माघ गुप्त नवरात्र 2025 कब है?
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माघ गुप्त नवरात्र 2025 कब है?

माघ गुप्त नवरात्र 2025 (5 फरवरी से 13 फरवरी) तक होंगे। जानें इस खास अवसर का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में पूरी जानकारी।

माघ गुप्त नवरात्र के बारे में

माघ गुप्त नवरात्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माघ माह (जनवरी-फरवरी) के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है। इसे गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह शारदीय नवरात्र (जो अस्विन माह में होता है) के अलावा होता है और इसमें पूजा का तरीका थोड़ा अलग होता है।

माघ गुप्त नवरात्र 2025

हर साल माघ महीने की पहली तिथि से नवमी तिथि तक माघ गुप्त नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है। मगर विशेष मनोकामना की सिद्धि के लिए यह नवरात्रि 10 दिन की होती है। आइए जानते हैं, कि माघ महीने की नवरात्रि कैसे संपन्न होती है और उसमें क्या खास है।

सामान्यतः नवरात्रि 9 दिनों की होती है जो आश्विन और चैत्र महीने में आती है। मगर माघ गुप्त नवरात्रि में 9 दिन की नवरात्रि के साथ 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

माघ गुप्त नवरात्रि कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि 30 जनवरी को है। 30 जनवरी से शुरू होने वाली गुप्त नवरात्रि का समापन 06 फरवरी 2025 को होगा। आइये अब जानते हैं प्रतिपदा तिथि एवं शुभ मुहूर्त।

  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 29 जनवरी 2025 को 06:05 पी एम बजे से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - 30 जनवरी 2025 को 04:10 पी एम बजे तक
  • घटस्थापना मुहूर्त: 09:02 ए एम से 10:22 ए एम
  • अवधि - 01 घण्टा 20 मिनट्स
  • घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:49 ए एम से 12:33 पी एम
  • अवधि - 00 घण्टे 44 मिनट्स
  • घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
  • घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान है।
  • मीन लग्न प्रारम्भ - 30 जनवरी, 2025 को 09:02 ए एम बजे
  • मीन लग्न समाप्त - 30 जनवरी 2025 को 10:30 ए एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:58 ए एम से 05:50 ए एम
  • प्रातः सन्ध्या - 05:24 ए एम से 06:42 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त - 11:49 ए एम से 12:33 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:01 पी एम से 02:45 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:38 पी एम से 06:05 पी एम
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:41 पी एम से 06:59 पी एम
  • अमृत काल - 08:03 पी एम से 09:33 पी एम
  • निशिता मुहूर्त - 11:45 पी एम से 12:37 ए एम, जनवरी 31

माघ नवरात्रि कब और क्यों मनाई जाती है?

माघ नवरात्रि माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक चलती है। इस दौरान, तंत्र साधना या विशेष सिद्धि प्राप्त करने के लिए 10 दिन देवी दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार गृहस्थों को केवल सात्विक पूजा करने की सलाह दी जाती है।

नवरात्रि का महत्व और लाभ

माघ गुप्त नवरात्रि को महत्वपूर्ण रूप से मनोकामना को पूरा करने के लिए और सिद्धियां प्राप्त करने के लिए करते हैं। वहीं, गृहस्थ जीवन वाले लोग इस नवरात्रि में देवी की सात्विक में पूजा ही करते है और तामसिक पूजा अघोरी करते हैं।

माघ गुप्त नवरात्रि के व्रत और पूजन को संपन्न करने पर नौकरी और संपत्ति का लाभ मिलता है। इसके अलावा, इस दौरान की गई साधना से स्वास्थ्य का लाभ और रोग से मुक्ति मिलती है।

कैसे करें देवी की उपासना

पूजा विधि

  • गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर के देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर या लाल रंग के वस्त्र और चुनरी पहनाना चाहिए।
  • इसके बाद, एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोना चाहिए, जिसमें हर दिन जल का छिड़काव हो।
  • कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम के पत्ते और श्रीफल रखकर स्थापित करें।
  • फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से पूजा करें।
  • अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें।
  • गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात् देवी दुर्गा की आरती गाएं और अंत में कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करें।

माघ गुप्त नवरात्रि पौराणिक कथा

गुप्त नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तों को दर्शन दे रहे थे तब अचानक से भीड़ में एक स्त्री निकल कर आयी और ऋषि श्रृंगी से बोली, कि उसका पति ठीक तरह से बरताव नही करता हैं जिस कारण वह पूजा पाठ नहीं कर पाती। वह मां दुर्गा की सेवा करनी चाहती है और भक्ति साधना कर परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती है।

ऋषि श्रृंगी महिला के भक्ति भाव से प्रभावित हुए और तब उन्हें गुप्त नवरात्रि करने को कहा। तब महिला ने पूरे नियमानुसार गुप्त नवरात्रि की पूजा की। फिर कुछ दिनों के बाद उसके घर में सुख शांति वापस आ गई और उसका पति जो गलत रास्ते पर था, वह भी सही रास्ते पर आ गया।

तो यह थी माघ महीने के उत्तम पर्वों में से एक गुप्त नवरात्रि की विस्तृत जानकारी। माघ गुप्त नवरात्रि के पावन अवसर पर करौली में स्थित कैला देवी मंदिर में माताजी को चुनरी, ध्वजा, दक्षिणा, घी का दीपक, श्रृंगार का सामान आदि चढ़ावे के रूप में चढ़ाएं। यह सेवा श्री मंदिर पर आपके लिए उपलब्ध है और आप घर बैठे इस सेवा के माध्यम से माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी ही धर्म संबंधित जानकारी और त्योहारों के विषय में जानने के लिए जुड़े रहे श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·January 9, 2025

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