माँ नर्मदा की आरती उनके पवित्र जल की महिमा और उनके उद्धारकारी रूप को समर्पित है।
भगवान शिव के द्वारा मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। माता नर्मदा आनंद तत्व, ज्ञान तत्व सिद्धि तत्व, मोक्ष तत्व प्रदान कर, शाश्वत सुख शांति प्रदान करती हैं | देव सरिता मां नर्मदा अक्षय पुण्य देने वाली है। विशेष कृपा पाने के लिए रोजाना सच्चे मन से माता की आराधना और आरती जरूर करें। उनकी आरती करने पर पितरों के दोष से भी मुक्ति प्राप्त होती है।
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनन्द कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव,
हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
देवी नारद शारद तुम वरदायक,
अभिनव पद चण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि शारद पदवनती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
देवी धूमक वाहन,
राजत वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत
झननना झननना रमती राजंती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
देवी बाजत ताल मृदंगा
सुरमण्डल रमती।
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान
तुरड़ड़ तुरड़ड़ तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनंदी।
गावत गंगा शंकर,सेवत रेवा शंकर,
तुम भव मेटन्ती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
मैया जी को कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
अमर कंठ विराजत,
घाटन घाट कोटी रतन ज्योति॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
मैया जी की आरती निशदिन
पढ़ि पढ़ि जो गावें।
भजत शिवानन्द स्वामी
मन वांछित फल पावे॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव,
हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥
ऐसी ही भक्तिमय आरती पाएं श्री मंदिर साहित्य में।
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