वैकासी विसाकम् 2025 के अवसर पर भगवान मुरुगन की पूजा विधि, व्रत नियम और शुभ मुहूर्त जानें। यह दिन दिव्य ऊर्जा और भक्तिमय साधना के लिए अत्यंत पावन है।
वैकासी विसाकम एक पवित्र तामिल त्योहार है, जो भगवान मुरुगन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वैकासी माह की विशाखा नक्षत्र तिथि को आता है। इस दिन भक्त मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक करते हैं।
वैकासी विसाकम् दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जोकि हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान मुरुगन की पूजा करने का विधान है। तमिल पंचांग में वर्णन मिलता है कि इसी दिन स्वामी मुरुगन यानी कार्तिकेय का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मुरुगन की उपासना करने से जातक को जीवन में सदैव विजय प्राप्त होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस लेख में आप जानेंगे
वैकासी विसाकम तमिल मास वैकाशी में विशकाम नक्षत्र में मनाया जाता है। वैकाशी तमिल कैलेण्डर में दूसरा सौर मास है, और विशकाम सत्ताईस नक्षत्रों में से सोलहवाँ नक्षत्र है, जो हर महीने कम से कम एक बार ज़रूर आता है। आपको बता दें कि विशकाम नक्षत्र को हिन्दु कैलेण्डर में विशाखा नक्षत्र के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:58 ए एम से 04:39 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:19 ए एम से 05:19 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:49 ए एम से 12:44 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:35 पी एम से 03:31 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:12 पी एम से 07:32 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:13 पी एम से 08:14 पी एम तक |
अमृत काल | 05:41 ए एम से 07:28 ए एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:56 पी एम से 12:37 ए एम, 10 जून तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक |
रवि योग | 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक |
वैकासी विसाकम् दक्षिण भारत, विशेषतः तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। यह पर्व तमिल पंचांग के अनुसार वैकासी मास में विशाखा (विसाकम्) नक्षत्र के दिन आता है। इसी दिन भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) का जन्म हुआ था, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। इसे उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वैकासी विसाकम् का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति, शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। भगवान मुरुगन को देवताओं का सेनापति माना जाता है। वे धर्म की रक्षा के लिए असुरों से युद्ध करते हैं और भक्तों को संकट से मुक्ति दिलाते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को सफलता, स्वास्थ्य, संतान सुख और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल एक बार तारकासुर का आतंक बढ़ने के कारण तीनों लोक में हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने इस आसुरी संकट मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की उपासना की। शिव जी ने देवताओं की उपासना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि शीघ्र ही देवी पार्वती के गर्भ से कार्तिकेय का जन्म होगा, जो देवताओं के सेनापति बनेंगे। इस तरह भगवान कार्तिकेय के नेतृत्व में देवताओं ने तारकासुर पर विजय प्राप्त की। तमिल पंचांग के अनुसार, जिस दिन स्वामी कार्तिकेय का जन्म हुआ, उसी दिन वैकासी विसाकम का पर्व मनाया जाता है।
इस दिन मुख्य रूप से भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती और अन्य देवताओं की भी आराधना की जाती है। मंदिरों में विशेष पूजा, अभिषेक, होम और यात्रा निकाली जाती है।
वैकासी विसाकम् का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। यह त्योहार मुरुगन की दिव्य शक्ति, ज्ञान, साहस और करुणा का उत्सव है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान मुरुगन इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने स्वयं भगवान शिव को प्रणव मंत्र का अर्थ समझाया था। वे छह मुखों और बारह हाथों वाले देवता हैं, जिनमें ज्ञान, प्रेम, बल और धर्म की ऊर्जा समाहित है।
तो ये थी वैकासी विसाकम् पर्व की विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आप सभी पर भगवान मुरुगन की कृपा बनी रहे। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।
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