सोमवार के व्रत में खाने का सही समय
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सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए?

सोमवार के व्रत में खाने का नियम, पूजा के बाद भोजन का महत्व और व्रत रखने की सही प्रक्रिया की जानकारी

सोमवार व्रत के बारे में

सोमवार का दिन भगवान शंकर का होता है। शिव की कृपा बनी रहे इसके लिए लोग सोमवार का व्रत रखना काफी पसंद करते हैं। व्रत के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को तो लोग बखूबी पालन करते हैं, मगर व्रत के बाद पारन के नियमों को अनदेखा कर देते हैं, जिससे उनका व्रत पूरी तरह सफल नहीं हो पता। आइए इस आर्टिकल में हम जानेंगे सोमवार के व्रत में खाना खाने के नियमों के बारे में।

सोमवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए?

हिंदू धर्म में व्रत को न केवल एक धार्मिक कृत्य बल्कि साधना और आत्म-शुद्धि का माध्यम माना जाता है। व्रत का अर्थ केवल भूखे रहना नहीं है, बल्कि यह संयम, साधना, और आत्म-अनुशासन का एक रूप है। विशेष रूप से सोमवार का व्रत, भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत साप्ताहिक सोमवार, सोलह सोमवार, या सावन के सोमवार के रूप में रखा जाता है। लेकिन व्रत तभी फलदायी होता है, जब इसके नियमों का पालन पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए। आइए जानते हैं सोमवार के व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।

व्रत की तैयारी: एक दिन पूर्व की आवश्यकताएँ

सोमवार का व्रत केवल उसी दिन का नहीं होता; इसकी तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है।

  • भोजन: व्रत से एक दिन पूर्व सात्विक भोजन ग्रहण करें। इस भोजन में मांसाहार, प्याज, लहसुन, अंडा, और अन्य तामसिक चीजों का सेवन न करें। यह सुनिश्चित करें कि आपका शरीर और मन शुद्ध हो।
  • स्नान और ब्रह्मचर्य: व्रत के दिन बाल न धोएं, इसलिए एक दिन पहले ही बाल धोने का कार्य कर लें। साथ ही, ब्रह्मचर्य का पालन करें।

सोमवार व्रत का आरंभ: प्रातःकालीन विधि

सोमवार के दिन प्रातःकाल सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें।

  • पूजा की तैयारी: साफ और सात्विक वस्त्र धारण करें। भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल, दूध, दही, और शहद से करें। पूजा में बिल्वपत्र, धतूरा, फूल, धूप-दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें व व्रत कथा पढ़ें। पूजा के बाद भगवान की आरती उतारें किसी भी भूल चूक के लिए क्षमा मांगें।

  • संकल्प: भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इस संकल्प में अपनी मनोकामना और व्रत की अवधि का उल्लेख करें।

व्रत के दौरान भोजन और नियम

व्रत का मूल उद्देश्य शरीर और मन पर संयम रखना है। इसलिए, भोजन और खान-पान से जुड़ी कुछ बातें ध्यान रखना आवश्यक है।

  1. फलाहार का चयन:

    • सुबह पूजा के बाद आप चाय, दूध, या घर में बना जूस ले सकते हैं।

    • दिन भर फल, मेवे, नारियल पानी या हल्का फलाहार लिया जा सकता है।

  2. भोजन का समय:

    • व्रत में बार-बार भोजन न करें। एक बार सुबह और एक बार शाम को फलाहार करें।

    • शाम को प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में भगवान शिव की पूजा के बाद ही कुछ ग्रहण करें।

  3. अन्न और नमक:

    • व्रत के दौरान अन्न और साधारण नमक का सेवन न करें। यदि नमक के बिना भोजन करना कठिन हो, तो सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
  4. पानी का सेवन:

    • व्रत के दौरान दिन भर पानी पीते रहें। यह आपके शरीर को ऊर्जा देगा।

प्रदोष काल में पूजा का महत्व

शाम के समय, सूर्यास्त के बाद, प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष पूजा का प्रावधान है।

  • यदि संभव हो, तो पास के शिव मंदिर जाएं और वहां दीप प्रज्वलित करें।

  • घर में विधिवत भगवान शिव की पूजा-आराधना करें।

  • इसके बाद फलाहार ग्रहण करें।

व्रत का पारण: अगले दिन की विधि

व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल भगवान शिव की पूजा के बाद किया जाता है।

  • पूजा विधि:

    • स्नान के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें।

    • पूजा में बिल्वपत्र, धूप-दीप, और नैवेद्य आदि अर्पित करें।

  • पारण का भोजन:

    • व्रत का पारण पूजा में अर्पित प्रसाद से करें।

    • पारण के दिन भी मांसाहारी भोजन, प्याज, और लहसुन का सेवन न करें। यह आपकी साधना को अशुद्ध कर सकता है।

सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत आपके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सुख-शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करता है।

आपके जीवन में व्रत, पूजा और भक्ति से जुड़े ऐसे ही महत्वपूर्ण विषयों को जानने के लिए श्री मंदिर से जुड़े रहें। भगवान शिव की अनंत कृपा आपके और आपके परिवार पर बनी रहे। ॐ नमः शिवाय।

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Published by Sri Mandir·February 12, 2025

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