क्या आप अपने जीवन के पापों से मुक्ति पाकर परम पुण्य की प्राप्ति करना चाहते हैं? अगर हां, तो वैष्णव पापमोचिनी एकादशी आपके लिए सबसे उत्तम अवसर है!
वैष्णव पापमोचिनी एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी और वैष्णव एकादशी में सूर्योदय का अंतर होता है। कभी-कभी एकादशी तिथि लगातार दो दिनों तक होती है। ऐसे में जिस दिन सूर्योदय होता है, उस एकादशी तिथि को वैष्णव एकादशी कहा जाता है। चूँकि यह अधिकांश दूसरे दिन की एकादशी होती है, इसलिए इसे दूजी एकादशी भी कहा जाता है।
वैष्णव पापमोचिनी एकादशी के दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए साधु-सन्यासी, विधवाएं और वैकुण्ठ में निवास करने के इच्छुक श्रद्धालुओं को वैष्णव एकादशी के दिन व्रत करने की सलाह दी जाती है।
वैष्णव पापमोचिनी एकादशी 26 मार्च, 2025, बुधवार को है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:10 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:46 ए एम से 05:57 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:40 ए एम से 12:28 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:06 पी एम से 02:55 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:10 पी एम से 06:34 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:11 पी एम से 07:22 पी एम तक |
अमृत काल | 05:41 पी एम से 07:15 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:40 पी एम से 12:27 ए एम, मार्च 26 तक |
द्विपुष्कर योग | 03:39 ए एम, मार्च 26 से 05:56 ए एम, मार्च 26 तक |
वैष्णव एकादशी व्रत श्री विष्णु भगवान के सभी भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। हिन्दू कैलेंडर में यह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाएगी। वैष्णव पापमोचिनी को सभी एकादशियों में अधिक शुभ और विशेष माना जाता है।
इस शुभ दिन पर भक्त प्रातःकाल में उठकर सनान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं। साथ ही पूरे दिन उपवास रखते हैं। एकादशी बहुत कठिन व्रत है, जो एकादशी की सुबह से शुरू कर अगले दिन के सूर्योदय, यानी 'द्वादशी' तक चलता है। इस व्रत में रात्रि में जागरण करने की भी बहुत महत्ता है, इससे व्यक्ति के पुण्य में वृद्धि होती है।
वैष्णव पापमोचिनी पर लोग 'श्रीमद भगवद गीता' की भी पूजा करते हैं। इस दिन 'गीता पाठ' करना शुभ होता है। इस दिन वैदिक मंत्रों का पाठ करना चाहिए और साथ ही भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद के लिए 'विष्णु सहस्रनाम' का पाठ और श्रवण करना चाहिए।
इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति मृत्यु के बाद वैकुण्ठ को प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, वैष्णव पापमोचिनी का व्रत करने से आपके पितरों को भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
वैष्णव पापमोचिनी के पावन दिन पर आप पूजा के दौरान चुनरी, भोग, दूध, पुष्प आदि समर्पित कर अपने एवं अपने परिवार के लिए प्रभु की कृपा प्राप्त करें। ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए श्री मंदिर के साथ जुड़े रहें, धन्यवाद
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