माँ यशोदा और श्रीकृष्ण की अनमोल लीलाओं का पर्व। जानें पूजा तिथि, विधि और इस दिन की पौराणिक कथा
यशोदा जयन्ती, भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहाँ भक्तगण माता यशोदा की पूजा और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। यशोदा को भगवान श्री कृष्ण की पालक माता माना जाता है, और उनके द्वारा श्री कृष्ण की परवरिश और पालन-पोषण की कथा अत्यधिक प्रसिद्ध है।
अंकाधिरूढं शिशुगोपगूढं स्तनं धयन्तं कमलैककान्तम्। सम्बोधयामास मुदा यशोदा गोविन्द दामोदर माधवेति।।
अर्थात् – अपनी गोद में बैठे बालगोपाल रूप भगवान विष्णु को स्तनपान करते हुए देखकर मातृत्व प्रेम में सराबोर हुई यशोदा मैया उन्हें ‘ऐ मेरे गोविन्द! ऐ मेरे दामोदर! ऐ मेरे माधव!’ आदि नामों से पुकारती थीं।
संसार में ऐसे बहुत से भाग्यशाली भक्त हुए हैं, जिनकी इच्छा के अनुसार स्वयं जगतपालक भगवान ने अनेक रूप धारण किए। लेकिन इस ब्रह्माण्ड के नायक श्री हरि को स्तनपान कराने और ओखल से बांधने का महाभाग्य केवल यशोदा रानी को ही प्राप्त हुआ।
यशोदा जयंती फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष ये पर्व, 18 फरवरी 2025, मंगलवार को पड़ रहा है।
यशोदा जयंती हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो कन्हैया की मैया 'यशोदा' के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यद्यपि कृष्ण को जन्म तो देवकी ने दिया था, लेकिन उनका लालन पालन करने का अवसर और मातृत्व का सुख यशोदा रानी को मिला। यशोदा जयंती को लेकर शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि यदि कोई स्त्री इस दिन माता यशोदा और श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करती है, तो उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यशोदा जयंती के अवसर पर मैया की गोद में विराजमान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप और यशोदा जी की पूजा करने का विधान है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार यशोदा जी ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण प्रकट हुए, और बोले- हे यशोदा! वरदान मांगो! तुम्हारी क्या इच्छा है? यशोदा ने कहा- हे भगवन्! मेरी एक ही अभिलाषा है कि आप मुझे पुत्र रूप में मिलें और अपनी माता कहलाने का महाभाग्य प्रदान करें।
यशोदा की बात सुनकर भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले- हे यशोदा! चिंता न करो! मैं तुम्हें अपनी मां कहलाने का वरदान देता हूं! विष्णु जी ने कहा- कुछ समय पश्चात् ही मैं वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा। लेकिन मेरा लालन-पालन तुम्हारे ही हाथों होगा, और समस्त संसार में तुम ही मेरी मैया के रूप में जानी जाओगी।
धीरे-धीरे समय का पहिया आगे बढ़ता गया और आख़िर वो अद्भुत संयोग आ ही गया, जब भगवान श्री कृष्ण ने वसुदेव-देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया। लेकिन वसुदेव ने अपने पुत्र को कंस के क्रोध से बचाने के लिए उन्हें अपने परम मित्र नंद के घर पहुंचा दिया। इस प्रकार भगवान ने यशोदा को दिया हुआ वरदान पूर्ण किया, और नंदरानी ने कान्हा पर जिस तरह से अपनी ममता न्यौछावर की, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।
श्रीमद्भागवत में वर्णन मिलता है कि नारायण ने जो महाभाग्य यशोदा को प्रदान किया, वैसी कृपा ब्रह्माजी, शंकर जी और स्वयं उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी को भी कभी प्राप्त नहीं हुई।
आशा है कि इस लेख से आपको यशोदा जयंती की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसी ही उपयोगी और धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।
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