माघ प्रारम्भ उत्तर 2025 संपूर्ण जानकारी
image
ShareWhatsApp

माघ प्रारम्भ उत्तर 2025 संपूर्ण जानकारी

क्या आप जानते हैं माघ मास 2025 कब शुरू हो रहा है? जानें इसके धार्मिक महत्व, शुभ मुहूर्त और खास तिथियाँ जो बदल सकती हैं आपकी जिंदगी!

माघ प्रारम्भ उत्तर के बारे में

माघ महीने की शुरुआत मकर संक्रांति के आसपास होती है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे पुण्यकाल और शुभ कार्यों का समय माना जाता है। इस समय लोग गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। माघ स्नान और दान की परंपरा प्रचलित है। कथा और कीर्तन के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु और शिव की आराधना करते हैं। यह समय संयम, ध्यान और सेवा का माना गया है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है।

माघ मास 2025

भारत में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार यहाँ की संस्कृति और सभ्यता को दर्शाते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में माघ मास का महत्व बाकी अन्य सभी त्योहारों से काफी अलग होता है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं, कि यह माघ मास इतना विशेष क्यों है? और इसका क्या महत्व है?

माघ मास कब मनाया जाता है?

धार्मिक पुराणों के अनुसार, माघ का महीना पहले माध का महीना कहलाता था, लेकिन बाद में इसे बदलकर माघ कर दिया गया। यहाँ माध शब्द का संबंध भगवान श्री कृष्ण के माधव स्वरूप से है। इस बार माघ मास 14 जनवरी 2025 से आरंभ होगा और 12 फरवरी 2025 तक चलेगा।

  • माघ प्रारम्भ *उत्तर
  • 14 जनवरी 2025, मंगलवार
  • कृष्ण प्रतिपदा

इस दिन के शुभ समय

  • ब्रह्म मुहूर्त - 05:27 ए एम से 06:21 ए एम तक
  • प्रातः सन्ध्या - 05:54 ए एम से 07:15 ए एम तक
  • अभिजित मुहूर्त - 12:09 पी एम से 12:51 पी एम तक
  • विजय मुहूर्त - 02:15 पी एम से 02:57 पी एम तक
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:43 पी एम से 06:10 पी एम तक
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:46 पी एम से 07:07 पी एम तक
  • अमृत काल - 07:55 ए एम से 09:29 ए एम तक
  • निशिता मुहूर्त - 12:03 ए एम, जनवरी 15 से 12:57 ए एम तक, (15 जनवरी)

माघ माह का महत्व

हिंदू कैलेंडर में हर एक महीने का अपना एक विशेष महत्व होता है। इसी तरह माघ का महीना भी बड़ा पवित्र होता हैं। ऐसा कहा जाता है, कि इस महीने के प्रारंभ होते ही सभी तरह के मांगलिक कार्यों जैसे- शाही स्नान, दान, उपवास और तप करने का बड़ा महत्व होता है। इसके अलावा इस माह में नदियों के संगम पर कल्पवास भी किया जाता है। कल्पवास (वेदों को अध्ययन और ध्यान करना) करने से व्यक्ति का शरीर और आत्मा पवित्र हो जाती है।

ऐसी मान्यता है, कि माघ मास के दौरान पवित्र गंगा नदी में स्नान और दान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। इसके साथ ही, इस माह में पशुओं को चारा खिलाने और ज़रूरतमंदों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस माह से जुड़े विशेष पौराणिक तथ्य

महाभारत के युद्ध के दौरान जब पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने अपने कई मित्र और परिजनों को खो दिया, तब उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए उन्होंने कल्पवास किया था। इससे जुड़ी एक और पौराणिक कथा भी काफी प्रचलित है जिसके अनुसार, गौतमऋषि ने माघ के महीने में भगवान इन्द्र को श्राप दिया था। इसके पश्चात इन्द्र देव द्वारा क्षमा याचना करने पर गौतम ऋषि ने उन्हें गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने को कहा। तब इन्द्र देव ने गौतम ऋषि की बात मानते हुए पवित्र गंगा नदी में स्नान किया। इसके फलस्वरूप, इन्द्र देव को गौतमऋषि के श्राप से मुक्ति मिली। उस समय से हर साल माघ माह के दौरान लोग शाही स्नान करने के लिए पवित्र गंगा नदी पर जाते हैं।

माघ प्रारम्भ में क्या-क्या होता है?

प्राचीन पुराणों के अनुसार, भगवान नारायण को पाने का सबसे आसान मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है। माघ मास के दौरान प्रयागराज में एक महीने के लिए माघ मेले का आयोजन होता है। इस मेले में देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं और पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं। ऐसी मान्‍यता है, कि माघ के महीने में काले तिलों से पूजा करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। इसके साथ ही, काले तिलों से पितृ तर्पण किये जाने पर पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।

इसके अलावा इस महीने में भगवान कृष्ण की पूजा करना भी काफी शुभ माना जाता है। पूजा के लिए भक्तों को "ऊं श्रीनाथाय नम:" मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र का उच्‍चारण कोई भी व्यक्ति अपनी श्रद्धानुसार 11, 21 या फिर 51 बार कर सकता है। ऐसा कहा जाता है, कि पूजा करते वक्त इस इस मंत्र का उच्चारण करने से भक्तों की बड़ी से बड़ी परेशानी दूर हो जाती है।

इस पर्व से जुड़ी हुई पौराणिक कथा

इस पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा का उल्लेख स्कंदपुराण के रेवाखंड में माघ स्नान में किया गया है। इस कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नर्मदा तट पर सुव्रत नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उस ब्राह्मण को वेद-शास्त्रों और पुराणों की पूरी जानकारी थी, लेकिन वह स्वभाव से लालची था। उसने अपना पूरा जीवन पैसे इकठ्ठा करने में गुज़ार दिया था। सुव्रत जैसे-जैसे बूढ़ा हो रहा था, उसे कई प्रकार के रोग होते जा रहे थे।

अपनी ऐसी हालत देख सुव्रत को इस बात का एहसास हुआ, कि उसने अपना पूरा जीवन सिर्फ पैसे इकठ्ठा करने में गवां दिया। उस वक्त काफी सोच विचार करने के बाद सुव्रत ने यह मन बना लिया कि उसे स्वर्ग प्राप्ति के लिए कुछ अच्छे कार्य करना चाहिए। सुव्रत के ऐसा सोचते ही उसे एक श्लोक याद आया "माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति"। इस श्लोक का स्मरण करते ही, सुव्रत ने माघ मास में स्नान करने का संकल्प लिया और इसी श्लोक के आधार पर वह गंगा नदी में स्नान करने गया।

पूरे नौ दिनों तक सुबह जल्दी उठकर सुव्रत गंगा नदी में स्नान करने लगा और दसवें दिन उसने अपना शरीर त्याग दिया। इस तरह से माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से सुव्रत का मन और आत्मा दोनों पवित्र हो गई और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

तो यह थी माघ माह से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। ऐसे ही पर्व और त्यौहारों से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए, जुड़े रहिए श्री मंदिर के साथ।

divider
Published by Sri Mandir·January 3, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.