नागुला चविथी 2024 कब है? जानें तारीख, शुभ समय और पूजा विधि, नाग देवता की कृपा से पाएं सुख-समृद्धि और आशीर्वाद!
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को अर्थात दीपावली के चौथे दिन नागुला चविथी मनाई जाती है। यह आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। नागुला चविथी नाग देवताओं के पूजन-अनुष्ठान का पर्व है। विवाहित महिलाएं अपनी संतान की मंगलकामना के लिए इस दिन पूजा करती हैं।
नाग देवताओं की पूजा करने का त्योहार नागुला चविथी मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार है। चविथी उत्सव के दौरान, महिलाएं उपवास रखती हैं और नागों की पूजा करती हैं। इस दिन सर्प देवता को दूध और सूखे मेवे का भोग लगाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन अष्टनाग की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सांपों को समर्पित कोई भी पूजा सीधे नाग देवता तक पहुंचती है। इसलिए लोग नाग देवता के प्रतिनिधि के रूप में उस दिन जीवित सांपों की पूजा करते हैं, जो हिंदू धर्म में पूजनीय हैं। मान्यताओं के अनुसार नागुला चविथी के व्रत और पूजन से परिवार के सभी तनाव दूर होते हैं।
तेलुगु संस्कृति के अनुसार नागुला चविथी से जुड़ी एक लोकप्रिय किंवदंती है, कि इसी दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल की विध्वंसक ज्वाला से ब्रह्मांड को बचाने के लिए इस विष को पी लिया था। यह विष उन्होंने अपने कंठ में ही रोक लिया, जिसके प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया। तभी से भगवान शिव नीलकंठ कहलाएं। भगवान शिव को नाग देवता बहुत प्रिय है, और इसे वे अपने कंठहार की तरह धारण करते हैं। इसीलिए इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं।
इस दिन नागों की पूजा करने का आदर्श तरीका है उन जंगलों और पुट्ट की रक्षा करना, जहाँ सांप और अन्य जंतु निवास करते हैं। नागों की पूजा मनुष्य को प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।
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