Pitru Paksha Me Kya Karna Chahiye aur Kya Nahi Karna Chahiye

पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें

पूर्वजों को प्रसन्न करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए इन परंपराओं और नियमों का पालन करें


पितृपक्ष एक ऐसा अवसर होता है, जब हम श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान के ज़रिए अपने पितरों द्वारा परिवार के प्रति निभाई गई जिम्मेदारियां का ऋण चुकाने का प्रयास करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध पिंडदान आदि कर्मों से प्रसन्न होकर उन्हें सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं। हालांकि एक छोटी सी भूल आपके पितरों को नाराज कर सकती है। ऐसे में हमें यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि पितृपक्ष के दौरान क्या करें, और क्या ना करें, ताकि हमें पितरों का आशीर्वाद मिले।

पितृ पक्ष के दौरान क्या करें | Pitru Paksha Me Kya Karna Chahiye

दक्षिण मुखी दीपक जलाएं

पितृपक्ष के दौरान पितरों की निमित्त कोई भी काम दक्षिण दिशा में मुख करके करने का विधान है। ऐसे में पितृपक्ष में हर दिन शाम को सरसों की तेल या घी का दीपक जलाएं, ध्यान रहे कि इस दीपक की लौ दक्षिण मुखी होनी चाहिए।

गायत्री मंत्र का जाप करें

गायत्री मंत्र शांति प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान भी इस मंत्र के जाप का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो जातक पितृपक्ष में गायत्री मंत्र का जाप करते हैं उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं

पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा आप जरूरतमंदों को भी भोजन करा कर उन्हें यथासंभव दान दक्षिणा दे सकते हैं। इससे भी आपके पितृ प्रसन्न होकर आपके आशीर्वाद देंगे।

इन जीवों को दें भोजन

मृत्यु के बाद हमारे पितरों का जन्म किस योनि में हुआ है, हमें इसकी जानकारी नहीं होती है। इसलिए यम के प्रतीक माने जाने वाले जीवों, जैसे गाय, कुत्ते, चींटियों और कौवे को भी पितृपक्ष में भोजन कराने का विधान है। बता दें कि गाय को वैतरिणी पार करने वाली, कौवा को भविष्यवक्ता और कुत्ते को आने वाली चुनौतियों का संकेत देने वाला माना गया है।

इन ग्रंथों का करें पाठ

पितृपक्ष में श्री मद्भागवत महापुराण वह श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें मान्यता है कि इससे भी हमें पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही अपने पितरों के लिए व घर के सभी वरिष्ठ सदस्यों के लिए अपने मन में आदर भाव रखें।

पितृ पक्ष के दौरान क्या न करें | Pitru Paksha Me Kya Nahi Karna Chahiye

शुभ कार्य न करें

पितृपक्ष में कोई शुभ या मांगलिक कार्य न करें, न ही इस समय में किसी नई वस्तु की ख़रीददारी करें। इससे पितरों की आत्मा को दुख पहुंच सकता है।

तामसिक भोजन न करें

श्राद्ध पक्ष में तामसिक भोजन निषेध माना जाता है। ऐसे में मांस-मदिरा आदि का सेवन ना करें। इसके अलावा लहसुन-प्याज के प्रयोग से बना भोजन भी करने से बचें।

लोहे के बर्तन का प्रयोग न करें

पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के लिए लोहे के बर्तन में भोजन ना बनाएं, बल्कि इस दौरान पीतल तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग उचित बताया गया है।

दाढ़ी-बाल न करवाएं

मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में दाढ़ी या बाल कटवाने से धन हानि होती है, इसलिए भूल कर भी इस अवधि में दाढ़ी बाल ना कटवाएं।

किसी को तकलीफ़ न पहुंचाएं

पितृपक्ष के दौरान किसी पर क्रोध करने, झूठ बोलने, चोरी करने और जीव हत्या जैसे पाप कर्म करने से बचें, वरना आप पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं, और वे इस दौरान किए गए श्राद्ध तर्पण आदि को अस्वीकार कर सकते हैं।

FAQs

क्या हम पितृ पक्ष के दौरान मंदिरों में जा सकते हैं? पितृ पक्ष में मंदिर जाना निषेध नहीं है, बल्कि आप हमेशा की तरह ही मंदिर जा सकते हैं और अपने आराध्य की पूजा अर्चना कर सकते हैं। हालांकि ध्यान रहे कि पितृपक्ष में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

पितृ पक्ष में महिलाओं को क्या करना चाहिए? पितृ पक्ष के दौरान महिलाओं को पितरों के श्राद्ध के लिए भोजन बनाने, घर का वातावरण शांत रखने, और दान पुण्य करने में अपने घर के पुरुषों का सहयोग करना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस घर में पुरुष नहीं है, घर की महिलाएं भी पितृपक्ष में अपने पितरों की निमित्त श्राद्ध पिंडदान आदि कर्म कर सकती हैं।

क्या लड़कियां तर्पण कर सकती हैं? आमतौर पर पितरों के निमित्त श्राद्ध पिंडदान आदि कर्म पुरुषों द्वारा किए जाते हैं। किंतु जिन पितरों के पुत्र या पौत्र ना हों, उनके लिए परिवार की स्त्रियों द्वारा भी ये कर्म किए जा सकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के कर्मों का फल प्रदान करने में स्त्री या पुरुष का भेद नहीं किया जाता है। इसी प्रकार पितरों के निमित्त भी जो कर्म किए जाते हैं, उसे स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है।

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