वरलक्ष्मी व्रत 2024 (Varalakshmi Vrat 2024)
हर साल श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को मां वरलक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि ये व्रत जातक को सौभाग्य व समृद्धि प्रदान करता है। वरलक्ष्मी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता समाप्त हो जाती है, और उसकी आने वाली कई पीढ़ियां भी सुखमय जीवन बिताती हैं। यह व्रत माता लक्ष्मी को समर्पित है और सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
कब है वरलक्ष्मी व्रत ? (Varalakshmi Vrat 2024 Date and Time)
- वरलक्ष्मी व्रत 16 अगस्त 2024 को सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
- इस दिन सिंह लग्न पूजा मुहूर्त: प्रातः 05 बजकर 38 मिनट से 07 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
- वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक रहेगा
- कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 27 मिनट से 07 बजकर 58 तक रहेगा।
- वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त: रात 11 बजकर 05 मिनट से 01 बजकर 02 मिनट (17 अगस्त) तक रहेगा।
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व (Importance of Varalakshmi Vrat 2024)
देवी लक्ष्मी समृद्धि, धन, भाग्य, प्रकाश, ज्ञान, उदारता, साहस और उर्वरता की अधिष्ठात्री देवी हैं। विशेष रूप से विवाहित महिलाएं, देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं। वरलक्ष्मी का व्रत रखकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए देवी से प्रार्थना करती हैं और संतान प्राप्ति के लिए भी उनका आशीर्वाद मांगती हैं।
ऐसी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी का वरलक्ष्मी अवतार क्षीर सागर से हुआ है। माता सदैव 16 श्रृंगार करके सजी रहती हैं और उनका यह रूप एवं नाम भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। इसलिए उनका नाम वर और लक्ष्मी के मेल से वरलक्ष्मी पड़ा था। ऐसा कहा जाता है, कि इस व्रत को रखने से धन संबंधी सारी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस पूजा में विवाहित महिलाएं कठिन उपवास रखती हैं और नियमपूर्वक उनका पालन करती हैं। इसकी पूजा में कलश की पूजा करनें का भी खास महत्व है।
वरलक्ष्मी व्रत कैसे करें
- सबसे पहले एक मिट्टी का कलश लें और उसे गंगाजल से भरें।
- कलश को एक चौकी पर रखें और उसके ऊपर स्वस्तिक बनाएं।
- कलश को आम के पत्तों और फूलों से सजाएं। कलश में रोली, चावल, सिक्के और एक नारियल रखें।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को कलश के सामने स्थापित करें।
- मूर्ति को फूलों और चंदन से सजाएं।
- पूजा के लिए आपको इन सामग्री की आवश्यकता होगी- रोली, चंदन, फूल, दीपक, घी, अगरबत्ती, मिठाई, फल, धूप, नैवेद्य।
वरलक्ष्मी व्रत शुभ मुहूर्त (Varalakshmi Vrat 2024 Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 32 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन सायान्ह सन्ध्या मुहूर्त शाम 06 बजकर 32 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अमृत काल मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट (17 अगस्त) तक रहेगा।
वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि 2024 (Varalakshmi Vrat 2024 Puja Vidhi)
वरलक्ष्मी की पूजा में कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता होती है- देवी वरलक्ष्मी की प्रतिमा,फूलों की माला ,नारियल,कुंदन,छोटी घंटी, दीपक, अक्षत, चंदन, हल्दी, विभूति, शीश, कंघी, भोग, तेल दीया, आम्रपल्लव, पान के पत्ते, पंचामृत, दूध, दही, केला, मौली, धूप, धुनी, कपूर।
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि के अनुसार, उपासक को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नानादि सम्पन्न करना है। इसके पश्चात पूजा-स्थल के शुद्धिकरण के लिए उस स्थान पर गंगाजल छिड़कना है। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेते हुए, देवी की प्रतिमा को नए वस्त्रों, आभूषण इत्यादि से सुसज्जित करना है।
ऐसा करने के बाद एक चौकी पर गणपति जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति को स्थापित करना है। अब उनके सामने एक कलश पर चंदन लगाकर उसे स्थापित करें और एक नारियल पर हल्दी कुमकुम लगाकर, उसे उस कलश पर रखें। इसके बाद आम्रपल्लव, दूर्वा, अक्षत, फल, फूल, धूप, धुनी इत्यादि से माता की पूजा सम्पन्न करें।
देवी की प्रतिमा के सामने दीया जलाएं और वरलक्ष्मी की कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के पश्चात सभी को माता के प्रसाद का वितरण कर इस व्रत का पारण करें। इस दिन आप निराहार रहकर इस व्रत का पालन करें और रात्रि में आरती के पश्चात फलाहार ग्रहण करें।
वरलक्ष्मी व्रत की कथा (Varalakshmi Vrat 2024 Katha)
वरलक्ष्मी व्रत की कथा बहुत ही प्राचीन है। कहा जाता है कि मगध देश में कुंडी नामक एक नगर था। उस नगर में चारुमती नाम की एक महिला रहती थी। चारुमती अपने पति का बहुत ख्याल रखती थी और वह माता लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी। एक बार माता लक्ष्मी ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उसे वरलक्ष्मी व्रत करने का आदेश दिया। चारुमती ने माता के आदेश का पालन किया और इस व्रत को किया। इसके फलस्वरूप उसे और उसके परिवार को असीम धन-दौलत प्राप्त हुई।
वरलक्ष्मी व्रत में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- व्रत के दिन शुद्ध रहें। स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- मन को शुद्ध रखें और माता लक्ष्मी के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखें।
- व्रत को निष्काम भाव से करें। केवल माता लक्ष्मी की कृपा पाने की भावना से व्रत करें।
- पूजा विधि का सही तरीके से पालन करें।
- वरलक्ष्मी व्रत की कथा ध्यानपूर्वक सुनें।
- मंत्रों का जाप करते समय ध्यान केंद्रित करें।
- व्रत के दिन ब्राह्मण को भोजन करवाएं और दान दें।
- कुछ लोग व्रत के दिन निराहार रहते हैं।
- कुछ लोग एक समय भोजन करते हैं।
- कुछ जगहों पर सात प्रकार के अनाज से भोजन बनाकर माता लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है।
- कुछ जगहों पर सात प्रकार के फल माता लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं।
- कुछ महिलाएं सात रंगों के कपड़े पहनती हैं।
- कुछ लोग सात दीपक जलाते हैं।
वरलक्ष्मी व्रत के दौरान क्या न करें
- व्रत के दिन झूठ बोलने से बचें।
- व्रत के दिन क्रोध करने से बचें।
- व्रत के दिन किसी का अपमान करने से बचें।
- व्रत के दिन मांसाहार से परहेज करें।
- व्रत के दिन प्याज और लहसुन का सेवन न करें।