केदार गौरी व्रत | Kedar Gauri Vrat 2024
केदार गौरी व्रत, जिसे 'केदारेश्वर व्रत' भी कहा जाता है, सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठानों में से एक है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और दक्षिण भारत में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। 21 दिनों तक चलने वाला यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर दिवाली के दिन अमावस्या को समाप्त होता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार ये पर्व पुरत्तसी महीने में मनाया जाता है, जोकि तमिल हिंदू कैलेंडर का छठा महीना है।
इस लेख में आप जानेंगे-
- साल 2024 में केदार गौरी व्रत कब है?
- केदार गौरी व्रत का पौराणिक महत्व
- केदार गौरी व्रत की पूजा विधि
- केदार गौरी व्रत के लाभ
साल 2024 में केदार गौरी व्रत कब है?
इस वर्ष केदार गौरी व्रत 01 नवंबर 2024 को आरंभ हो रहा है। केदार गौरी व्रत का समापन अमावस्या के दिन, यानी 01 नवंबर 2024, शुक्रवार को होगा। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर, गुरुवार को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर प्रारंभ होगी। अमावस्या तिथि का समापन 01 नवंबर, शुक्रवार शाम 06 बजकर 16 मिनट पर होगा।
केदार गौरी व्रत का पौराणिक महत्व
केदार गौरी व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जिसके अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव के शरीर का अंश बनने के लिए 21 दिनों तक कठोर तप किया था। कथा के अनुसार, माता पार्वती का एक भक्त था, जो कुछ समय बाद पार्वती जी की उपासना करना छोड़कर भगवान शिव की भक्ति करने लगा। इससे माता पार्वती नाराज हो गईं, और उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए ऋषि गौतम की तपस्या की।
ऋषि गौतम ने उन्हें 21 दिन तक व्रत रखने का निर्देश दिया। 21 दिनों तक कठोर व्रत का पालन करने के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अपने शरीर का बायां अंश माता पार्वती को समर्पित किया, जिससे उन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में जाना गया। तभी से इस व्रत की महिमा प्रचलित हुई।
मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा होती है, और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि व सौभाग्य का आगमन होता है।
केदार गौरी व्रत की पूजा विधि
व्रत के दौरान भक्त भगवान शिव और माता गौरी की आराधना करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है-
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- जल से भरे हुए कलश की स्थापना करें, और इसके चारों ओर 21 गांठों वाला धागा बांधें।
- पूजा में चंदन, चावल, फूल, फल और 21 प्रकार के नैवेद्य भगवान को अर्पित करें।
- भगवान शिव और माता गौरी के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें।
- पूजा के अंत में 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दें।
- व्रतधारी एक दिन, यानी कार्तिक अमावस्या को, या फिर पूरे 21 दिनों तक उपवास रख सकते हैं। यदि पूर्ण उपवास न हो सके, तो फल, दूध, और दही का सेवन किया जा सकता है।
- पूजा सम्पन्न होने के बाद परिवार के सदस्यों व अन्य भक्तों में प्रसाद बांटें।
केदार गौरी व्रत के लाभ
- केदार गौरी व्रत भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
- व्रत के दौरान की गई पूजा और उपवास से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत परिवार में सौभाग्य और खुशहाली लाता है।
- केदार गौरी व्रत करने से संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।
- भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन का वरदान मिलता है। - इसके अलावा ये व्रत करने से इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
- केदार गौरी व्रत करके 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान देने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
तो ये थी विशेष जानकारी ‘केदार गौरी व्रत’ के बारे में, जो भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक पवित्र और प्रभावी अनुष्ठान है। ये व्रत करने से शिव पार्वती प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों को सांसारिक सुख, धन-धान्य, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। हमारी कामना है ये व्रत रखने वाले सभी भक्तों को जीवन में खुशहाली, सौभाग्य और शांति मिले। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।