चतुर्थी श्राद्ध क्या होता है? (Chaturthi Shradh Kya Hai)
सभी हिंदुओं के लिए पितृ पक्ष महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। 16 श्राद्ध में चौथा दिन जिसे चतुर्थी श्राद्ध नाम से जाना जाता है। परिवार के सदस्य इस दिन अपने उस पूर्वज के लिए श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं, जिनकी मृत्यु किसी भी महीने के दो चंद्र पक्ष में से किसी एक की चतुर्थी के दिन हुई थी। इस दिन पूर्वजों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
चतुर्थी श्राद्ध कब है? (Chaturthi Shradh Date)
- पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष की चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर, 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा।
चतुर्थी श्राद्ध मुहूर्त (Chaturthi Shradh Muhurat)
- कुतुप मूहूर्त - 11:26 AM से 12:15 PM, अवधि - 49 मिनट्स
- रौहिण मूहूर्त - 12:15 PM से 01:04 PM, अवधि - 49 मिनट्स
- अपराह्न काल - 01:04 PM से 03:29 PM, अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - सितंबर 20, 2024 को 09:15 PM बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त - सितंबर 21, 2024 को 06:13 PM बजे
चतुर्थी श्राद्ध कैसे करें? (Chaturthi Shradh Kaise Kare)
- श्राद्ध के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शरीर को शुद्ध किया जाता है।
- इसके बाद पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके गंगा जल से छिड़का जाता है।
- गंगाजल, जौ, कच्चा दूध, शहद, तुलसी की जलांजलि देने के बाद शुद्ध घी का दीप जलाएं। धूप दें, गुलाब का फूल चढ़ाएं।
- सबसे पहले देवी-देवताओं को जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद पिता से शुरुआत कर जिन भी पूर्वजों के नाम याद हों वहां तक सभी पितरों के नाम लेकर उनका उच्चारण करें।
- इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करने के बाद तर्पण कर्म करें।
- तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
- ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
- श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाता जाता है।
- इसके बाद भोजन को गाय, कौवे, कुत्ते और फिर चीटियों को खिलाएं।
- इस दिन घर में किसी भी तरह का कोई कलह न करें।
- श्राद्ध में मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
- श्राद्ध के दौरान दान करना शुभ माना जाता है।
- श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं।
- श्राद्ध के दिन काले वस्त्र नहीं पहनें।
चतुर्थी श्राद्ध का महत्व (Chaturthi Shradh Ka Mahatav)
पितृ पक्ष श्राद्ध कर्म है। श्राद्ध करने के लिए कुतुप मुहूर्त और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। इसके बाद का शुभ समय दोपहर के अंत तक रहता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि चतुर्थी श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान आदि करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। पितरों का आशीर्वाद जीवन में सफलता और सुख-शांति लाता है। गरुड़ पुराण में कहा गया कि मृत्यु के तेरह दिन बाद आत्मा की यमपुरी की यात्रा शुरू होती है। वह सत्रह दिन के बाद वहां पहुंचता है। यम के दरबार तक पहुंचने के लिए आत्मा ग्यारह महीने तक यात्रा करती है। इस अवधि के दौरान भोजन और पानी प्रदान करने के लिए पिंडदान और तर्पण इस विश्वास के साथ किया जाता है कि इससे आत्मा की भूख और प्यास संतुष्ट होगी।
पितृ पक्ष से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के मुताबिक श्राद्ध किया जाता है।
- अगर किसी मृत व्यक्ति की मृत्यु की तारीख पता न हो, तो अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है।
- पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
- पितृ पक्ष में पितरों से जुड़े काम करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है।
- पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- पितृ पक्ष, हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को खत्म होता है।