सरस्वती पूजा 2024 | Saraswati Puja
दक्षिण में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। इसका पालन केरल और तमिलनाडु में आयुध पूजा के समान दिन किया जाता है। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान आखिरी चार दिनों तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सरस्वती आवाहन से होती है। जिसका अर्थ है, मां सरस्वती का आहान करना। इसके बाद सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन होता है। आइए जानते हैं सरस्वती पूजा कब है, कहां मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है...
सरस्वती पूजा 2024 कब है | Saraswati Puja Date and Time
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दक्षिण सरस्वती पूजा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है।
- दक्षिण सरस्वती पूजा 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को की जाएगी।
- विद्यारम्भम् संस्कार 13 अक्टूबर 2024, रविवार को होगा।
- नवमी तिथि प्रारम्भ - 11 अक्टूबर, 2024 को 12:06 PM बजे से
- नवमी तिथि समाप्त - 12 अक्टूबर, 2024 को 10:58 AM बजे तक होगा।
सरस्वती पूजा कहां मनाते हैं?
सरस्वती पूजा पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। देशभर के कई स्कूलों और कॉलेजों में सरस्वती पूजा भव्य रूप से मनाई जाती है। दक्षिण भारतीय में सरस्वती पूजा को आयुध पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।
क्या है दक्षिण सरस्वती पूजा (What is Saraswati Puja)
आयुध पूजा को दक्षिण सरस्वती पूजा भी कहते हैं। इस दिन जातक शास्त्रों की पूजा करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता होते हैं, क्योंकि शास्त्रों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शास्त्रों की, शिल्पकार अपने उपकरणों की और विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की पूजा करते हैं। जबकि कल से जुड़े लोग अपने यंत्रों की पूजा करते हैं।
सरस्वती पूजा का महत्व (Importance of Saraswati Puja)
दक्षिण सरस्वती पूजा का त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित है। शिवमहा पुराण के अनुसार देवी सरस्वती त्रिदेव का एक हिस्सा है और नवरात्रि के अंतिम दिन मां सरस्वती रूप में प्रकट होती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार इसी दिन देवी सरस्वती ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए शक्तिशाली हथियार बनाए थे। जिस के बाद से हथियारों को पवित्र माना जाने लगा और उनकी पूजा करने लगे। इस परंपरा को आयुक्त पूजा कहा जाता है। इस दिन लोग रोज मुर्गा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले अपने औजारों और हथियारों की पूजा करते हैं।
सरस्वती पूजा विधि (Saraswati Puja Vidhi)
- जातक को सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
- दक्षिण सरस्वती पूजा वाले दिन अब शुभ मुहूर्त से पहले पूजन की तैयारी करनी चाहिए।
- पूजा से पहले शास्त्रों की अच्छी तरह सफाई और फिर उन पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करना चाहिए।
- इसके बाद घी का दीपक जलाकर महाकाली स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- अब अपने शस्त्र पर कुमकुम, हल्दी का तिलक और फूल चढ़ाना चाहिए।
- अब जातक शास्त्र को धूप दिखाकर मिष्ठान का प्रसाद चढ़ा सकते है और सर्वे कार्य सिद्धि की कामना मां सरस्वती से कामना करनी चाहिए।
- इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद का वितरित करना चाहिए।
- दक्षिण सरस्वती पूजा करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- मां सरस्वती को सफेद रंग बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जातक को सफेद रंग धारण करके ही पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती पूजा की सामग्री (Saraswati Puja Puja Samagri)
- मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र - पूजा के लिए मां सरस्वती की एक सुंदर मूर्ति या चित्र का उपयोग किया जाता है।
- पुष्प - सफेद कमल, गुलाब, या अन्य सफेद रंग के फूल मां सरस्वती को अर्पित किए जाते हैं।
- धूप और दीप - पूजा में शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है और अगरबत्ती या धूप दी जाती है।
- अक्षत (चावल) - अक्षत को शुभ माना जाता है और इसे मां सरस्वती को चढ़ाया जाता है।
- फल - सेब, अंगूर, संतरा जैसे फल मां सरस्वती को अर्पित किए जाते हैं।
- मिठाई - मां सरस्वती को मिठाई जैसे मोतीचूर लड्डू, पेड़ा आदि चढ़ाए जाते हैं।
- पंचामृत - पंचामृत दूध, दही, शहद, घी और केसर से बनाया जाता है। इसे मां सरस्वती को अर्पित किया जाता है।
- कलश - एक कलश को जल से भरकर और उसमें आम के पत्ते, फूल और रोली लगाकर पूजा में रखा जाता है।
- वस्त्र - मां सरस्वती को सफेद या पीले रंग का वस्त्र चढ़ाया जाता है।
- पुस्तकें और वाद्य यंत्र - मां सरस्वती ज्ञान और कला की देवी हैं, इसलिए पुस्तकें और वाद्य यंत्र जैसे वीणा को पूजा में शामिल किया जाता है।
- रोली - रोली को शुभ माना जाता है और इसे मां सरस्वती की मूर्ति पर लगाया जाता है।
- चंदन - चंदन को भी शुभ माना जाता है और इसे मां सरस्वती की मूर्ति पर लगाया जाता है।
सरस्वती पूजा पर किन बातों का ध्यान रखें
- पूजा के समय पूरी तरह से शुद्ध रहें। स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें और मां सरस्वती की भक्ति में लीन रहें।
- पूजा की विधि का ठीक से पालन करें।
- पूजा का स्थान साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए।
- कुछ लोग सरस्वती पूजा के दिन व्रत रखते हैं।
- इस दिन ज्ञानार्जन का संकल्प लें।
- बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें।
- मां सरस्वती संगीत और कला की देवी हैं, इसलिए इस दिन संगीत या कोई कलात्मक कार्य किया जा सकता है।
- इस दिन दूसरों की मदद करने से भी मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं।
- पौधे लगाना भी इस दिन शुभ माना जाता है।