रंग पंचमी के दिन रंगों के त्योहार का आनंद लें और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें। जानें इसकी तिथि, महत्व और पूजा विधि!
रंग पंचमी होली के पांचवें दिन मनाई जाने वाली एक पारंपरिक और रंगों से भरी हुई त्योहार है। यह दिन विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। रंग पंचमी का धार्मिक महत्व भी है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
रंग पंचमी का त्यौहार होली के उत्सव का ही एक और दिन है। यह पर्व होली के बाद चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी देवताओं को गुलाल अर्पित करने का विशेष महत्व माना जाता है। कई स्थानों पर इस दिन को देवताओं की होली भी कहा जाता है। होली के समान ही इस दिन लोग एक दूसरे पर अबीर और गुलाल उड़ाकर खुशियां मनाते हैं, और गले मिलकर एक दूसरे का अभिवादन करते हैं।
आप भी रंग पंचमी के दिन गुलाल और अबीर को अपनी पूजा में अवश्य शामिल करें।
रंग पंचमी के पर्व के साथ महापर्व होली का समापन किया जाता है। भारत के अलग-अलग स्थानों पर रंग पंचमी का पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा बेहद लोकप्रिय है। यहां होली से लेकर रंग पंचमी की तिथि तक जमकर होली खेली जाती है और रंग पंचमी पर होली के पर्व का समापन कर दिया जाता है। इस दिन रंग खेलने के लिए अबीर गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है। इस कई तरह के विशेष पकवान भी बनायें जाते हैं जिसमें पूरनपोली सबसे खास है। महाराष्ट में रंग पंचमी के दिन जगह-जगह पर दही-हांडी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, इस दौरान मटकी फोड़ने वालों पर रंग फेंका जाता है। जो भी मटकी फोड़ने में सफल होता है उसे पुरस्कार भी दिया जाता है। साथ ही मछुआरों के लिए भी रंग पंचमी का दिन बेहद खास होता है। तमाम मछुआरे इस पर्व पर एक साथ मिलकर नाच-गाने के माध्यम से मनोरंजन करते हैं।
राजस्थान के जैसलमेर में रंग पंचमी की अलग ही धूम देखने को मिलती है। विशेषकर इस दिन मंदिरों में लोकनृत्यों का आयोजन किया जाता है। यहाँ के लोग रंग पंचमी के दिन हवा में नारंगी और फिरोजी रंग उड़ाकर खुशियां व्यक्त करते हैं। इसके साथ ही यहां कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
मध्यप्रदेश के इंदौर में रंग पंचमी को अत्यंत पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। इस दिन पूरे शहर में गाजे-बाजे के साथ धूम-धाम से जुलूस निकाला जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं। इस जुलूस को वहां के स्थानीय लोग “गेर” कहते हैं। इसमें सड़कों पर रंग मिला हुआ पानी छिड़का जाता है। साथ ही सूखे रंगों से होली खेलकर इस पर्व का आनंद उठाया जाता है। सभी धर्म व जाति के लोग इस जुलूस में हिस्सा लेते हैं और पूरा इंदौर इस दिन सौहार्द एवं भाईचारे के रंग में रंग जाता है।
इसके अतिरिक्त अगर आप रंग पंचमी से संबंधित अन्य जानकारी भी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे सभी लेख एवं वीडियो अवश्य देखें। हम आशा करते हैं कि रंगों का यह पर्व आपके जीवन में आनंद के अनेक रंग लेकर आये। तब तक आप बने रहें श्री मंदिर।
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