दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं | Daridrya Dahana Shiv Stotram
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दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से आर्थिक समृद्धि, सुख-शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। जानिए सम्पूर्ण पाठ, अर्थ और पाठ के लाभ।

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं के बारे में

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ विशेष रूप से आर्थिक कष्टों, दरिद्रता और जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र आदिशंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है और शिव की कृपा प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है। श्रद्धा और भक्ति से इसका जाप करने पर जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का संचार होता है। इस लेख में जानिए दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं का महत्व, इसके पाठ से मिलने वाले लाभ और इससे जुड़ी खास बातें।

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं

दरिद्रय दहन शिव स्तोत्र आर्थिक कठिनाइयों और गरीबी को दूर करने के लिए भगवान शिव का एक बहुत शक्तिशाली स्तोत्र है। दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्र वशिष्ठ ऋषि द्वारा रचित है। इस स्त्रोत का पाठ करने से दरिद्रता का नाश होता है। दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्र के द्वारा शिव जी की आराधना की जाती है। जो भी जातक शिव जी के इस स्त्रोत का पाठ करता है। भोलेनाथ उसके सभी दुःख हर लेते है।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र

॥ दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ॥

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥2॥

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥3॥

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।

मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥4॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥5॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥6॥

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥7॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥8॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।

त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥9॥

॥महर्षि वसिष्ठ विरचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्ण॥

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं का महत्व

ऋषि वसिष्ठ द्वारा रचित यह स्त्रोत सभी प्रकार की संपत्ति देने वाला है और जो कोई भी सुबह, दोपहर और शाम के समय इसका पाठ करता है, वह स्वर्ग का सुख भोगता है। यदि कोई व्यक्ति व्यापार में उन्नति चाहता है तो उसे शिव जी के इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति घोर संकट में है तो उसे शिवजी के मंदिर या फिर भोलेनाथ जी की प्रतिमा के सामने बैठकर इस स्त्रोत का नियमित पाठ करना चाहिए। इससे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं पढ़ने के फायदे

  • कर्ज में डूबा व्यक्ति इस स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे कर्ज के जल्दी ही मुक्ति मिलती है। कर्ज निवारण के मार्ग खुल जाते है।
  • जो व्यक्ति किसी कष्ट में होता है। यदि वह खुद ही इस शिव स्त्रोत का पाठ करता है। तो यह सर्वोत्तम फलदायी होता है। यदि वह व्यक्ति सक्षम नहीं है तो उसके परिवार वाले भी इस स्त्रोत का पाठ कर सकते है इससे भी लाभ की प्राप्ति होती है।
  • यदि आप इसे प्रतिदिन पढ़ेंगे तो आपको भगवान का आशीर्वाद मिलेगा क्योंकि भगवान का नाम अग्नि के समान है। अगर आप अनजाने में भी आग को छू लेंगे तो आपकी उंगली जल जाएगी। इसी तरह अगर आपने इसे अनजाने में भी पढ़ा तो आपको भगवान का आशीर्वाद मिलेगा।
  • इस स्तोत्र का जाप करने या सुनने से व्यक्ति को अपार शक्ति, सौंदर्य और मानसिक शक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि स्तोत्र का जाप करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं और वातावरण भी पवित्र हो जाता है।

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं का हिंदी अर्थ

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥

अर्थात – समस्त चराचर विश्व के स्वामी विश्वेश्वर, नरकरूपी संसार सागर से उद्धार करने वाले, कान से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करने वाले, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वर्ण वाले, जटाधारी और दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान भोलेनाथ को मेरा नमस्कार है।

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥2॥

अर्थात – गौरी के अत्यन्त प्रिय, चन्द्रमा की कला को धारण करने वाले, काल के लिए भी यमरूप, नागराज को कंकण रूप में धारण करने वाले, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले, गजराज का विमर्दन करने वाले और दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान शिव जी को मेरा नमस्कार है।

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥3॥

अर्थात – भक्ति के प्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय के विनाशक, संहार के समय उग्ररूपधारी, दुर्गम भवसागर से पार करानेवाले, ज्योति स्वरुप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले तथा दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक शिव जी को मेरा नमस्कार है।

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।

मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥4॥

अर्थात – व्याघ्र चर्मधारी, चिता भस्म को लगाने वाले, भाल में तृतीय नेत्रधारी, मणियों के कुण्डल से सुशोभित, अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी और दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक शिव जी को मेरा नमस्कार है।

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥5॥

अर्थात – पाँच मुखवाले, नागराजरूपी आभूषणों से सुसज्जित, सुवर्ण के समान वस्त्र वाले, तीनों लोकों में पूजित, आनन्दभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले, सृष्टि के संहार के लिए तमोगुण धारण करने वाले तथा दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान शिव जी को मेरा नमस्कार है।

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥6॥

अर्थात – सूर्य को अत्यन्त प्रिय, भवसागर से उद्धार करने वाले, काल के लिये भी महाकालस्वरूप, ब्रह्मा से पूजित, तीन नेत्रों को धारण करने वाले, शुभ लक्षणों से युक्त तथा दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान शिव जी को मेरा नमस्कार है।

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥7॥

अर्थात – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को अत्यन्त प्रिय, रघुनाथ को वर देनेवाले, सर्पों के अतिप्रिय, भवसागररूपी नरक से तारने वाले, पुण्यवानों में परिपूर्ण पुण्यवाले, समस्त देवताओं से सुपूजित तथा दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान शिव जी को मेरा नमस्कार है।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥8॥

अर्थात – मुक्तजनों के स्वामिरूप, चारों पुरुषार्थ के फल देने वाले, प्रमथादि गणों के स्वामी, स्तुतिप्रिय, नन्दीवाहन, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले, महेश्वर तथा दरिद्रतारूपी दुःख के विनाशक भगवान शिव जी को मेरा नमस्कार है।

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।

त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥9॥

अर्थात – समस्त रोगों के विनाशक तथा शीघ्र ही समस्त सम्पत्तियों को प्रदान करने वाले और पुत्र – पौत्रादि वंश परम्परा को बढ़ाने वाले, वशिष्ठ द्वारा निर्मित इस स्तोत्र का जो भक्त नियमित रूप से तीनों कालों में पाठ करता है, उसे निश्चय ही स्वर्गलोक प्राप्त होता है।

॥महर्षि वसिष्ठ विरचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्ण॥

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Published by Sri Mandir·October 30, 2025

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