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नर्मदा जयंती 2025

नर्मदा जयंती 2025: जानिए कब और कैसे करें पूजा ताकि माँ नर्मदा की कृपा से हर मनोकामना हो पूरी।

नर्मदा जयंती के बारे में

नर्मदा जयंती हर वर्ष माघ शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है। यह दिन माँ नर्मदा नदी के अवतरण का उत्सव है। नर्मदा को हिंदू धर्म में जीवित देवी माना गया है और इसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है।

नर्मदा जयंती 2025

भारत में 7 प्रमुख नदियां हैं, उन्हीं में से एक है नर्मदा। इसी नर्मदा नदी से जुड़ी है नर्मदा जयंती जिसे हर साल देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं नर्मदा जयंती क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं, तो चलिए आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं नर्मदा जयंती के बारे में।

नर्मदा जयंती कब है?

  • नर्मदा जयंती, इस वर्ष 04 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
  • सप्तमी तिथि आरंभ: 04 फरवरी 2025 को प्रातः काल 04 बजकर 37 मिनट से
  • सप्तमी तिथि समाप्त: 05 फरवरी 2025 को मध्यरात्रि 02 बजकर 30 मिनट तक

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:56 ए एम से 05:48 ए एम
  • प्रातः सन्ध्या - 05:22 ए एम से 06:40 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त - 11:50 ए एम से 12:34 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:03 पी एम से 02:47 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:42 पी एम से 06:08 पी एम
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:44 पी एम से 07:02 पी एम
  • अमृत काल - 03:03 पी एम से 04:34 पी एम
  • निशिता मुहूर्त - 11:46 पी एम से 12:38 ए एम, 05 फरवरी
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:40 ए एम से 09:49 पी एम
  • अमृत सिद्धि योग - 06:40 ए एम से 09:49 पी एम

नर्मदा जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?

हर साल माघ के महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है। मान्यता है, कि मां नर्मदा की श्रद्धा भाव से पूजा करने से मनुष्य के जीवन में सुख और वैभव का आगमन होता है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं।

इस दिन मां नर्मदा की पूजा कैसे करें

भारत में नर्मदा जयंती को एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। इस दिन मां नर्मदा के जन्मदिवस को काफी भव्य रूप से मनाया जाता है और नर्मदा के तटों को सजाया जाता है।

नर्मदा जयंती के दिन मां नर्मदा की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद, माँ नर्मदा को चुनरी और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। फिर उन्हें फल, फूल, मिठाई आदि भी चढ़ाएँ। इसके साथ ही, इस दिन हवन करने का भी विधान है। नर्मदा जयंती के दिन मां नर्मदा की परिक्रमा करना भी बहुत ज़रूरी होता है।

महत्व और लाभ

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, मां नर्मदा ने गंगा के तट पर कई वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब मां नर्मदा ने भगवान शिव से वरदान माँगा, कि ‘चाहे प्रलय ही क्यों ना आ जाए लेकिन मेरा नाश किसी भी परिस्थिति में ना हो, मैं ही पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी नदी रहूँ जो सभी पापों का नाश कर सके, मेरा हर एक पत्थर बिना किसी प्राण प्रतिष्ठा के पूजनीय हो और मेरे तट पर सभी देवी-देवताओं का निवास रहे।

भगवान शिव से मिले वरदान के कारण ही नर्मदा नदी का कभी विनाश नहीं हुआ। नर्मदा नदी के हर एक पत्थर को शिवलिंग का रूप माना जाता है और इन्हीं के तट पर सभी देवी-देवता निवास करते हैं। इतना ही नहीं, ऐसा कहा जाता है, कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जब देवताओं ने अंधकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। तो उस समय उस राक्षसी वध करने के दौरान देवताओं ने कई पाप किये थे, जिस कारण सभी देवता पाप में लिप्त थे। वह अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसका कोई विकल्प समझ नहीं आ रहा था। तब उन्हें महादेव का स्मरण आया और उन्हें ज्ञात हुआ, कि सिर्फ भगवान शिव ही उन्हें इस मुश्किल से बाहर निकाल सकते हैं। यह सोचकर सभी देवता भगवान विष्णु और ब्रह्मा सहित भगवान शिव के पास पहुँचे।

उन्होंने भगवान शिव को अपने पाप कर्मों की कथा सुनाई और उनसे विनती की, कि वह उनके पाप दूर करने का कोई उपाय बताएं। भगवान शिव उस समय ध्यान में लीन थे। मगर जैसे ही महादेव ने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से एक चमकता बिंदु उत्पन्न हुआ और पृथ्वी पर अमरकंटक स्थान के मेकल पर्वत पर जा गिरा।

इस बिंदु के गिरने से एक कन्या ने जन्म लिया। यह कन्या परम रूपवती थी। इसका नाम भगवान विष्णु और देवताओं द्वारा नर्मदा रखा गया। इस तरह भगवान शिव ने सभी देवताओं के अनुरोध पर नर्मदा नदी को उनके पापों को नष्ट करने के लिए उत्पन्न किया।

नर्मदा नदी के उत्पन्न होने की अन्य कथा

मां नर्मदा के उत्पन्न होने को लेकर एक और कथा प्रचलित है। इसके अनुसार, एक दिन भगवान शिव तपस्या में लीन थे। तब उनके शरीर से पसीना निकलने लगा, जो इतना अधिक था कि वह एक नदी के रूप में बहने लगा। वहीं नदी नर्मदा कहलाई गई।

तो यह थी नर्मदा जयंती की सम्पूर्ण जानकारी। इस लेख में आपने जाना कि कितनी विशेषताओं से पूर्ण है मां नर्मदा और क्यों मनाई जाती है नर्मदा जयंती। ऐसे ही और पौराणिक प्रसंगों के विषय में जानने के लिए बने रहिए श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·January 29, 2025

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