लक्ष्मी जयंती के दिन जब माँ लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुईं, तब उन्होंने गणपति को अपना पुत्र स्वीकार किया और तभी से गणपति लक्ष्मी के साथ पूजनीय हो गए।
गणपति जहां केतु के कारक हैं और जीवन में विघ्न, बाधाएं व नकारात्मकता का नाश करते हैं, वहीं माँ लक्ष्मी शुक्र ग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो बुद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं।
महालक्ष्मी जन्मोत्सव पर माँ और पुत्र दोनों के संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करने का यह दुर्लभ अवसर न गवाएं!
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