शारदा पूजा 2024 | Sharda Puja
दिवाली के त्योहार पर जहां माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा मुख्य रूप से की जाती है, वहीं देवी सरस्वती की पूजा भी विशेष महत्व है। सरस्वती जी को हिन्दू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है। माता सरस्वती का एक नाम ‘शारदा’ भी है। गुजरात में अनुष्ठान को 'शारदा पूजा' या 'चोपड़ा पूजा' के नाम से भी जाना जाता है।
इस लेख में आप जानेंगे:-
- साल 2024 में शारदा पूजा कब है?
- शारदा पूजा का महत्व
- शारदा पूजा विधि
- शारदा पूजा के लाभ
शारदा पूजा कब है?
साल 2024 में शारदा पूजा 01 नवंबर, शुक्रवार को की जाएगी। इस दिन कार्तिक अमावस्या का भी शुभ संयोग रहेगा, जो पूजा को और अधिक शुभ बनाता है।
शारदा पूजा के विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:-
- प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) प्रातः 06 बजकर 06 मिनट से प्रातः 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
- अपराह्न मुहूर्त (शुभ) दिन में 11 बजकर 41 मिनट से 01 बजकर 05 मिनट तक रहेगा।
- अपराह्न मुहूर्त (चर) दोपहर में 03 बजकर 53 मिनट से शाम 05 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
शारदा पूजा का महत्व
मां शारदा, जिनका अन्य नाम देवी सरस्वती है, विद्या और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि देवी लक्ष्मी से प्राप्त धन और समृद्धि तभी स्थायी हो सकते हैं जब व्यक्ति के पास बुद्धि और ज्ञान का भी साथ हो। इसलिए, देवी लक्ष्मी के साथ-साथ देवी सरस्वती की पूजा करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।
ज्ञान और विद्या के बिना संपत्ति और समृद्धि किसी भी व्यक्ति के जीवन में अधिक समय तक नहीं रुक सकती। इसीलिए दिवाली के दिन देवी शारदा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह पूजा न केवल विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यापारी वर्ग में भी इसकी खास मान्यता है, क्योंकि इस दिन गुजरात में नए बही-खाते यानी "चोपड़ा" की पूजा भी की जाती है।
शारदा पूजा विधि
- शारदा पूजा विशेष प्रभावशाली मानी जाती है। इसे विधिपूर्वक करने से विद्या, बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- पूजा के लिए सबसे पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध हो जाएं, और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- अब एक साफ चौकी लें और उस पर गंगाजल का छिड़काव करें। चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और मां शारदा (सरस्वती) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- मां शारदा को सफेद या पीले रंग के फूल, सफेद चंदन और मिष्ठान अर्पित करें। उनकी पूजा में अगर आप 'सरस्वती यंत्र' स्थापित करें, तो यह और अधिक शुभ माना जाता है।
- मां शारदा की पूजा शाम के समय की जानी चाहिए। पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और उसके बाद मां शारदा की पूजा करें।
- पूजा के दौरान "ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
- देवी शारदा के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए उनकी पुस्तकों और वाद्य यंत्रों की पूजा भी अनिवार्य मानी जाती है।
- अब माता सरस्वती को दही, हलवा, और केसर मिली हुई मिश्री का भोग लगाएं।
- पूजा के अंत में मां शारदा की आरती करें, और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना अवश्य करें।
शारदा पूजा के लाभ
शारदा पूजा के अनेक लाभ हैं, जो न केवल विद्यार्थियों बल्कि व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों के लिए विशेष माने जाते हैं।
विद्यार्थियों के लिए
मां शारदा की पूजा से विद्यार्थियों के ज्ञान व बुद्धि में बढ़ोत्तरी होती है, और अध्ययन में मन लगता है। मान्यता है इस पूजा के प्रभाव से शिक्षा व करियर में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।
व्यापारी वर्ग के लिए
गुजरात में शारदा पूजा के दिन ही नए बही-खातों की शुरुआत की जाती है, जिस कारण इस अनुष्ठान को ‘चोपड़ा पूजन’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से व्यापार में सफलता मिलती है।
स्थायी समृद्धि की प्राप्ति
ये पूजा करने से माता शारदा अपने भक्तों को न केवल ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं, बल्कि जीवन भर धन- संपत्ति की कमी नहीं होने देती हैं।
तो ये थी जानकारी शारदा पूजा के बारे में। हमारी कामना है कि माता सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। व्रत त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।