देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप की आराधना के लिए विशेष आरती का पाठ करें।
माता शैलपुत्री नौ दुर्गा का पहला स्वरूप है। इसके अलावा नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की ही पूजा होती है। देवी के प्रथम स्वरूप की पूजा करके उनकी आरती करें इससे माता प्रसन्न होती हैं एवं माता की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।
ॐ जय शैलपुत्री माँ
मैया जय शैलपुत्री माँ
सर्व सुखों की दात्री
देना माँ करुणा
ॐ जय शैलपुत्री माँ
ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ
सर्व सुखों की दात्री
देना माँ करुणा
ॐ जय शैलपुत्री माँ
हस्त कमल अति सोहे त्रिशूलधारिणी माँ
मैया त्रिशूलधारिणी माँ
शीश झुकावें हम सब
कृपा माँ नित करना
ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ
दक्षराज सुता मैया कष्ट निवारणी माँ
मैया कष्ट निवारणी माँ
नवदुर्गाओं में प्रथम, नवदुर्गाओं में प्रथम
तुम्हारी है पूजा
ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ
वृषभ पे मैया विराजे
शीश मुकुट सोहे
मैया शीश मुकुट सोहे
ऋषि मुनि नर गुण गावें, ऋषि मुनि नर गुण गावें
छवि अति मन मोहे
ॐ जय शैलपुत्री माँ
घट घट व्यापनी माता, सुख तुमसे आवे
मैया सुख तुमसे आवे
जो कोई ध्यावे मन से
जो कोई ध्यावे मन से
इच्छित फल पावे
ॐ जय शैलपुत्री माँ
भक्तों के मन में मैया तुम्हरा नित है निवास
मैया तुम्हरा नित है निवास
रिद्धि सिद्धि प्रदात्री, रिद्धि सिद्धि प्रदात्री
तुमसे है दिव्य प्रकाश
ॐ जय शैलपुत्री माँ
नवरात्रों में जो भी व्रत माता का करे
जो भी व्रत माता का करे
आनंद नित वो पावे…आनंद नित वो पावे
माँ भंडार भरे
ॐ जय शैलपुत्री माँ
हम सब तुम्हरे मैया, तुम हमरी माता
मैया तुम हमरी माता
दया दृष्टि माँ करना दया दृष्टि माँ करना
हम करें जगराता
ॐ जय शैलपुत्री माँ
शैलपुत्री माँ की आरती
जो जन नित गावे
सुख की बद्री बरसे
मन नित हर्षावे
ॐ जय शैलपुत्री माँ
ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ
सर्व सुखों की दात्री
देना माँ करुणा
ॐ जय शैलपुत्री माँ
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
घर में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए माता शैलपुत्री की पूजा और आरती जरूर करें।
उत्तर: शैलपुत्री शब्द को यदि थोड़ा सा गहराई से समझा जाये तो शैल का अर्थ पर्वत होता है, इसलिए इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री माता को माता पार्वती का अवतार भी माना गया है। शैलपुत्री माता नवदुर्गा के स्वरूपों में से पहला स्वरूप हैं।
उत्तर: नवरात्रि के दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के दिनों में शैलपुत्री माता की पूजा नवरात्रि के पहले दिन में की जाती है। देवी की उपासना से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उपासक नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री का व्रत और पूजा करके माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं
उत्तर: शैलपुत्री माता के एक हाथ में त्रिशूल दर्शाया गया है और दूसरे हाथ में कमल का फूल दर्शाया गया है। माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानि कि (बैल) है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर: नवरात्रि के समय में देवियों के नौ रूपों की पूजा करके उपासक माता का आशीर्वाद और लाभ प्राप्त करते हैं। उपासक यही शैलपुत्री माता की पूजा-अर्चना करते हैं तो उससे उपासक के जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति, और इच्छाओं की पूर्ति होती है। माता के आशीर्वाद से भक्तों को समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
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अम्बे गौरी की आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, जो देवी दुर्गा के शक्ति स्वरूप को समर्पित है। यह आरती देवी गौरी (माँ पार्वती) की महिमा का गुणगान करती है और उनके भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
माँ ब्रह्मचारिणी देवी नवरात्रि के दूसरे दिन की अधिष्ठात्री हैं, जो तप और धैर्य का प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से साधक को संयम, साहस, और दृढ़ संकल्प की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति को आत्मशक्ति और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
माँ चंद्रघंटा की आरती उनके भक्तों द्वारा नवरात्रि के तीसरे दिन गाई जाती है। यह आरती मां की कृपा प्राप्त करने और भय, रोग, और शत्रुओं से मुक्ति के लिए की जाती है। मां चंद्रघंटा को साहस, शांति और शक्ति की देवी माना जाता है। उनकी आरती का पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है।