ऋषिकेश सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि योग, ध्यान और शांति का केंद्र भी है। जानें यहां की उन प्रमुख जगहों के बारे में, जो हर यात्री को अवश्य देखनी चाहिए।
अगर आप सोच रहे हैं कि ऋषिकेश सिर्फ रिवर राफ्टिंग, योग और हिप्पी कल्चर के लिए जाना जाता है, तो ठहरिए। इस शहर की असली रूह उन मंदिरों में बसती है, जहां हर सुबह आरती की गूंज और गंगा की बहती धाराएं एक अनोखा संगीत रचती हैं। आज हम उन्हीं मंदिरों से आपको रुबरु कराएंगे। तो आइए जानते हैं ऋषिकेश में मौजूद मंदिरों के बारे में।
ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और यहां मौजूद मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से अहम हैं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प दृष्टि से भी विशेष हैं। इस लेख में हम जानेंगे ऋषिकेश के 6 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जो हर श्रद्धालु और पर्यटक को ज़रूर देखने चाहिए। इन मंदिरों की यात्रा सिर्फ एक दर्शन नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव है।
इसे 'तेरह मंजिला मंदिर' भी कहा जाता है।
यह मंदिर गंगा नदी के राम झूला के पास स्थित है।
भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन हर मंज़िल पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारत की नागर शैली में है।
यहां से गंगा नदी और आस-पास के घाटों का सुंदर नज़ारा देखने को मिलता है।
यहां दर्शन के लिए हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
त्रयंबकेश्वर मंदिर, ऋषिकेश के सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक स्थलों में से एक है। 13 मंज़िल ऊँचे इस मंदिर में प्रत्येक तल पर देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जो इसे आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाते हैं। गंगा के किनारे स्थित यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक स्थापत्य चमत्कार भी है। यहां से दिखाई देता गंगा का प्रवाह, मंदिर के हर कोने में शांति का अनुभव कराता है।
ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर, माना जाता है कि इसकी स्थापना 12वीं शताब्दी में हुई थी।
भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर, एक विशाल शालग्राम पत्थर से बनी मूर्ति को समर्पित है।
इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी।
महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी के पर्व पर यहां विशेष पूजा होती है।
मंदिर शहर के मुख्य बाज़ार और त्रिवेणी घाट के पास स्थित है।
भारत मंदिर ऋषिकेश की आत्मा जैसा है। इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भरत से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि श्रीराम के भाई भरत ने यहां तप किया था। इस मंदिर का शांत वातावरण और ऐतिहासिक गहराई हर भक्त को आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाती है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और एक पौराणिक कथा से जुड़ा है – जहां शिव ने समुद्र मंथन के समय हलाहल विष का पान किया था।
नीलकंठ महादेव मंदिर समुद्र तल से करीब 1330 मीटर उंची है
यहां पहुंचने के लिए जंगलों से होकर जाने वाला ट्रेकिंग मार्ग भी है।
सावन महीने और महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर के आसपास की हरियाली और झरने इसे दर्शनीय बनाते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 32 किमी दूर स्थित है और यह जगह अध्यात्म के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है। शिव भक्तों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण स्थल है, जहां शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए ज़हर पिया था। यहां की यात्रा कठिन ज़रूर है, लेकिन अनुभव बेहद दिव्य।
यह मंदिर एक विशाल आश्रम परिसर का हिस्सा है।
यहां शाम की गंगा आरती बहुत प्रसिद्ध है।
मंदिर में भगवान राम, शिव, हनुमान और अन्य देवताओं की भव्य मूर्तियां हैं।
पर्यटकों के लिए योग, ध्यान, साधना और आयुर्वेद जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यहां नियमित सत्संग और प्रवचन होते हैं।
परमार्थ निकेतन का मंदिर न केवल पूजा-अर्चना के लिए, बल्कि आत्मिक शांति और साधना के लिए आदर्श स्थान है। यहां की गंगा आरती दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर शाम जब सैकड़ों दीप गंगा में प्रवाहित किए जाते हैं, तो उसका दृश्य ऐसा लगता है मानो आस्था स्वयं धरती पर उतर आई हो।
स्वामी शिवानंद द्वारा 1936 में स्थापित।
यहां ध्यान, योग और वेदांत अध्ययन की परंपरा है।
मंदिर में भगवान शिव की एक शांत और भव्य प्रतिमा है।
गंगा तट पर स्थित यह आश्रम शांति और सेवा का केंद्र है।
रोज़ाना पूजा, भजन और प्रवचन होते हैं।
शिवानंद आश्रम ऋषिकेश के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक केंद्रों में से एक है। यहां का शिव मंदिर गंगा के किनारे एक शांत ऊर्जा प्रदान करता है। यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष है जो गहराई से ध्यान, साधना और सेवा के मार्ग पर चलना चाहते हैं।
यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित एक शक्ति पीठ है।
ऋषिकेश से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित है।
समुद्र तल से 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यहां से हिमालय, ऋषिकेश और गंगा घाटी का अद्भुत दृश्य दिखता है।
यहां से सूर्योदय देखने का अनुभव बेहद खास होता है।
कुंजापुरी मंदिर एक ट्रेकिंग प्रेमी और एक श्रद्धालु दोनों के लिए ही रोमांचक और आत्मिक अनुभव देता है। सुबह-सुबह यहां पहुंचकर जब सूर्य की पहली किरणें मंदिर के शिखर को छूती हैं, तो वो दृश्य मन में सदा के लिए बस जाता है। देवी की कृपा और प्रकृति की खूबसूरती का मिलन यहां देखने को मिलता है।
ऋषिकेश की यात्रा मंदिरों के दर्शन के बिना अधूरी है। यहां के मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, ये हमारे जीवन के उस पक्ष को स्पर्श करते हैं जिसे अक्सर हम भागदौड़ में भूल जाते हैं। तो अगली बार जब आप ऋषिकेश जाएं, तो सिर्फ एडवेंचर की तलाश में न रहें, इन मंदिरों की शांतियों में खुद को जरुर तलाशें।
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