दुर्गा माता की कृपा से प्राप्त करें शक्ति, शांति और समृद्धि।
धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए मां दुर्गा उत्तपति हुई है। शास्त्रों में कहा गया है कि दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि या किसी दूसरे शुभ अवसर पर मां दुर्गा की स्तुति के लिए करना शुभ होता है। श्री दुर्गा चालीसा के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी गई है। कहा जाता है कि शत्रुओं से मुक्ति, इच्छा पूर्ति के साथ सभी मुरादें दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि के समय करने से हो जाता है।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे।
मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
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दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा को समर्पित स्तुति है, जिसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन किया गया है। सनातन धर्म में इसे बहुत शक्तिशाली माना जाता है, क्योंकि इससे मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मनष्य पर आने वाली अज्ञात विपत्ति टल जाती है। दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने वाले मनुष्यों को अद्वितीय लाभ होते हैं। जैसे कि- यह चालीसा मनुष्य के विचलित मन को शांत करके उनका मानसिक तनाव को कम करती है। जिस घर में दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ होता है, उस घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और परिवार के सभी सदस्यों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से इस घर में सुख-समृद्धि हमेशा बढ़ रहती है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में किसी तरह की असुरक्षा से जूझ रहा है, तो उसे इस स्तुति का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसका पाठ करने से सभी प्रकार का भय दूर होता है और मन में आत्मविश्वास बढ़ता है।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह का समय माना जाता है। इस समय, वातावरण शांत और शुद्ध होता है, जिससे मन एकाग्र होता है और इस स्तुति का प्रभाव अधिक होता है। साथ ही संध्या काल में स्वच्छ होकर दुर्गा चालीसा का पाठ किया जा सकता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन दिनों में इस स्तुति से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। मंगलवार और शुक्रवार का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है, इसलिए इन दो दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। माँ दुर्गा के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार इनमें से किसी भी समय दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष कृपा बरसती है। हमारे पुराणों में वर्णित है कि इन नौ दिनों में माँ दुर्गा स्वयं पृथ्वी पर वास करती है। इसलिए इस समय दुर्गा चालीसा का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि के दौरान वातावरण में बहुत पवित्र ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा दुर्गा चालीसा के जाप से उत्पन्न हुई तरंगों से मिलकर साधक के आसपास की सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, भय और बुरी शक्तियों का नाश करती है। इस प्रकार नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ विशेष फलदायक होता है।
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माँ दुर्गा की कृपा सदैव आप पर बनी रहे! जय माता दी!
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