शनि यंत्र के उपयोग, महत्व, और इसे स्थापित करने की पूजा विधि पर पूरी जानकारी।
कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही हो, या फिर कोई अन्य परेशानी दिन ब दिन आपको खाए जा रही हो। घर में शनि यंत्र को रखने से ये सारी परेशानी दूर होने लगती है। अगर आप भी मानसिक शांति चाहते हैं और भगवान शनि की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनि यंत्र आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अब इस यंत्र के क्या-क्या लाभ हैं? घर में इसे कैसे और कहां स्थापित करना है इस आर्टिकल में हम यही जानने वाले हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी के जीवन में शनि की साड़े शाती हो तो वह व्यक्ति ताउम्र कठिनाईयों, क्लेश, आर्थिक कष्ट में ही रहता है। कुंडली में शनि दोष होना बहुत पीड़ादायक होता है। मान्यता अनुसार, शनिदेव को एक ओर न्याय का देवता माना गया है तो दूसरी ओर उन्हें क्रोधी ग्रह भी माना जाता है।
ऐसे में इस प्रभाव से बचने के लिए शनि यंत्र एक कारगर उपाय है, जो साधक को इस दोष से बचा सकता है और जीवन को सुखद बना सकता है। इस प्रभावशाली यंत्र की उपासना से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल का आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि यदि जीवन में शनि देव की कृपा होती है तो पूरा जीवन सुखमय और आनंद में व्यतीत होता है।
शनि यंत्र का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत विशेष है। यह यंत्र शनि ग्रह से संबंधित होता है, जो कर्मफल के अनुसार जीवन में सुख या दुःख प्रदान करता है। शनि यंत्र का उपयोग शनि ग्रह के प्रभाव को शांत करने और शनि से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। शनि यंत्र की पूजा करते समय व्यक्ति अपने बुरे कर्मों का प्रायश्चित करता है और अच्छे कर्मों की ओर प्रवृत्त होता है। इस यंत्र के माध्यम से अपने कुंडली को दोषो को कम करने में सक्षम होता है।
शनि यंत्र की स्थापना शनिवार के दिन पश्चिम दिशा में शुभ मुहर्त में करनी चाहिए। शनि यंत्र की स्थापना करने से पहले अपने शरीर को पवित्र कर मन को शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके बाद विधि विधान से पूजा-अर्चना करें और शनि यंत्र को स्थापित कर दें। इस कार्य को करने के बाद शनि यंत्र के सामने बैठकर 11 या 21 बार “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और हाथ जोड़कर मन में शनिदेव से प्रार्थना करें कि वह अपनी कृपा बनाए रखें।
ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
इस यंत्र को स्थापित करते कुछ नियम और बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्थापना के दौरान अगर कोई भी गलती होती है तो इसका विपरित असर हो सकता है, जिससे साधक को इसके शुभ फल प्राप्त होने से वंचित रहना पड़ सकता है। इसके लिए यंत्र को स्थापित करते समय उसकी सही दिशा, दिन, मुहर्त को देख लेना चाहिए। वहीं, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है। साथ ही इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो।
इसके अलावा यंत्र को स्थापित करते वक्त पूजन सामग्री, स्वच्छता, मंत्रों का जाप आदि का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है। पूजन को पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा और पूर्णाहुति को भी पूरा करना चाहिए। विधि-विधान से स्थापना और पूजा करने से नकारात्मकता का घर में प्रवेश नहीं होता है और सुख समृद्धि हमेशा ही निवास करती है।
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