जानें सरस्वती पूजा की तिथि, समय, पूजा विधि और सामग्री की पूरी जानकारी।
दक्षिण में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। इसका पालन केरल और तमिलनाडु में आयुध पूजा के समान दिन किया जाता है। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान आखिरी चार दिनों तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सरस्वती आवाहन से होती है। जिसका अर्थ है, मां सरस्वती का आहान करना। इसके बाद सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन होता है। आइए जानते हैं सरस्वती पूजा कब है, कहां मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है...
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दक्षिण सरस्वती पूजा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है।
सरस्वती पूजा पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। देशभर के कई स्कूलों और कॉलेजों में सरस्वती पूजा भव्य रूप से मनाई जाती है। दक्षिण भारतीय में सरस्वती पूजा को आयुध पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।
आयुध पूजा को दक्षिण सरस्वती पूजा भी कहते हैं। इस दिन जातक शास्त्रों की पूजा करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता होते हैं, क्योंकि शास्त्रों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शास्त्रों की, शिल्पकार अपने उपकरणों की और विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं। जबकि कल से जुड़े लोग अपने यंत्रों की पूजा करते हैं।
दक्षिण सरस्वती पूजा का त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित है। शिवमहा पुराण के अनुसार देवी सरस्वती त्रिदेव का एक हिस्सा है और नवरात्रि के अंतिम दिन मां सरस्वती रूप में प्रकट होती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार इसी दिन देवी सरस्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए शक्तिशाली हथियार बनाए थे। जिस के बाद से हथियारों को पवित्र माना जाने लगा और उनकी पूजा करने लगे। इस परंपरा को आयुक्त पूजा कहा जाता है। इस दिन लोग रोज मुर्गा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले अपने औजारों और हथियारों की पूजा करते हैं।
Did you like this article?
जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 की तिथि, समय, पूजा विधि, और कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। यह व्रत माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
इन्दिरा एकादशी व्रत 2024 की तारीख, विधि और महत्व जानें। इस पवित्र व्रत से पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जानें दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है और यह कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।