शीतला सप्तमी कब है? जानें पूजा विधि, तिथि और व्रत के लाभ। शीतला माता की पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाएं।
शीतला सप्तमी हिंदू धर्म में माता शीतला की पूजा का विशेष दिन है। यह पर्व फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष सप्तमी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त शीतला माता की पूजा कर घर-परिवार में रोग-व्याधि से मुक्ति और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
शीतला सप्तमी होली पर्व के सात दिन बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। इस दिन मां दुर्गा के स्वरूप माता शीतला की उपासना की जाती है। और शीतला अष्टमी के दिन उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह व्रत संतानवती स्त्रियां प्रमुख रूप से अपनी संतान के उत्तम स्वास्थ्य व उनकी दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:26 ए एम से 05:13 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:50 ए एम से 06:01 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:41 ए एम से 12:29 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:07 पी एम से 02:55 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:08 पी एम से 06:32 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:09 पी एम से 07:21 पी एम तक |
अमृत काल | 04:08 पी एम से 05:53 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:41 पी एम से 12:28 ए एम, (22 मार्च) तक |
रवि योग | 6:01 ए एम से 1:46 ए एम (22 मार्च तक) |
हमारी कामना है कि ये शीतला सप्तमी व्रत सभी जातकों को शुभ फल प्रदान करने वाला हो, और सभी पर माता शीतला की कृपा सदैव बनी रहे। ऐसी ही व्रत त्यौहारों से जुड़ी धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।
Did you like this article?
जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 की तिथि, समय, पूजा विधि, और कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। यह व्रत माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
इन्दिरा एकादशी व्रत 2024 की तारीख, विधि और महत्व जानें। इस पवित्र व्रत से पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जानें दशहरा क्यों मनाया जाता है, इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है और यह कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।