पापांकुशा एकादशी | Papankusha Ekadashi Vrat
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है। अन्य एकादशियों की तरह ये एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि ये व्रत करने से जातक के सभी पाप नष्ट होते हैं और अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक को धन-समृद्धि के साथ-साथ जीवन के उपरांत मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी कब है? | Papankusha Ekadashi Kab Hai
- पापांकुशा एकादशी रविवार, 13 अक्टूबर, 2024 को मनाएगी जाएगी।
- एकादशी तिथि- 13 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- एकादशी तिथि का समापन- 14 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर होगा।
- 14 अक्टूबर को पारण (व्रत तोड़ने का) समय दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से 3 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
- गौण पापांकुशा एकादशी सोमवार, अक्टूबर 14, 2024 को रहेगा।
- 15 अक्टूबर को, गौण एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 08 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
- पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।
इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त -
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 ए एम से 05:06 ए एम तक
- प्रातः सन्ध्या - 04:41 ए एम से 05:55 ए एम तक
- अभिजित मुहूर्त -11:21 ए एम से 12:07 पी एम तक
- विजय मुहूर्त - 01:40 पी एम से 02:27 पी एम तक
- गोधूलि मुहूर्त - 05:32 पी एम से 05:57 पी एम तक
- सायाह्न सन्ध्या - 05:32 पी एम से 06:47 पी एम तक
- अमृत काल - 05:09 पी एम से 06:39 पी एम तक
- निशिता मुहूर्त - 11:19 पी एम से 12:09 ए एम, (14 अक्टूबर) तक
- रवि योग - 05:55 ए एम से 02:51 ए एम, (14 अक्टूबर) तक
हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हों, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे।
पापांकुशा का अर्थ क्या है? क्या है इस एकादशी का महत्व?
पापांकुशा दो शब्दों का मेल है, पाप और अंकुश, इस प्रकार पापांकुशा का अर्थ हुआ - समस्त पापों पर अंकुश लगाने वाली। इस तिथि पर सभी व्रत रखने वालों के लिए पापांकुशा एकादशी इसके नाम को सार्थक करती है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जो लोग अज्ञानता वश किसी तरह का पाप करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद नरक का वास भोगना पड़ता है। वहीं पापांकुशा व्रत के प्रभाव से महापापी व्यक्ति के मन में भी पुण्य जागता है और वह सद्गति को प्राप्त होता है। यह व्रत करने से उसे भगवान विष्णु का संरक्षण मिलता है, और उसपर से पापों का भार कम होता है।
पापांकुशा एकादशी की पूजा सामग्री | Papankusha Ekadashi Puja Samagri
सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -
- चौकी
- पीला वस्त्र
- गंगाजल
- भगवान विष्णु की प्रतिमा
- गणेश जी की प्रतिमा
- अक्षत
- जल का पात्र
- पुष्प
- माला
- मौली या कलावा
- जनेऊ
- धूप
- दीप
- हल्दी
- कुमकुम
- चन्दन
- अगरबत्ती
- तुलसीदल
- पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री)
- मिष्ठान्न
- ऋतुफल
- घर में बनाया गया नैवेद्य
नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।
इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है।
पापांकुशा एकादशी की पूजा कैसे करें?
एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।
पूजा की तैयारी -
- एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
- एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
- इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
- अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
- अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।
एकादशी की पूजा विधि -
- सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
(सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
- चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
- अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
- इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
- अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
- भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
- इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
- भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
- अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
(ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
- इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।
इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।
साथ ही यह दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी विशेष है। इस दिन भगवान श्री हरि को सच्चे मन से चढ़ावा अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर के माध्यम से हम आपके लिए चढ़ावा सेवा लेकर आए हैं, जिससे आप घर बैठे अपने और अपने परिवार के नाम से वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर और गोवर्धन के गिरिराज मुखारविंद मंदिर में विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण को चढ़ावा अर्पित कर सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी पूजा पर इन मंत्रों का करें जाप
एकादशी के विशेष मंत्र
एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से आपको इस व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा।
कुछ जातक एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, लेकिन यदि वे भी पूजा के समय भगवान विष्णु का स्मरण करके नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करते हैं, तो वो भगवान विष्णु की कृपा का पात्र अवश्य बनेंगे।
इस लेख में हम ये जानेंगे!
- ॐ नमो एवं इसके लाभ
- कृष्णाय वासुदेवाय एवं इसके लाभ
- नारायणाय विद्महे एवं इसके लाभ
- शान्ताकारं भुजगशयनं एवं इसके लाभ
- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय एवं इसके लाभ
- श्री विष्णु जी की आरती
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
मंत्र का लाभ
यह मंत्र सर्वोत्तम विष्णु मंत्र माना जाता है। एकादशी के दिन 108 बार इस मंत्र का जाप करने से भगवान अति प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।
मंत्र का लाभ
जीवन में आंतरिक, पारिवारिक क्लेश दूर हो जाते हैं। मानसिक दुविधाओं से निजात पाने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं।
नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
मंत्र का लाभ
इस मंत्र के जाप से पारिवारिक कलह दूर होती है, और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
मंत्र का लाभ
इस मंत्र के जाप से मनुष्य निडर होता है।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरायेः
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय्
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्रीधनवन्तरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः ॥
मंत्र का लाभ
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
तो यह थी, पापांकुशा एकादशी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपको पापांकुशा एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे। ऐसी और भी धर्म सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए बने रहिए श्री मंदिर के साथ।