कार्तिक अमावस्या 2025 का महत्व क्या है? जानें सही मुहूर्त और पूजा की सरल विधि, जो आपके जीवन में समृद्धि और शांति ला सकती है!
हिंदू पंचांग में कार्तिक अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने का विधान है। कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने के साथ-साथ तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। इस अमावस्या को स्नान कर तुलसी और सूर्य को जल चढ़ाया जाता है, और दोनों की पूजा की जाती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:14 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:48 ए एम से 06:04 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:23 ए एम से 12:08 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:39 पी एम से 02:25 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:27 पी एम से 05:52 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:27 पी एम से 06:43 पी एम |
अमृत काल | 03:51 पी एम से 05:38 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:21 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 22 |
कार्तिक अमावस्या - हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह सबसे पवित्र महीनों में से एक हैं। इस माह में आने वाली अमावस्या को कार्तिक अमावस्या या कार्तिक अमावस के नाम से जाना जाता है। जिस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं के अंतिम चरण में पहुंचकर आकाश से नदारद हो जाता है, अर्थात पृथ्वी से दिखाई नहीं देता, तब उसे अमावस्या की तिथि कहा जाता है। हर अमावस्या की तरह कार्तिक अमावस्या भी स्नान-दान, पिंडदान और तर्पण विधि के लिए सबसे उपयुक्त होती है। बहुत से लोग इस तिथि पर अपने पितरों की तृप्ति के लिए भी कई अनुष्ठान करते हैं।
कार्तिक अमावस्या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह सबसे पवित्र महीनों में से एक हैं। इस माह में आने वाली अमावस्या को कार्तिक अमावस्या या कार्तिक अमावस के नाम से जाना जाता है। जिस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं के अंतिम चरण में पहुंचकर आकाश से अदृश्य हो जाता है, अर्थात पृथ्वी से दिखाई नहीं देता, तब उसे अमावस्या की तिथि कहा जाता है। हर अमावस्या की तरह कार्तिक अमावस्या भी स्नान-दान, पिंडदान और तर्पण आदि के लिए सबसे उपयुक्त होती है। बहुत से लोग इस तिथि पर अपने पितरों की तृप्ति के लिए भी कई अनुष्ठान करते हैं।
कार्तिक अमावस्या वह विशेष तिथि है, जिस दिन पूरे देश में दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया जाता है। इसीलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस दिन स्नान दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक अमावस्या पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष अनुष्ठान भी किये जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पण करके भगवद गीता का पाठ करने का विधान है। कार्तिक अमावस्या पर तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्री सूक्तम के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन संध्या काल में माता लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा करने का विधान है।
कार्तिक अमावस्या के दिन की गई पूजा और व्रत अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। यह दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। इस दिन की पूजा में शुद्धता, भक्ति और श्रद्धा का विशेष महत्व है।
प्रातःकाल स्नान:
मंदिर और घर की सफाई:
माँ लक्ष्मी व भगवान विष्णु की स्थापना:
पूजन सामग्री तैयार करें:
पूजा प्रक्रिया:
दीपदान:
दीपदान अनुष्ठान:
तुलसी और विष्णु पूजन:
पितृ तर्पण:
दान-पुण्य:
भगवान शिव का पूजन:
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