सरस्वती विसर्जन | Saraswati Visarjan, Kab Hai, Muhurat, Mantra, Vidhi

सरस्वती विसर्जन

सरस्वती विसर्जन के शुभ मुहूर्त, मंत्र, और विधि की पूरी जानकारी प्राप्त करें।


सरस्वती विसर्जन | Saraswati Visarjan

भारत के दक्षिण में केरल और तमिलनाडु में नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी और कई स्थानों पर अष्टमी तिथि को सरस्वती स्थापना करके माता का आवाहन किया जाता है। वहीं विजयदशमी या नवरात्री के 9वें दिन सरस्वती का विसर्जन किया जाता है।

इस लेख में आप जानेंगे -

  • सरस्वती विसर्जन का शुभ मुहूर्त
  • सरस्वती विसर्जन का महत्व
  • सरस्वती विसर्जन की कथा
  • सरस्वती विसर्जन की विधि

सरस्वती विसर्जन का शुभ मुहूर्त | Saraswati Visarjan Shbuh Muhurat

हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरस्वती विसर्जन आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान किया जाता है।

  • सरस्वती विसर्जन - 12 अक्टूबर 2024, शनिवार
  • श्रवण नक्षत्र विसर्जन मुहूर्त - 05:55 AM से 11:11 AM तक
  • अवधि - 05 घण्टे 16 मिनट्स
  • श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को 05:25 AM से
  • श्रवण नक्षत्र समाप्त – 13 अक्टूबर 2024, रविवार को 04:27 AM तक

सरस्वती विसर्जन का महत्व

नवरात्रि के आखिरी तीन दिन सरस्वती पूजन के लिए बहुत अधिक खास माने जाते हैं। इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों को माता सरस्वती के साथ पूजन स्थान पर रखकर उनका पूजन किया जाता है और पूजन के बाद इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए उठा लिया जाता है। दक्षिण भारत राज्य केरल और तमिलनाडु में इस पूजा को एदुप्पू कहते हैं।

सरस्वती विसर्जन की कथा | Saraswati Visarjan Katha

हिंदू पौराणिक ग्रथों के अनुसार जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन का कार्य कर रहे थे। तब मंथन के दौरान कई रत्न और अमृत उन्हें प्राप्त हुए थे। लेकिन इस दौरान एक शक्तिशाली शक्ति उत्पन्न हुई। जिस से देखकर देवता और दानव बहुत ही विचलित हुए।

इसके बाद सभी भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने उन्हें देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने को कहा, क्योंकि मां सरस्वती ही उच्च बुद्धिमत्ता और ज्ञान का अद्भुत दान दें सकती हैं। देवता और दानव इस सुझाव को मानते हुए देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करने लगे।

जिस के बाद देवी सरस्वती ने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया और बुद्धि और ज्ञान का वरदान दिया। देवता और दानव ने उस बुद्धि और ज्ञान का सहारा लेकर समुद्र मंथन को समाप्त किया और अमृत प्राप्त किया। इसके बाद सभी ने अमृत को समुद्र में विसर्जित करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर उन्होंने मां सरस्वती की पूजा की और देवी को समुद्र में विसर्जित कर दिया। जिससे इस दिन को सरस्वती विसर्जन कहा जाता है।

सरस्वती विसर्जन की विधि | Saraswati Visarjan Vidhi

  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भक्तों को स्नान करना चाहिए।
  • सरस्वती विसर्जन की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
  • इस के बाद घर की पूर्व दिशा में देवी सरस्वती जी की स्थापित की गई प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
  • फिर घी का दीपक जला कर सरस्वती मंत्र ”ॐ ऐं सरस्वती नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। बाद में बाद साबूदाने की खीर का भोग चढ़ाएं।
  • सरस्वती मूर्ति को जल में विसर्जन करने के लिए प्रसन्न मन से क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • बुद्धि बढ़ाने के लिए माँ पर दही और शहद का भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में उसका सेवन करें।
  • सरस्वती विसर्जन के बाद ब्राह्मणों को पूजा की दक्षिण अदा करनी चाहिए
  • जातक सरस्वती पूजा को करने के लिए इस विधि का पालन कर सकते हैं या फिर अपने पंडित से इस विसर्जन के बारे में सलाह भी लें सकते हैं।
  • इस नवरात्रि आप भी मां सरस्वती का विसर्जन करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते है।

सरस्वती विसर्जन मंत्र | Saraswati Visarjan Mantra

  • हाथ में जल लेकर कहें: "ओम सांग स्वाहन सपरिवार भूर्भुवःस्वः श्रीसरस्वती पूजित हो, प्रसन्न हों और मेरे साथ रहें।" (अगर आप देवी को घर में रखना चाहते हैं।)
  • अगर देवी को जल में विसर्जित करना हो, तो "प्रसन्ना" के बाद कहें: "क्षमस्व, अपने स्थान पर वापस जाएं।"
  • फिर गणेश जी के लिए कहें: "ओम गं गणपति पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"
  • नवग्रहों के लिए कहें: "ओम सूर्यादि नवग्रह पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"
  • दशदिक्पालों के लिए कहें: "ओम इन्द्रादि दशदिक्पाल पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"
  • शांति कलश में स्थित देवताओं के लिए कहें: "ओम शांति कलशाधिष्ठित देवता, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"
  • अंत में कहें: "सभी देवगण मेरी पूजा से प्रसन्न होकर मेरे इच्छित कार्य पूरे करें और फिर से वापस आएं।" इसके बाद शाम को मूर्ति को जल में प्रवाहित कर दें।

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