मासिक कार्तिगाई | Masik Karthigai
आज हम श्री मंदिर पर आपके लिए मासिक कार्तिगाई से जुड़ी हुई ज़रूरी जानकारी लेकर आए हैं, इसलिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
इस लेख में जानिए
- क्या है मासिक कार्तिगाई
- मासिक कार्तिगाई कब है?
- इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त क्या हैं?
- इस पर्व से जुड़ी हुई पौराणिक कथा
- कहां जलाते हैं महादीपम
- कैसे की जाती है इस दिन पूजा
मासिक कार्तिगाई क्या है?
मासिक कार्तिगाई एक मासिक त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से तमिल हिन्दुओं द्वारा काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मासिक कार्तिगाई को दीपम कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है।
मासिक कार्तिगाई कब है?
- नवंबर 2024 में मासिक कार्तिगाई 16 नवंबर, शनिवार को मनाई जायेगी।
त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाये जाते हैं। साथ ही, इस दिन भगवान शिव एवं उनके पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इनकी आराधना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
अन्य शुभ मुहूर्त क्या हैं?
- ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:31 से प्रातः 05:23 तक
- प्रातः संध्या - प्रातः 04:57 से प्रातः 06:16 तक
- अभिजीत – दिन में 11:21 से 12:04 तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर में 01:32 से 02:15 तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:09 बजे से 05:36 बजे तक
- सायंकाल संध्या – शाम 05:09 बजे से 06:28 बजे तक
- अमृत काल – शाम 05:19 से 06:45 तक
- निशिता मुहूर्त – रात 11:17 से 12:09, 17 नवंबर
विशेष योग
- सर्वार्थ सिद्धि योग – 16 नवंबर शाम 07:28 से 17 नवंबर प्रातः 06:17 तक
- अमृत सिद्धि योग – 16 नवंबर शाम 07:28 से 17 नवंबर प्रातः 06:17 तक
पौराणिक कथा
इस पर्व से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था। इसलिए उनके सम्मान में इस दिन ज्योत जलाने का विधान है।
कहां जलाते हैं महादीपम?
तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।
कैसे की जाती है इस दिन पूजा?
मासिक कार्तिगाई पर, भगवान-शिव और भगवान-मुरुगन का आशीर्वाद लेने का बहुत ही अधिक महत्व है और इसीलिये भक्तगण इस दिन सुबह-सुबह अपने दैनिक कार्यों को करने के बाद पूजा-अर्चना में लग जाते हैं। इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है।
- इस दिन भक्त स्नानादि के बाद अपने घर को साफ करते हैं।
- उसके बाद पूजा वेदी तैयार की जाती है, और भगवान मुरुगन की प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित की जाती है।
- आटा, घी और गुड़ से तैयार एक दीपक जलाया जाता है जो बहुत शुभ माना जाता है।
- सुब्रह्मण्य कवचम और कंडा षष्ठी कवचम का जाप करके पूजा की जाती है।
- अगरबत्ती, चंदन, हल्दी का लेप और सिंदूर भगवान को चढ़ाया जाता है।
- भक्त भोग के रूप में कई व्यंजनों को तैयार करते हैं।
- बाद में सुब्रह्मण्य जी की आरती की जाती है।
- कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। उपवास भोर के दौरान शुरू होता है और शाम के दौरान समाप्त होता है।
- सुबह के साथ-साथ शाम को भी पूजा की जाती है।
तो यह थी मासिक कार्तिगाई से जुड़ी ज़रूरी जानकारी, ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आप श्री मंदिर से जुड़े रहें।