श्री यंत्र के महत्व, लाभ, और पूजा विधि पर विस्तार से जानें।
श्री यंत्र एक पवित्र और शक्तिशाली यंत्र है, जो देवी लक्ष्मी और धन-संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। इसे घर या पूजा स्थल पर स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि आती है। श्री यंत्र में त्रिभुज और बिंदु का विशेष महत्व होता है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को दर्शाता है। इसकी नियमित पूजा करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शांति व सफलता मिलती है।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, धन, शक्ति और सिद्धि की प्राप्ति सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन सभी तत्वों का संतुलन जीवन को सुखमय, समृद्ध और सफल बनाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, श्रीयंत्र की स्थापना करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। दुर्गा सप्तशती के 13वें अध्याय में एक श्लोक कहा गया है कि “आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा” यानी कि आराधना किए जाने पर आदि शक्ति मां दुर्गा मनुष्यों को सुख, भोग, स्वर्ग अपवर्ग देने वाली होती हैं।
उपासना सिद्ध होने पर सभी प्रकार की “श्री” चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति हो सकती है। इसीलिए इस यंत्र को श्री यंत्र कहा जाता है। इसके अलावा पौराणिक कथा के अनुसार, आदि शंकराचार्य के कठोर तप से प्रसन्न होने पर और उनके वरदान मांगने पर महादेव ने शंकराचार्य को साक्षात लक्ष्मीस्वरूप श्री यंत्र तथा श्री सूक्त के मंत्र प्रदान दिए थे। इस यंत्र को सर्व शक्तिशाली बताया गया है। यह दो प्रकार का होता है। जिसमंध एक ऊर्ध्वमुखी यानि ऊपर की ओर आकृति वाला होता है औऱ दूसरा अधोमुखी यानि नीचे की ओर की आकृति वाला होता है।
श्री यंत्र में जो अद्भुत ऊर्जा और शक्तियां समाहित हैं, वह जीवन में समृद्धि की धारा प्रवाहित करती हैं। इसे घर में रखने से न केवल धन की कमी दूर होती है, बल्कि घर में सुख, शांति, एश्वर्य और समृद्धि का वातावरण भी बनता है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रीयंत्र के पूजन को अत्यधिक फलदायी माना जाता है। क्योंकि यह यंत्र विशेष रूप से उनके दिव्य रूप और शक्तियों का प्रतीक है।
इसके नियमित पूजा और साधना से जीवन में हर प्रकार के संकटों का निवारण होता है और व्यक्ति हर मुश्किल का सामना करने के लिए आंतरिक शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। इसके साथ ही ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, श्रीयंत्र को विशेष महत्व दिया गया है, खासकर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के संदर्भ में। श्रीयंत्र एक शक्तिशाली तंत्र है, जिसमें 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है। यह मनुष्य को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह अपने जीवन में किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। इस प्रकार, श्रीयंत्र जीवन में धन, शक्ति, सिद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति का एक अद्वितीय साधन है।
हिंदू धर्म और आध्यात्म में श्री यंत्र का स्थान बहुत उच्च और पूजनीय है। इसे एक उत्कृष्ट धार्मिक और आध्यात्मिक साधन के रूप में समझा जाता है। इसके पूजन से सांसारिक जीवन आनंनदमय बनता है और गृह क्लेश से शांति मिलती है। श्री यंत्र के माध्यम से देवी लक्ष्मी अपने भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं, जिससे उनकी इच्छा पूर्ण होती है। यह यंत्र भक्तों को परमात्मा के साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
श्री यंत्र का निरंतर पूजन और ध्यान करने से के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। इस यंत्र में छिपी अदृश्य और अद्भुत तात्त्विक साधक को दिव्य दृष्टि और अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति कराने में सहायक होती हैं। इस यंत्र के माध्यम से साधक स्वयं में दिव्यता को महसूस करता है।
जीवन में श्री यंत्र के अनेक लाभ होते हैं। इस यंत्र के माध्यम से मानव का कल्याण होता है औऱ वह शक्ति, सिद्धि प्राप्त कर लेता है। साथ ही मां के आशीर्वाद से जीवन सुखमय भी बनता है। श्री यंत्र का पूजा और ध्यान जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। इससे जीवन में धन-सम्पति की कभी कोई कमी नहीं रहती है। इसके पूजन से शक्ति और सिद्धि की भी प्राप्ति होती है। इस यंत्र के माध्यम से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता समाप्त होती है। श्री यंत्र जिस जगह होता है वहां चारों तरफ का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है। इससे जीवन में किसी तरह की विपत्ति नहीं आती है। इससे व्यापार में सफलता, प्राप्त होती है और आर्थिक मजबूती होती है। इसके पूजन से तन मन स्वस्थ होता है औऱ रोगों का नाश होता है।
श्री यंत्र का उपयोग करने से पहले इसकी स्थापना करना जरूरी होता है। इसके लिए श्री यंत्र को घर में शुक्रवार के दिन या किसी शुभ मुहूर्त पर स्थापित करना चाहिए। इसके लिए एक चौकी पर गुलाबी या लाल रंग का आसन बिछाएं और पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद विधि-विधान से इसकी प्राण प्रतिष्ठा करानी चाहिए। फिर नियमित तौर पर प्रतिदिन पूरी पूजा सामग्री के साथ धूप, दीप, नैवेद्य, मिठाई चढ़ाएं।
इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए ओम् महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्, श्री महालक्ष्म्ये नम:, आदि इनमें से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा अन्य मंत्रों का भी जाप किया जाता है। ध्यान रखें श्री यंत्र का उपयोग करने से पहले किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि आदि से जरूर जानना चाहिए। क्योंकि इस स्थापना और इसकी पूजन विधि के कुछ नियम होते हैं जो बहुत जरूरी होते हैं।
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