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लक्ष्मी जयंती 2025 कब है?

लक्ष्मी जयंती 2025 कब है? क्या इस दिन विशेष पूजा से प्राप्त होगी अपार धन-संपत्ति? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व।

लक्ष्मी जयंती के बारे में

लक्ष्मी जयंती देवी लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आता है और इस दिन विशेष रूप से धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

लक्ष्मी जयंती 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर ही 'माता लक्ष्मी' अवतरित हुई थीं। इसी कारण ये दिन लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि यदि जातक इस तिथि पर सच्चे मन से लक्ष्मी जी की आराधना करें, तो उनपर माता की विशेष कृपा होती है, एवं उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

चलिए जानते हैं कि साल 2025 में लक्ष्मी जयंती कब मनाई जाएगी, एवं कब होंगे शुभ मुहूर्त

  • इस वर्ष लक्ष्मी जयन्ती 14 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
  • पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगा।
  • 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी।

लक्ष्मी जयंती के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:32 AM से 05:20 AM तक

प्रातः सन्ध्या

04:56 AM से 06:08 AM तक

अभिजित मुहूर्त

11:43 AM से 12:31 PM तक

विजय मुहूर्त

02:07 PM से 02:55 PM तक

गोधूलि मुहूर्त

06:04 PM से 06:28 PM तक

सायाह्न सन्ध्या

06:06 PM से 07:18 PM तक

अमृत काल

12:56 AM से 02:42 AM, 15 तक

निशिता मुहूर्त

11:43 AM से 12:31 AM तक

क्या है लक्ष्मी जयंती? जानें महत्व व लाभ

हिंदू धर्म में जगतजननी माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि की देवी कहा जाता है। कहते हैं कि माता लक्ष्मी अत्यंत दयालु हैं। वो अपने भक्तों की पूजा से अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं, एवं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना के लिए कई विशेष दिन समर्पित हैं, उन्हीं में से एक है लक्ष्मी जयंती।

चलिए जानते हैं,

  • क्या है लक्ष्मी जयंती?
  • लक्ष्मी जयंती का महत्व
  • लक्ष्मी जयंती पर मिलने वाले लाभ

क्या है लक्ष्मी जयंती?

लक्ष्मी जयंती पर्व धन की देवी लक्ष्मी जी की आराधना करने का विशेष दिन है। भविष्य पुराण के अनुसार, जो जातक लक्ष्मी जयंती के दिन सच्ची श्रद्धा से मां लक्ष्मी का व्रत एवं पूजन करते हैं, उन्हें जीवन में समस्त सुख-सौभाग्य, एवं धन-धान्य प्राप्त होता है।

लक्ष्मी जयंती का महत्व

लक्ष्मी जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। ये पर्व विशेषकर दक्षिण भारत में मनाया जाता है।

इस दिन से जुड़ी पौराणिक मान्यता की बात करें तो पुराणों में वर्णन मिलता है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से 14 रत्न निकले, जिनमें से माता लक्ष्मी भी एक थीं। माता की एक भुजा वर मुद्रा में थी, और दूसरी भुजा में कलश था। कहते हैं कि जिस दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, उस दिन फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी। इसी कारण भक्त हर वर्ष फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाते हैं।

लक्ष्मी जयंती पर मिलने वाले लाभ

  • लक्ष्मी जयंती पर विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करने वाले जातक के जीवन में कभी भी धन-धान्य का अभाव नहीं रहता है।
  • लक्ष्मी जयंती का व्रत स्त्रियों को संतान, धन, वैभव एवं शांति दिलाने वाला होता है।
  • ये व्रत रखने से रोगी को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, और आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है।
  • इस दिन लक्ष्मी मां की आस्था पूर्वक पूजा करने से घर में बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
  • लक्ष्मी जयंती पर माँ लक्ष्मी की पूजा करने से गृह क्लेश से छुटकारा मिलता है।

तो ये थी लक्ष्मी जयंती के महत्व एवं लाभ से जुड़ी जानकारी। इस पर्व की पूजा विधि सहित इस दिन से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ!

लक्ष्मी जयंती की पूजा विधि व व्रत

माता लक्ष्मी को धन एवं ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है। ऐसे में यदि कोई जातक लक्ष्मी जयंती के दिन सही विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करता है, तो उसे धन-धान्य और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन यदि आप व्रत रख सकें तो अति उत्तम होगा। यदि आप पूरे दिन व्रत रखने में असमर्थ हैं, तो केवल सच्चे मन से पूजा-आराधना करके भी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

चलिए जानते हैं कि लक्ष्मी जयंती के दिन किस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करें।

लक्ष्मी जयंती की पूजा सामग्री

  • गंगाजल, कमल का पुष्प, दूर्वा, अक्षत, चंदन, रोली, मौली, फल, मिष्ठान, लाल चुनरी आदि।

ऐसे करें पूजा की तैयारी

  • लक्ष्मी जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें, और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद व्रत एवं लक्ष्मी पूजन का संकल्प लें, और पूरे दिन लक्ष्मी जी के नाम का सुमिरन करते रहें।
  • अब पूजा स्थल को भली भांति स्वच्छ कर लें।
  • इसके पश्चात् पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  • अब अपने सामने एक चौकी रखें और गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें।
  • इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इसपर रंगोली के रूप में स्वास्तिक चिह्न बनाएं।
  • अब माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को विराजमान करें। बिना विष्णु पूजन के माता लक्ष्मी पूजा स्वीकार नहीं करती हैं।
  • अब गणेश जी को भी विराजमान करें। इसके लिए आप चाहें तो गणेश जी की मूर्ति ले सकते हैं, अथवा सुपारी के गणेश भगवान भी स्थापित कर सकते हैं।

ऐसे करें पूजा

  • सर्वप्रथम गणेश भगवान को दूर्वा से जल अर्पित करें। उन्हें अक्षत, पुष्प आदि चढ़ाएं, और चंदन का तिलक लगाकर पूजन करें।
  • उसके पश्चात् श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • लक्ष्मी जी को मौली चढ़ाएं और फूल अर्पित करें। फूल में यदि आप कमल चढ़ाएंगे तो अति उत्तम होगा, अन्यथा आप लाल गुलाब भी माता को अर्पित कर सकते हैं।
  • विष्णु भगवान को पीले पुष्प चढ़ाएं। इसके पश्चात् जल अर्पित करें।
  • अब लक्ष्मी माता को लाल चुनरी अर्पित करें।
  • आप सोने का एक आभूषण एवं चांदी का सिक्का लें। इन्हें भी माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए आभूषण व सिक्के को भी रोली अर्पित करें, और पूजा करें।
  • अब घी का दीपक जलाएं। यदि शुद्ध घी ना हो तो आप तिल के तेल का दीया भी चला सकते हैं।
  • इसके पश्चात् माता लक्ष्मी को धान से बनी खील अर्पित करें। ये लक्ष्मी जी को अत्यंत प्रिय होती है। आप मिठाई और खीर का भी भोग लगा सकते हैं।
  • अब सभी विराजमान देवों को धूप दिखाएं।
  • लक्ष्मी जयंती पर माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें। ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
  • लक्ष्मी जयंती की पूजा में माता लक्ष्मी के जन्म से संबंधित कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
  • अब आरती की थाली सजाएं, एवं एक कटोरी में थोड़ा सा कर्पूर डालकर लक्ष्मी-विष्णु व गणेश भगवान की आरती करें।
  • आरती संपन्न होने के पश्चात् हाथ जोड़कर माता का आशीर्वाद लें, और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।
  • अब घर के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।

हम कामना करते हैं कि आपका यह लक्ष्मी जयंती का व्रत अवश्य सफल हो।

लक्ष्मी जयंती पर नए साल में ऐसे करें माँ लक्ष्मी को प्रसन्न

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को लक्ष्मी जी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति हुई थी। इसलिए ये दिन माता के प्रति अपनी आस्था एवं भक्ति प्रकट करने का एक पर्व माना जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्तजन आज के शुभ दिन पर सच्चे मन से माता लक्ष्मी की भक्ति करते हैं, उन्हें उनकी अपार कृपा प्राप्त होती है, साथ ही जीवन में मानसिक और आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है।

शास्त्रों के अनुसार यदि लक्ष्मी जयंती के इस पवित्र दिन पर निम्न उपायों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मी जी की आराधना की जाए तो माता अतिशीघ्र प्रसन्न होती हैं, एवं शुभफल की प्राप्ति होती है।

अवश्य करें ये पाठ: लक्ष्मी जयंती के दिन कनकधारा स्त्रोत एवं सूक्त का पाठ करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का जप करना भी शुभ फल देने वाला माना जाता है।

माता लक्ष्मी को अर्पित करें ये वस्तुएं: लक्ष्मी जयंती के दिन पूजा के समय मां लक्ष्मी को श्वेत कमल, सोने के आभूषण, चाँदी, इत्र आदि अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपास्वरूप धन-धान्य की वृद्धि होती है।

इस दिन दान पुण्य का लाभ: लक्ष्मी जयंती के दिन पूजा पाठ करने के बाद दान- पुण्य करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगी।

करें दीप प्रज्ज्वलन: इस दिन माता लक्ष्मी के आगे केसरयुक्त घी का दीपक जलाएं। इसके उपरांत लक्ष्मी चलीसा का पाठ करें, ऐसा करने से माता की अपार कृपा होती है।

कन्याओं को कराएं भोजन: लक्ष्मी जयंती पर विधिवत् पूजन करने के पश्चात् 5 से 7 कन्याओं को भोजन अवश्य कराएं, साथ ही उन्हें यथासंभव दान-दक्षिणा भी दें। इससे घर में सदैव यश और सुख- समृद्धि बनी रहती है।

शंख से जलाभिषेक: इस पर्व पर दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर माता लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि शंख माता लक्ष्मी का भाई है, क्योंकि समुद्र मंथन के समय ही उसकी भी उत्पत्ति हुई थी। इसी कारण माता को शंख अति प्रिय है।

पहनें पीले वस्त्र: लक्ष्मी जयंती पर जातक पीले वस्त्र पहनकर मां लक्ष्मी की पूजा करें, इससे लक्ष्मी जी अति प्रसन्न होती हैं।

हम आशा करते हैं कि लक्ष्मी जयंती के शुभ दिन पर ये विशेष उपाय आपके लिए कल्याणकारी सिद्ध होंगे और इस माता की कृपा से आपके जीवन के सभी दुखों और कष्टों का अंत हो जाएगा।

लक्ष्मी जयंती के मंत्र एवं आरती

शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जयंती की तिथि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अति उपयुक्त मानी जाती है। चलिए जानते हैं लक्ष्मी जयंती पर माता की विशेष कृपा पाने के लिए उनके कुछ विशेष मंत्र व आरती, जिनका पाठ करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं, और मनोवांछित फल देती हैं।

इस लेख में शामिल हैं

  • लक्ष्मी मूल मंत्र।
  • कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र।
  • लक्ष्मी गायत्री मंत्र।
  • आरती: ॐ जय लक्ष्मी माता

लक्ष्मी मूल मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।

मंत्र का अर्थ

जय हो महालक्ष्मी माता जो कि श्रीं ह्रीं श्रीं जैसे बीज मंत्रों से परिपूर्ण हैं, जो कमल पर विराजमान हैं, जिनके स्मरण से समस्त प्रकार के प्रसाद अर्थात आशीर्वाद की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी महालक्ष्मी माता को हम नमस्कार करते हैं। वो हमें सम्पन्नता का वरदान दें।

मंत्र का लाभ

माता लक्ष्मी के इस मंत्र के जाप से कर्ज या धन संबंधी परेशानियां दूर होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का वास हो जाता है।

कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

मंत्र का अर्थ

कुबेर और श्रीं ह्रीं श्रीं जैसे बीजाक्षरों से सहित माता महालक्ष्मी को नमन करते हुए मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरा और समस्त जगत के लोगों का घर धन संपदा से भरा रहे और सभी के जीवन में सुख की प्राप्ति हो।

मंत्र का लाभ

इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और अष्ट सिद्धि की कमी नहीं होती है।

लक्ष्मी गायत्री मंत्र

ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||

मंत्र का अर्थ

समस्त संसार को ऐश्वर्य प्रदान करने वालीं, श्री हरि विष्णु की प्रिया, विशिष्ट बुद्धि की धारक, हे माता महालक्ष्मी हम पर कृपा करें और हमें अपनी शरण में लें।

मंत्र का लाभ

इस मंत्र के जाप से घर परिवार में सुख व समृद्धि आती है।

आरती: ॐ जय लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।

सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

इन मंत्र व आरती के पाठ से आपकी लक्ष्मी जयंती की पूजा विधिवत् पूर्ण होगी और आप पर माता की अपार कृपा होगी।

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Published by Sri Mandir·February 18, 2025

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