कुम्भ संक्रांति 2025 का समय आ रहा है! जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन के पुण्य लाभ को कैसे प्राप्त करें।
कुम्भ संक्रांति के बारे में
कुम्भ संक्रांति, हिन्दू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का एक विशेष रूप है, जो हर साल माघ मास की संक्रांति तिथि को मनाई जाती है। कुम्भ संक्रांति का नाम कुम्भ मेला से जुड़ा है, जो संगम क्षेत्र (प्रयागराज) में हर 12 साल में आयोजित होता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और एक नई ऊर्जा का संचार होता है। विशेष रूप से इस दिन तीर्थ स्नान का महत्व है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुन, और सरस्वती नदियों में स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यदेव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रान्ति कहा जाता है। आगामी 13 फरवरी को सूर्यदेव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। अतः इस दिन कुंभ संक्रान्ति का पर्व भगवान सूर्यनारायण की पूजा-अर्चना के साथ संपन्न किया जाएगा।
अतः इस दिन कुंभ संक्रान्ति का पर्व भगवान सूर्यनारायण की पूजा-अर्चना के साथ संपन्न किया जाएगा।
- कुम्भ संक्रान्ति पुण्य काल - 12:12 PM से 05:50 PM
- अवधि - 05 घण्टे 38 मिनट्स
- कुम्भ संक्रान्ति महा पुण्य काल - 03:57 पी एम से 05:50 पी एम
- अवधि - 01 घण्टा 53 मिनट्स
- कुम्भ संक्रान्ति का क्षण - 10:04 पी एम
कुम्भ संक्रान्ति की तिथि एवं इसका शुभ मुहूर्त
- संक्रान्ति करण: बालव
- संक्रान्ति दिन: Wednesday / बुधवार
- संक्रान्ति अवलोकन दिनाँक: फरवरी 12, 2025
- संक्रान्ति गोचर दिनाँक: फरवरी 12, 2025
- संक्रान्ति का समय: 10:04 पी एम, फरवरी 12
- संक्रान्ति घटी: 39 (रात्रिमान)
- संक्रान्ति चन्द्रराशि: सिंह Simha
- संक्रान्ति नक्षत्र: मघा (उग्र संज्ञक) Magha
कुम्भ संक्रान्ति फलम्कुम्भ संक्रान्ति फलम्
- छोटे (निम्न) कार्यों में शामिल लोगों के लिए यह संक्रान्ति अच्छी है।
- वस्तुओं की लागत सामान्य होगी।
- भय और चिन्ता लाती है।
- लोगों को स्वास्थ्य लाभ होगा, राष्ट्रों के बीच सम्बन्ध मधुर होंगे और अनाज भण्डारण में वृद्धि होगी।
शुभ समय
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:53 ए एम से 05:44 ए एम
- प्रातः सन्ध्या - 05:18 ए एम से 06:35 ए एम
- अभिजित मुहूर्त - कोई नहीं
- विजय मुहूर्त - 02:05 पी एम से 02:50 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त - 05:47 पी एम से 06:13 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या - 05:50 पी एम से 07:06 पी एम
- अमृत काल - 05:55 पी एम से 07:35 पी एम
- निशिता मुहूर्त - 11:47 पी एम से 12:37 ए एम, फरवरी 13
आप सभी की कुम्भ संक्रान्ति शुभ रहे।
ज्योतिष मान्यताओं एवं धार्मिक परम्पराओं के अनुसार सूर्यनारायण को समर्पित संक्रान्ति का दिन एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। अतः इस दिन कुछ विशेष कार्यों का पालन अनिवार्य माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन से जुड़ी कुछ विशेष सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखना आवश्यक है। आइये इस लेख में जानते हैं हैं कि आगामी संक्रान्ति पर क्या करें और क्या न करें -
संक्रान्ति पर अवश्य करें ये विशेष कार्य
- इस दिन प्रातः सूर्यदेव को अर्घ्य अवश्य दें। शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव का ध्यान करने से बुरी ऊर्जा का नाश होता है। साथ ही मान-सम्मान, यश और भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
- क्षमता के अनुसार संक्रान्ति के दिन ब्राह्मणों और जरूरमंदों को अन्न, वस्त्र आदि के दान का अत्यंत महत्व बताया गया है। यह आपको सूर्यदेव की असीम कृपा के साथ अक्षय फल एवं पुण्य का भागीदार भी बनाएगा।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। विशेषकर काशी, हरिद्वार एवं उज्जैन के गंगा घाटों में स्नान-ध्यान अत्यंत शुभ माना जाता है।
- संक्रान्ति के दिन पक्षियों को दाना और भूखे जानवरों को भोजन खिलाना भी अत्यंत फलकारी माना जाता है। साथ ही इस दिन गौ-दान करना और गाय को चारा खिलाना भी सौभाग्यदायक होता है।
- संक्रान्ति के विशेष अवसर पर किसी सुहागन स्त्री को सुहाग का सामान अवश्य दान करना चाहिए। आप इस दान में अपनी श्रद्धा अनुसार बिंदी, सिन्दूर, मेहँदी, आलता, लाल वस्त्र और श्रृंगार से जुड़ी बहुत सी चीजों को शमिल कर सकते हैं।
आइये अब जानते हैं संक्रान्ति के दिन कौन-कौन से कार्य न करें
- संक्रान्ति के दिन देर तक सोना घर-परिवार में दरिद्रता का कारण बनता है। इस दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोते रहने से आप सूर्यदेव के साथ ही शनिदेव के कोप के भागी भी बनेंगे।
- हिन्दू धर्म में संक्रान्ति के दिन मांस-मदिरा और शराब के सेवन को वर्जित माना जाता है। इस दिन ऐसा करना पाप की श्रेणी में आता है। - भूल से भी इस शुभ तिथि पर घर में या घर से बाहर भी मांस मदिरा और शराब का सेवन न करें।
- इस दिन आपका उत्सव किसी अन्य के लिए तकलीफ न बनें, इस बात का ध्यान रखें। इसलिए संक्रान्ति के शुभ दिन पर किसी की निंदा न करें, किसी से अपशब्द न कहें और अपने मन में सद्भाव रखें।
- संक्रान्ति के दिन अपने द्वार पर किसी भी भिखारी या अन्य व्यक्ति को खाली हाथ न लौटायें। उन्हें कुछ न कुछ दान अवश्य करें।
- संक्रान्ति का दिन भगवान नारायण के साथ ही प्रकृति को भी समर्पित है, अतः इस दिन पेड़ों की कटाई-छंटाई न करें।
हम आशा करते हैं कि संक्रान्ति का दिन आपके जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आए।
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष में 12 संक्रांतियां मनाई जाती हैं और सभी संक्रांतियों का अपना-अपना धार्मिक महत्व होता है। इस विशेष दिन पर स्नान, दान एवं भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है, और इससे जातक को कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होते हैं।
इस लेख में श्री मंदिर आपके लिए कुम्भ संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा विधि लेकर आया है। आप इस विधि का पालन करते हुए सूर्य नारायण की भक्ति करें और उनकी असीम कृपा के पात्र बनें।
कुम्भ संक्राति पर ऐसे करें भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना
- इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं, और पास के किसी जलाशय या नदी में स्नान करें।
- अगर ऐसा संभव न हों तो आप घर पर ही पानी में ही तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- स्नान करते समय मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें, स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
- यदि आप इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो सूर्यदेव को नमन करके व्रत का संकल्प लें, और तांबे के कलश में तिल, जल और फूल मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
- इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके, यहां नियमित रूप से की जाने वाली पूजा करें और सभी देवों को रोली, हल्दी, कुमकुम, धूप-दीप, पुष्प, अक्षत, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
- अब सर्वदेवों को नमन करके अपने घर परिवार के लिए सुख- समृद्धि और शांति की कामना करें।
- इस दिन आप उत्तम फल के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी की भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
- इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी ब्राम्हण एवं निर्धन जनों को अन्न (धान और गेहूं) और वस्त्र आदि का दान करके अपने व्रत को पूर्ण करें।
तो यह थी कुम्भ संक्रांति की पूजा विधि, आप भी इस दिन सूर्यदेव की भक्ति से अपने दिन को मंगलकारी बना सकते हैं, ऐसी ही अन्य पूजा विधियों को जानने के लिए आप श्री मंदिर के साथ बनें रहें।