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माँ कात्यायनी (Maa Katyayani)

इस पूजा से विवाह, सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

माँ कात्यायनी के बारे में

माँ दुर्गा के छठवें शक्ति स्वरूप को कात्ययानी के नाम से जाना जाता है, और चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन माँ कात्यायनी को समर्पित है। चलिए जानते हैं कि मां कात्ययान की पूजा इस नवरात्रि कब है?

जानें कौन हैं माँ कात्यायनी

शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का उल्लेख किया गया है। नवरात्र के छठें दिन, माता के नौ रूपों में से एक स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि नवरात्र के सभी नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है। नवदुर्गा के छठें स्वरूप माँ कात्यायनी को अत्यंत मनोहर छवि वाला दर्शाया गया है। वे प्रकाश के समान श्वेत रंग-रूप वाली हैं। इस रूप में माँ को चार भुजाओं में चित्रित किया जाता है। देवी कात्यायनी अपने बाएं हाथ में कमल का फूल और तलवार को धारण करती हैं, एवं अपने दाहिने हाथों को अभय और वरद मुद्रा में रखती हैं। अपने इस स्वरूप में माँ सिंह पर विराजमान हैं।

माँ कात्यायनी पूजा कब है?

शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का उल्लेख किया गया है। नवरात्र के छठें दिन, माता के नौ रूपों में से एक स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि नवरात्र के सभी नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है।

नवदुर्गा के छठें स्वरूप माँ कात्यायनी को अत्यंत मनोहर छवि वाला दर्शाया गया है। वे प्रकाश के समान श्वेत रंग-रूप वाली हैं। इस रूप में माँ को चार भुजाओं में चित्रित किया जाता है। देवी कात्यायनी अपने बाएं हाथ में कमल का फूल और तलवार को धारण करती हैं, एवं अपने दाहिने हाथों को अभय और वरद मुद्रा में रखती हैं। अपने इस स्वरूप में माँ सिंह पर विराजमान हैं।

देवी कात्यायनी की पूजा का महत्व

माँ कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। खासकर अविवाहित कन्याओं के लिए। कहा जाता है कि जो कन्याएं माँ कात्यायनी की पूजा करती हैं, उनके शादी के योग जल्दी बनते हैं और विवाह के मार्ग में रुकावटें दूर होती हैं। इसके अलावा, देवी कात्यायनी की आराधना से भय, रोगों और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा से मानसिक शांति मिलती है और सभी बाधाओं का नाश होता है।

माँ कात्यायनी की पूजा से होने वाले लाभ

माँ कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। खासकर अविवाहित कन्याओं के लिए। कहा जाता है कि जो कन्याएं माँ कात्यायनी की पूजा करती हैं, उनके शादी के योग जल्दी बनते हैं और विवाह के मार्ग में रुकावटें दूर होती हैं। इसके अलावा, देवी कात्यायनी की आराधना से भय, रोगों और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा से मानसिक शांति मिलती है और सभी बाधाओं का नाश होता है।

कहते हैं कि सच्चे मन से माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के जीवन में अद्भुत ऊर्जा एवं शक्ति का संचार होता है और माँ के आशीर्वाद से सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

माँ कात्यायनी को गुलाब के पुष्प बहुत प्रिय है। और इस बार शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा के लिए शुभ रंग स्लेटी है।

माँ कात्यायनी की पूजा-विधि

  • सर्वप्रथम सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • चौकी को साफ करके, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, चौकी पर आपने एक दिन पहले जो पुष्प चढ़ाए थे, उन्हें हटा दें।
  • आपको बता दें, चूंकि चौकी की स्थापना प्रथम दिन ही की जाती है, इसलिए पूजन स्थल पर विसर्जन से पहले झाड़ू न लगाएं।
  • इसके बाद आप पूजन स्थल पर आसन ग्रहण कर लें।
  • इसके बाद माता की आराधना शुरू करें- सबसे पहले दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब ॐ गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करके भगवान गणेश को नमन करें।
  • इसके बाद अब ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ मन्त्र के द्वारा माँ कात्यायनी का आह्वान करें।
  • साथ ही माता को नमन करके निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ करें।
  • अब प्रथम पूज्य गणेश जी और देवी माँ को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • कलश, घट, चौकी को भी हल्दी-कुमकुम-अक्षत से तिलक करके नमन करें।
  • इसके बाद धूप जलाकर माता जी को फूल-माला अर्पित करें। आप देवी जी को लाल पुष्प अर्पित कर सकते हैं।
  • नर्वाण मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे’ का यथाशक्ति अनुसार 11, 21, 51 या 108 बार जप करें।
  • एक धूपदान में उपला जलाकर इस पर लोबान, गुग्गल, कर्पूर या घी डालकर माता को धूप दें, और इसके बाद इस धूप को पूरे घर में दिखाएँ। आपको बता दें कि कई साधक केवल अष्टमी या नवमी पर हवन करते हैं, वहीं कई साधक इस विधि से धूप जलाकर पूरे नौ दिनों तक साधना करते हैं। आप अपने घर की परंपरा या अपनी इच्छा के अनुसार यह क्रिया कर सकते हैं।
  • अब भोग के रूप में मिठाई या फल माता को अर्पित करें।
  • इसके बाद माँ कात्यायनी की आरती गाएं।
  • आप श्रीमंदिर पर भी माँ कात्यायनी के दर्शन भी कर सकते हैं। साथ ही माता की आरती का लाभ भी ले सकते हैं। माँ अंबे की भी आरती श्रीमंदिर पर उपलब्ध है।

माँ कात्यायनी मंत्र (Maa Katyayani Mantra)

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वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥ स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्। वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥ पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

माँ कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Aarti)

जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

अब माँ दुर्गा की आरती करें।

इस तरह आपकी पूजा का समापन करें सबको प्रसाद वितरित करके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।

तो यह थी छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा की विधि।नवरात्र में माँ दुर्गा के साथ ही माता के नौ रूपों को उनके दिन के अनुसार पूजने से माता आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। और पूरे वर्ष आपको माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्रीमंदिर पर आपके लिए नवरात्र के नौ दिनों की पूजा विधि उपलब्ध है। इन्हें जानने के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर से।

जय माता की!

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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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