धूमावती कवच
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धूमावती कवच

क्या आप जानते हैं कि धूमावती देवी का यह दिव्य कवच साधना में शक्ति प्रदान करता है और बुरी शक्तियों से सुरक्षा करता है? जानिए इसकी पाठ विधि और अद्भुत लाभ।

धूमावती कवच के बारे में

धूमावती कवच एक पवित्र और रहस्यमयी स्तोत्र है जो माँ धूमावती की कृपा प्राप्त करने हेतु पाठ किया जाता है। माँ धूमावती दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो विधवा, त्याग और विरक्ति की देवी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप भयावह होने पर भी वे साधकों को अत्यंत शक्तिशाली सिद्धियाँ और आत्मिक शांति प्रदान करती हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं

धूमावती कवच

क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में बार-बार असफलता, रोग, दरिद्रता या मानसिक तनाव क्यों आता है, जबकि आप पूरी निष्ठा से मेहनत करते हैं?

शायद आपको धूमावती देवी की साधना की आवश्यकता है। धूमावती देवी, दस महाविद्याओं में से एक, एकमात्र ऐसी देवी हैं जो विधवा रूप में पूजी जाती हैं और जीवन के कटु यथार्थ की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी कृपा से ही व्यक्ति हर प्रकार के भय, शत्रु बाधा, तांत्रिक प्रहार और मानसिक उलझनों से बाहर निकल पाता है।

धूमावती कवच एक ऐसा दिव्य संरक्षण सूत्र है, जो साधक को अदृश्य सुरक्षा प्रदान करता है। यह सिर्फ एक पाठ नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा कवच है।

माँ धूमावती कवच

श्रीधूमावतीकवचम्

श्रीगणेशाय नमः ।

अथ धूमावती कवचम् ।

श्रीपार्वत्युवाच –

धूमावत्यर्चनं शम्भो श्रुतं विस्तरतोमया ।

कवचं श्रोतुमिच्छामि तस्या देव वदस्व मे ॥ १॥

श्रीभैरव उवाच –

श‍ृणुदेवि परं गुह्यं न प्रकाश्यं कलौयुगे ।

कवचं श्रीधूमावत्याश्शत्रुनिग्रहकारकम् ॥ २॥

ब्रह्माद्यादेवि सततं यद्वशादरिघातिनः ।

योगिनोभवछत्रुघ्ना यस्याध्यान प्रभावतः ॥ ३॥

ॐ अस्य श्रीधूमावतीकवचस्य पिप्पलाद ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः श्रीधूमावती देवता

धूं बीजम् स्वाहाशक्तिः धूमावती कीलकम् शत्रुहनने पाठे विनियोगः ।

ॐ धूं बीजं मे शिरः पातु धूं ललाटं सदावतु ।

धूमानेत्रयुगं पातु वती कर्णौसदावतु ॥ ४॥

दीर्घातूदरमध्ये तु नाभिं मे मलिनाम्बरा ।

शूर्पहस्ता पातु गुह्यं रूक्षारक्षतु जानुनी ॥ ५॥

मुखं मे पातु भीमाख्या स्वाहा रक्षतु नासिकाम् ।

सर्वं विद्यावतु कष्टं विवर्णा बाहुयुग्मकम् ॥ ६॥

चञ्चला हृदयं पातु दुष्टा पार्श्वं सदावतु ।

धूतहस्ता सदा पातु पादौ पातु भयावहा ॥ ७॥

प्रवृद्धरोमा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा ।

क्षृत्पिपासार्दिता देवी भयदा कलहप्रिया ॥ ८॥

सर्वाङ्गं पातु मे देवी सर्वशत्रुविनाशिनी ।

इति ते कवचं पुण्यं कथितं भुवि दुर्लभम् ॥ ९॥

न प्रकाश्यं न प्रकाश्यं न प्रकाश्यं कलौ युगे ।

पठनीयं महादेवि त्रिसन्ध्यं ध्यानतत्परैः ।

दुष्टाभिचारो देवेशि तद्गात्रं नैव संस्पृशेत् ॥ १०॥

इति भैरवी भैरव संवादे धूमावती तत्त्वे धूमावती कवचं सम्पूर्णम् ।

धूमावती देवी का स्वरूप

धूमावती देवी को वृद्धा, अशुभ लेकिन कल्याणकारी रूप में जाना जाता है। वे निराशा, दरिद्रता, अलगाव और मृत्यु जैसे जीवन के गूढ़ पहलुओं की अधिष्ठात्री देवी हैं। हालांकि उनका स्वरूप डरावना हो सकता है, परंतु वे आत्मसाक्षात्कार और आंतरिक शक्ति की देवी हैं। उनका ध्यान उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है, जो जीवन की कठोर परिस्थितियों से गुजर रहे होते हैं।

क्या है धूमावती कवच?

‘कवच’ का शाब्दिक अर्थ होता है सुरक्षा करने वाला। धूमावती कवच एक शक्तिशाली संस्कृत श्लोकों का संग्रह है, जिसमें देवी से प्रार्थना की जाती है कि वे साधक की रक्षा करें। शरीर, मन, आत्मा और चारों दिशाओं से आने वाले हर प्रकार के संकट से। यह कवच न केवल बाहरी नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है, बल्कि आंतरिक भय, मोह, अवसाद और आत्म-संशय से भी मुक्ति दिलाता है।

धूमावती कवच पाठ करने के प्रमुख लाभ

  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: जिन लोगों पर बार-बार नज़र दोष, टोना-टोटका या अज्ञात भय मंडराता है, उनके लिए यह कवच अमोघ रक्षा कवच है।
  • मानसिक शांति और स्थिरता: यह पाठ मन को स्थिर करता है, चिंता, अवसाद और निराशा से मुक्ति दिलाता है।
  • शत्रु बाधा से मुक्ति: धूमावती कवच से छुपे और प्रकट शत्रुओं की शक्ति क्षीण होती है। इससे कोर्ट केस, पारिवारिक कलह और अन्य विवादों में सफलता मिलती है।
  • तांत्रिक प्रभाव से सुरक्षा: अगर किसी पर तांत्रिक प्रहार, भूत-प्रेत बाधा या ग्रह दोष हैं, तो यह कवच उन्हें दूर करने में सहायक होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ साधक को एक गहरी अंतर्दृष्टि और वैराग्य की ओर प्रेरित करता है, जो आत्मिक विकास के लिए आवश्यक है।

धूमावती कवच पाठ विधि

स्थान और समय का चयन

  • शांत, पवित्र और एकांत स्थान का चयन करें।
  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) या संध्या समय उपयुक्त रहता है।

स्नान और शुद्धि

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़क कर शुद्धि करें।

मूर्ति या चित्र की स्थापना

  • धूमावती देवी का चित्र या यंत्र स्थापित करें।
  • उन्हें नीले या काले वस्त्र, नींबू, धूप और सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें।

ध्यान और मंत्र जप

  • आंखें बंद कर देवी का ध्यान करें।
  • धूमावती मूल मंत्र का 108 बार जाप करें: “धूं धूं धूमावत्यै नमः”

कवच का पाठ

  • श्रद्धा और एकाग्रता के साथ धूमावती कवच का पाठ करें।
  • पाठ की प्रति सामने रखें, और हर श्लोक के बाद एक बार “धूं धूं धूमावत्यै नमः” का उच्चारण करें।

अंत में प्रार्थना

  • देवी से जीवन की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।
  • फूल, दीप और नैवेद्य अर्पण करें।

पाठ के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • पाठ करते समय पूर्ण ब्रह्मचर्य और सात्विकता का पालन करें।
  • अगर संभव हो तो 11, 21 या 40 दिन का अनुष्ठान करें।
  • पाठ के बाद देवी की आरती जरूर करें।

विशेष सुझाव

  • धूमावती यंत्र को घर में स्थापित करके नियमित पाठ करने से घर में शांति और सुरक्षा बनी रहती है।
  • जिन लोगों को बार-बार नौकरी में असफलता मिल रही हो, या जो बार-बार धोखा खा रहे हों, उनके लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है।

निष्कर्ष

धूमावती कवच केवल एक पाठ नहीं, बल्कि जीवन के हर उस मोड़ पर आपकी ढाल है जहां आप खुद को अकेला, असहाय और भयभीत महसूस करते हैं। यह आपको न केवल सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि आंतरिक शक्ति, वैराग्य और आत्मविश्वास भी देता है।

तो क्यों न आज से ही इस दिव्य कवच को अपने जीवन में उतारें और हर प्रकार के भय को पराजित करें? धूमावती देवी की कृपा से आपका जीवन सुरक्षित, शांत और आत्मिक रूप से समृद्ध हो, यही इस पाठ का उद्देश्य है।

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Published by Sri Mandir·April 16, 2025

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