2024 में कब है शंकराचार्य जयंती? जानें महत्व!

2024 में कब है शंकराचार्य जयंती? जानें महत्व!

जानें सम्पूर्ण जानकारी


शंकराचार्य जयंती 2024 (Shankaracharya Jayanti Date 2024)

भारत भूमि इसलिए भी पूरी दुनिया में श्रेष्ठ मानी जाती है, क्योंकि देवों से लेकर अनगिनत महान विभूतियों की जन्म स्थली यही देश रहा है। इन्हीं महान विभूतियों में एक प्रमुख नाम आता है जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का।

हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य की सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती है। आदि शंकराचार्य ने सनातन परंपरा को एक सूत्र में जोड़े रखने के लिए देश के चार धामों में मठों की स्थापना की थी। हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

इस वर्ष 2024 में शंकराचार्य जयंती रविवार 12 मई 2024 को मनाई जाएगी। पञ्चमी तिथि का प्रारम्भ 12 मई 2024 को सुबह 02 बजकर 03 मिनट से होगी और पञ्चमी तिथि का समापन 13 मई 2024 को सुबह 02 बजकर 03 मिनट पर होगी।

शंकराचार्य जी ने मात्र 2 वर्ष की आयु में समस्त वेद, उपनिषद, रामायण एवं महाभारत को कंठस्थ कर लिया था, और 7 वर्ष की आयु वो सन्यासी बन गए थे। आइए जानते हैं आदि शंकराचार्य जी से जुड़ी रोचक बातें-

आदि शंकराचार्य कौन थे? (Who was Adi Shankaracharya?)

श्री आदि शंकराचार्य का का जन्म 788 में केरल के एक छोटे से गाँव कलादी मे हुआ। इनके जन्म से जुड़ी एक कथा हैं, इनके माता पिता- श्री शिवागुरू और माँ अर्याम्बा के घर लंबे इंतेज़ार के बाद भी कोई संतान नही हुई, तब इन्होने भगवान शिव की घोर आराधना की जिसके बाद भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर स्वप्न में दर्शन दिए और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। जब वो शिशु थे, तभी उनके माता-पिता को यह ज्ञात हो कि यह बालक औरों से भिन्न एवं अत्यंत तेजस्वी है। हालांकि शिशुकाल में ही उनके पिता का देहांत हो गया था।

शंकराचार्य को उनकी मां ने न केवल शिक्षा दी बल्कि जगद्गुरु बनने की राह भी दिखाई। उनकी शिक्षा का इतना गहरा प्रभाव हुआ कि बालक शंकर जब 7 वर्ष के हुए तो उन्होंने माता से वैराग्य धारण करने की आज्ञा मांगी, और सत्य की खोज में निकल गए। बाल्यावस्था में ही उन्हें वेदों का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया था।

बारह वर्ष की आयु में वे शास्त्रों के ज्ञाता बन चुके थे। सोलह वर्ष की उम्र में वे ब्रह्मसूत्र भाष्य समेत सौ से भी अधिक ग्रंथों की रचना कर चुके थे, साथ ही इतनी कम आयु में ही उनके अनेकों शिष्य बन चुके थे, जिन्हें वो शिक्षा देते थे। यही कारण था, कि आगे चलकर वो आदि गुरु शंकाराचार्य के रूप में प्रसिद्ध हुए।

आदि गुरु शंकराचार्य भारत के महानतम गुरु और दार्शनिक थे। शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के दर्शन का विस्तार किया। उन्होंने उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों के प्राथमिक सिद्धांतों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या की।

आदिगुरू शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के उत्थान के लिए भारतवर्ष के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की, जिन्हें आज भी हिंदू धर्म का सबसे पवित्र एवं प्रामाणिक संस्थान माना जाता है। ये चार मठ ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ, वेदान्त ज्ञानमठ अथवा श्रृंगेरी पीठ, शारदा मठ, द्वारिका, गोवर्धन मठ जगन्नाथ धाम हैं।

शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ

आदिगुरू शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के उत्थान के लिए भारतवर्ष के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की, जिन्हें आज भी हिंदू धर्म का सबसे पवित्र एवं प्रामाणिक संस्थान माना जाता है। ये चार मठ ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ, वेदान्त ज्ञानमठ अथवा श्रृंगेरी पीठ, शारदा मठ, द्वारिका, गोवर्धन मठ जगन्नाथ धाम हैं।

शंकराचार्य का माता से अटूट प्रेम

कहा जाता है कि शंकराचार्य का अपनी माता के प्रति इतना गहरा लगाव था कि उनके इस प्रेम को देखकर एक नदी ने भी अपने प्रवाह की दिशा बदल दी थी। वैराग्य धारण करते समय शंकराचार्य ने अपनी माता को वचन दिया था कि वो उनके अंतिम समय में उनके समीप ही रहेंगे। और ऐसा ही हुआ। जब शंकराचार्य की मां का अंतिम समय निकट आया, तो उन्हे इस बात का आभास हो गया, और वो पुनः अपने गांव गए। शंकराचार्य को देखने के पश्चात् ही उनकी मां ने अपने प्राण त्यागे। जब शंकराचार्य अपनी माता को दिए गए वचन के अनुसार, उनका दाह संस्कार करने लगे, तो संन्यासी होने के कारण सब उनका विरोध करने लगे।

लोगों के विरोध करने के बाद भी शंकराचार्य ने अपने हाथो अपनी माता का अंतिम संस्कार किया, किंतु इस कार्य में किसी ने उनका सहयोग नहीं किया। शंकराचार्य ने अपने घर के सामने ही चिता सजा कर अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद से ही केरल के कालड़ी में घर के सामने मृत परिजन की चिता जलाने की परंपरा आरंभ हुई।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

Download Sri Mandir app now !!

Connect to your beloved God, anytime, anywhere!

Play StoreApp Store
srimandir devotees
digital Indiastartup Indiaazadi

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.