क्या आपको कुंडली में मंगल दोष परेशान कर रहा है? मंगल ग्रह कवच के पाठ से क्रोध, संघर्ष और रुकावटें दूर होती हैं। जानिए पाठ विधि और इसके लाभ।
अगर कुंडली में मंगल ही न हो ठीक तो कैसे होगा जीवन में मंगल ? इसलिए मंगल के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए इस लेख में हम मंगल गृह कवच के अचूक उपाय पर चर्चा करने जा रहे हैं।
अस्य श्री मंगलकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः ।
अनुष्टुप् छन्दः । अङ्गारको देवता ।
भौम पीडापरिहारार्थं जपे विनियोगः।
रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥
अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।
श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।
कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥
जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥
या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥
सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥
रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥
॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे मंगल ग्रह कवच संपूर्णं ॥
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस, पराक्रम, भूमि, शक्ति और युद्ध का कारक माना गया है। यह ग्रह व्यक्ति के आत्मविश्वास, शारीरिक बल, प्रतिस्पर्धा और जीवन की चुनौतियों से निपटने की क्षमता को प्रभावित करता है। कुंडली में इसकी शुभ स्थिति सफलता, पराक्रम और इच्छाशक्ति को बढ़ाती है, जबकि अशुभ स्थिति क्रोध, विवाद, रक्त संबंधी विकार, कर्ज और दुर्घटनाओं को जन्म दे सकती है।
मंगल गृह कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो मंगलदेव की स्तुति कर उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मंगल दोष की शांति होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
मंगल गृह कवच का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से जीवन को समृद्ध करते हैं।
कुंडली में मंगल दोष होने पर विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में समस्याएँ, क्रोध की अधिकता और संघर्ष जैसी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। मंगल गृह कवच का पाठ इन दोषों को दूर करने में सहायक होता है। विशेष रूप से मांगलिक दोष से प्रभावित लोगों के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
मंगल ग्रह का संबंध क्रोध और आवेग से होता है। इसका असंतुलन व्यक्ति को अत्यधिक गुस्सैल और आक्रामक बना सकता है। मंगल गृह कवच का पाठ करने से व्यक्ति में धैर्य, संयम और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।
मंगल ऊर्जा और पराक्रम का प्रतीक है। यह कवच व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों और व्यवसायियों के लिए यह कवच विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है।
मंगल गृह कवच वैवाहिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करता है और पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम व समझ बढ़ाता है। जिन लोगों की कुंडली में विवाह संबंधी दोष होते हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
मंगल ग्रह रक्त, मांसपेशियों और हड्डियों का कारक है। यदि यह अशुभ स्थिति में हो तो रक्त विकार, त्वचा रोग, सर्जरी की संभावना, चोट और अन्य शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मंगल गृह कवच का नियमित पाठ करने से इन समस्याओं से राहत मिलती है।
जिन व्यक्तियों पर कर्ज का बोझ अधिक है या जिन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए मंगल गृह कवच अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना जाता है। इसका पाठ आर्थिक स्थिति को सुधारता है और धन-सम्बंधित बाधाओं को दूर करता है।
मंगल गृह कवच एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक कवच प्रदान करता है। यह दुर्घटनाओं, अनहोनी घटनाओं, कानूनी विवादों, शत्रु बाधाओं और अनावश्यक संघर्षों से रक्षा करता है।
मंगल गृह कवच के पाठ में विशेष विधि का पालन करने से इसका प्रभाव अधिक होता है। निम्नलिखित विधि के अनुसार इसका पाठ करें:
सर्वप्रथम प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पवित्र स्थान पर बैठें। हो सके तो लाल रंग के आसन का उपयोग करें।
पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। दक्षिण दिशा मंगल ग्रह की दिशा मानी जाती है।
मंगल देव का ध्यान करें और संकल्प लें कि आप इस कवच का पाठ मंगल ग्रह की कृपा प्राप्ति और मंगल दोष निवारण के लिए कर रहे हैं।
श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ मंगल गृह कवच का पाठ करें। यदि संभव हो तो मंगलवार के दिन या प्रतिदिन सुबह इसका पाठ करें।
पाठ के बाद मंगल देव को लाल चंदन, गुड़, लाल पुष्प, मसूर की दाल और गुड़-चना अर्पित करें।
मंगल गृह कवच के पाठ के बाद "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है।
मंगल देव की आरती करें और प्रसाद के रूप में गुड़-चना बाँटें।
यदि मंगल दोष अत्यधिक प्रभावित कर रहा है, तो इस कवच का नित्य पाठ करें। अन्यथा प्रत्येक मंगलवार या कम से कम हर महीने के पहले मंगलवार को इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
मंगल गृह कवच एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है, जो व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता, आत्मविश्वास और सफलता लाता है।
यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है, विवाह में बाधाएँ आ रही हैं, आर्थिक समस्याएँ हैं, या आप अपने आत्मविश्वास और पराक्रम को बढ़ाना चाहते हैं, तो मंगल गृह कवच का नित्य पाठ आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
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