर्पित करें।
- इसके पश्चात् सभी प्रतिमाओं को धूप दिखाएं और उनकी आरती उतारें।
- अंत में हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर सभी से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगे और अक्षत व पुष्प को भगवान के चरणों में छोड़ दें।
- इसके पश्चात् अगर आप व्रत रख रहे हैं तो स्वयं फलाहार ग्रहण करें और परिवारजनों में प्रसाद वितरित कर दें।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत के दिन किया जाने वाले उपाय
स्नान
शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी व सरोवर एवं धर्म स्थान में जैसे, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान किए नहीं रहना चाहिए। तो इस दिन स्नान अवश्य करें।
तुलसी पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शालिग्राम के साथ ही तुलसी जी की पूजा की जाती है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं, जिससे आपकी मनोकामना पूरी हो और दरिद्रता दूर हो सके।
पूजा-पाठ
इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन किए हुए होम, यज्ञ और उपासना का अनंत फल प्राप्त होता है।
पूर्णिमा का व्रत
कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत रखने का भी अत्यंत महत्व होता है। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण और चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोकामना पूरी होती है।
दान-धर्म
शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आप इस दिन विशेषकर जरूरतमंदों को दान करें।
दीपदान
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली भी मनाई जाती है। ऐसे में इस दिन पवित्र नदी या फिर देव स्थान पर जाकर दीपदान करना चाहिए। मान्यता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन की समस्याओं का अंत होता है।
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा तिथि उत्तम मानी जाती है। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि माँ लक्ष्मी के प्रसन्न होने पर श्री हरि की कृपा भी प्राप्त हो जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत से मिलते हैं ये लाभ
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से जातक के सभी पाप दूर होते हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत करने से घर में समृद्धि आती है, साथ ही नौकरी व्यापार में भी तरक्की होती है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत और पवित्र स्नान से शरीर में ऊर्जा आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य का वरदान मिलता है।
- इस दिन किए गए पूजा-पाठ और व्रत से परिवार में प्रेम और शांति बनी रहती है।
- कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत रखने और दान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत के दौरान ध्यान रखें ये बातें
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, लहसुन इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। हो सके तो भूमि पर शयन करें।
- इस दिन बुजुर्ग लोगों को दुख नहीं देना चाहिए अन्यथा किसी भी देवता की कृपा नहीं प्राप्त होगी।
- इस दिन घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए और न ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के द्वार पर आए भिखारी को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीब, असहाय, बुजुर्ग या फिर किसी से कटु वचन नहीं बोलें और न ही किसी का अपमान करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी जानवर की हत्या नहीं करनी चाहिए और ना ही उसे मारना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए और ना ही तुलसी को जड़ से उखाड़ना चाहिए।