लक्ष्मी जयंती 2025 कब है? क्या इस दिन विशेष पूजा से प्राप्त होगी अपार धन-संपत्ति? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व।
लक्ष्मी जयंती देवी लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आता है और इस दिन विशेष रूप से धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर ही 'माता लक्ष्मी' अवतरित हुई थीं। इसी कारण ये दिन लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि यदि जातक इस तिथि पर सच्चे मन से लक्ष्मी जी की आराधना करें, तो उनपर माता की विशेष कृपा होती है, एवं उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:32 AM से 05:20 AM तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:56 AM से 06:08 AM तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:43 AM से 12:31 PM तक |
विजय मुहूर्त | 02:07 PM से 02:55 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:04 PM से 06:28 PM तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:06 PM से 07:18 PM तक |
अमृत काल | 12:56 AM से 02:42 AM, 15 तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 AM से 12:31 AM तक |
हिंदू धर्म में जगतजननी माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि की देवी कहा जाता है। कहते हैं कि माता लक्ष्मी अत्यंत दयालु हैं। वो अपने भक्तों की पूजा से अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं, एवं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना के लिए कई विशेष दिन समर्पित हैं, उन्हीं में से एक है लक्ष्मी जयंती।
चलिए जानते हैं,
लक्ष्मी जयंती पर्व धन की देवी लक्ष्मी जी की आराधना करने का विशेष दिन है। भविष्य पुराण के अनुसार, जो जातक लक्ष्मी जयंती के दिन सच्ची श्रद्धा से मां लक्ष्मी का व्रत एवं पूजन करते हैं, उन्हें जीवन में समस्त सुख-सौभाग्य, एवं धन-धान्य प्राप्त होता है।
लक्ष्मी जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। ये पर्व विशेषकर दक्षिण भारत में मनाया जाता है।
इस दिन से जुड़ी पौराणिक मान्यता की बात करें तो पुराणों में वर्णन मिलता है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से 14 रत्न निकले, जिनमें से माता लक्ष्मी भी एक थीं। माता की एक भुजा वर मुद्रा में थी, और दूसरी भुजा में कलश था। कहते हैं कि जिस दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, उस दिन फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी। इसी कारण भक्त हर वर्ष फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाते हैं।
तो ये थी लक्ष्मी जयंती के महत्व एवं लाभ से जुड़ी जानकारी। इस पर्व की पूजा विधि सहित इस दिन से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ!
माता लक्ष्मी को धन एवं ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है। ऐसे में यदि कोई जातक लक्ष्मी जयंती के दिन सही विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करता है, तो उसे धन-धान्य और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन यदि आप व्रत रख सकें तो अति उत्तम होगा। यदि आप पूरे दिन व्रत रखने में असमर्थ हैं, तो केवल सच्चे मन से पूजा-आराधना करके भी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी जयंती के दिन किस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करें।
हम कामना करते हैं कि आपका यह लक्ष्मी जयंती का व्रत अवश्य सफल हो।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को लक्ष्मी जी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति हुई थी। इसलिए ये दिन माता के प्रति अपनी आस्था एवं भक्ति प्रकट करने का एक पर्व माना जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्तजन आज के शुभ दिन पर सच्चे मन से माता लक्ष्मी की भक्ति करते हैं, उन्हें उनकी अपार कृपा प्राप्त होती है, साथ ही जीवन में मानसिक और आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है।
शास्त्रों के अनुसार यदि लक्ष्मी जयंती के इस पवित्र दिन पर निम्न उपायों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मी जी की आराधना की जाए तो माता अतिशीघ्र प्रसन्न होती हैं, एवं शुभफल की प्राप्ति होती है।
अवश्य करें ये पाठ: लक्ष्मी जयंती के दिन कनकधारा स्त्रोत एवं सूक्त का पाठ करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का जप करना भी शुभ फल देने वाला माना जाता है।
माता लक्ष्मी को अर्पित करें ये वस्तुएं: लक्ष्मी जयंती के दिन पूजा के समय मां लक्ष्मी को श्वेत कमल, सोने के आभूषण, चाँदी, इत्र आदि अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपास्वरूप धन-धान्य की वृद्धि होती है।
इस दिन दान पुण्य का लाभ: लक्ष्मी जयंती के दिन पूजा पाठ करने के बाद दान- पुण्य करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगी।
करें दीप प्रज्ज्वलन: इस दिन माता लक्ष्मी के आगे केसरयुक्त घी का दीपक जलाएं। इसके उपरांत लक्ष्मी चलीसा का पाठ करें, ऐसा करने से माता की अपार कृपा होती है।
कन्याओं को कराएं भोजन: लक्ष्मी जयंती पर विधिवत् पूजन करने के पश्चात् 5 से 7 कन्याओं को भोजन अवश्य कराएं, साथ ही उन्हें यथासंभव दान-दक्षिणा भी दें। इससे घर में सदैव यश और सुख- समृद्धि बनी रहती है।
शंख से जलाभिषेक: इस पर्व पर दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर माता लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि शंख माता लक्ष्मी का भाई है, क्योंकि समुद्र मंथन के समय ही उसकी भी उत्पत्ति हुई थी। इसी कारण माता को शंख अति प्रिय है।
पहनें पीले वस्त्र: लक्ष्मी जयंती पर जातक पीले वस्त्र पहनकर मां लक्ष्मी की पूजा करें, इससे लक्ष्मी जी अति प्रसन्न होती हैं।
हम आशा करते हैं कि लक्ष्मी जयंती के शुभ दिन पर ये विशेष उपाय आपके लिए कल्याणकारी सिद्ध होंगे और इस माता की कृपा से आपके जीवन के सभी दुखों और कष्टों का अंत हो जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जयंती की तिथि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अति उपयुक्त मानी जाती है। चलिए जानते हैं लक्ष्मी जयंती पर माता की विशेष कृपा पाने के लिए उनके कुछ विशेष मंत्र व आरती, जिनका पाठ करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं, और मनोवांछित फल देती हैं।
इस लेख में शामिल हैं
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।
मंत्र का अर्थ
जय हो महालक्ष्मी माता जो कि श्रीं ह्रीं श्रीं जैसे बीज मंत्रों से परिपूर्ण हैं, जो कमल पर विराजमान हैं, जिनके स्मरण से समस्त प्रकार के प्रसाद अर्थात आशीर्वाद की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी महालक्ष्मी माता को हम नमस्कार करते हैं। वो हमें सम्पन्नता का वरदान दें।
मंत्र का लाभ
माता लक्ष्मी के इस मंत्र के जाप से कर्ज या धन संबंधी परेशानियां दूर होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का वास हो जाता है।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
मंत्र का अर्थ
कुबेर और श्रीं ह्रीं श्रीं जैसे बीजाक्षरों से सहित माता महालक्ष्मी को नमन करते हुए मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरा और समस्त जगत के लोगों का घर धन संपदा से भरा रहे और सभी के जीवन में सुख की प्राप्ति हो।
मंत्र का लाभ
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और अष्ट सिद्धि की कमी नहीं होती है।
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||
मंत्र का अर्थ
समस्त संसार को ऐश्वर्य प्रदान करने वालीं, श्री हरि विष्णु की प्रिया, विशिष्ट बुद्धि की धारक, हे माता महालक्ष्मी हम पर कृपा करें और हमें अपनी शरण में लें।
मंत्र का लाभ
इस मंत्र के जाप से घर परिवार में सुख व समृद्धि आती है।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
इन मंत्र व आरती के पाठ से आपकी लक्ष्मी जयंती की पूजा विधिवत् पूर्ण होगी और आप पर माता की अपार कृपा होगी।
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