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कार्तिक अमावस्या 2025

कार्तिक अमावस्या 2025 का महत्व क्या है? जानें सही मुहूर्त और पूजा की सरल विधि, जो आपके जीवन में समृद्धि और शांति ला सकती है!

कार्तिक अमावस्या के बारे में

हिंदू पंचांग में कार्तिक अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने का विधान है। कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने के साथ-साथ तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। इस अमावस्या को स्नान कर तुलसी और सूर्य को जल चढ़ाया जाता है, और दोनों की पूजा की जाती है।

कब है कार्तिक अमावस्या

  • कार्तिक अमावस्या : 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार (कार्तिक, कृष्ण अमावस्या)

कार्तिक अमावस्या की तिथि व मुहूर्त

  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ : 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को 03:44 पी एम पर
  • अमावस्या तिथि समापन : 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को 05:54 पी एम पर

कार्तिक अमावस्या के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:23 ए एम से 05:14 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:48 ए एम से 06:04 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:08 पी एम

विजय मुहूर्त

01:39 पी एम से 02:25 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:27 पी एम से 05:52 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:27 पी एम से 06:43 पी एम

अमृत काल

03:51 पी एम से 05:38 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:21 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 22

  

क्या है कार्तिक अमावस्या?

कार्तिक अमावस्या - हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह सबसे पवित्र महीनों में से एक हैं। इस माह में आने वाली अमावस्या को कार्तिक अमावस्या या कार्तिक अमावस के नाम से जाना जाता है। जिस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं के अंतिम चरण में पहुंचकर आकाश से नदारद हो जाता है, अर्थात पृथ्वी से दिखाई नहीं देता, तब उसे अमावस्या की तिथि कहा जाता है। हर अमावस्या की तरह कार्तिक अमावस्या भी स्नान-दान, पिंडदान और तर्पण विधि के लिए सबसे उपयुक्त होती है। बहुत से लोग इस तिथि पर अपने पितरों की तृप्ति के लिए भी कई अनुष्ठान करते हैं।

क्यों मनाते हैं कार्तिक अमावस्या?

कार्तिक अमावस्या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह सबसे पवित्र महीनों में से एक हैं। इस माह में आने वाली अमावस्या को कार्तिक अमावस्या या कार्तिक अमावस के नाम से जाना जाता है। जिस दिन चाँद अपनी सोलह कलाओं के अंतिम चरण में पहुंचकर आकाश से अदृश्य हो जाता है, अर्थात पृथ्वी से दिखाई नहीं देता, तब उसे अमावस्या की तिथि कहा जाता है। हर अमावस्या की तरह कार्तिक अमावस्या भी स्नान-दान, पिंडदान और तर्पण आदि के लिए सबसे उपयुक्त होती है। बहुत से लोग इस तिथि पर अपने पितरों की तृप्ति के लिए भी कई अनुष्ठान करते हैं।

कार्तिक अमावस्या का महत्व

कार्तिक अमावस्या वह विशेष तिथि है, जिस दिन पूरे देश में दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया जाता है। इसीलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।

इस दिन स्नान दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक अमावस्या पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष अनुष्ठान भी किये जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पण करके भगवद गीता का पाठ करने का विधान है। कार्तिक अमावस्या पर तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्री सूक्तम के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन संध्या काल में माता लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा करने का विधान है।

कार्तिक अमावस्या पर पूजा कैसे करें?

कार्तिक अमावस्या के दिन की गई पूजा और व्रत अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। यह दिन माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। इस दिन की पूजा में शुद्धता, भक्ति और श्रद्धा का विशेष महत्व है।

पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों, तालाब या घर पर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
  • स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।

मंदिर और घर की सफाई:

  • पूरे घर और पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें।
  • दीपक और धूप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।

माँ लक्ष्मी व भगवान विष्णु की स्थापना:

  • ईशान कोण या पूर्व दिशा में लाल या पीले वस्त्र पर माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • उनके साथ भगवान गणेश और तुलसी का पूजन भी करें।

पूजन सामग्री तैयार करें:

  • दीपक (घी या तेल का), पुष्प, फल, मिठाई, धूप, रोली, चावल, कलावा, पंचामृत, तुलसी पत्र, चांदी या तांबे का सिक्का आदि।

पूजा प्रक्रिया:

  • शुद्ध जल से आचमन करें और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी व गणेश जी का ध्यान करें।
  • धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प अर्पित करें।
  • “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • लक्ष्मी-नारायण की आरती करें और परिवार सहित दीप जलाएं।

दीपदान:

  • संध्या समय घर के प्रत्येक कोने, मुख्य द्वार, बालकनी और तुलसी के पास दीपक जलाएं।
  • नदी या तालाब के तट पर दीपदान करें। यह कार्य कार्तिक अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

कार्तिक अमावस्या के धार्मिक अनुष्ठान

दीपदान अनुष्ठान:

  • यह दिन दीपदान का पर्व है। नदी, मंदिर या घर में दीप जलाने से अंधकार मिटता है और जीवन में समृद्धि आती है।

तुलसी और विष्णु पूजन:

  • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • तुलसी माता के पास दीपक जलाकर परिक्रमा करें।

पितृ तर्पण:

  • पितरों की शांति हेतु तिल, जल और पुष्प से तर्पण करें।
  • ऐसा करने से पितृ दोष का निवारण होता है और घर में शांति आती है।

दान-पुण्य:

  • गरीबों को अन्न, वस्त्र, दीपक या धन का दान करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन करवाना अत्यंत शुभ माना गया है।

भगवान शिव का पूजन:

  • इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

कार्तिक अमावस्या के दिन क्या करें?

  • कार्तिक अमावस्या की रात को संभव हो पाए तो धरती पर ही शयन करें।
  • कार्तिक स्नान के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • कार्तिक अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और दान-पुण्य करें।
  • स्नान के तुरंत बाद सूर्यदेव को अर्घ्य ज़रूर दें, दीपदान करें, और तुलसी पूजन करें।
  • कार्तिक अमावस्या पर गर्म कपड़े, कंबल व अन्न धन का दान करें।

कार्तिक अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • अगर आप कार्तिक स्नान का पालन कर रहे हैं तो, कार्तिक माह में शरीर पर तेल न लगाएं। आप तेल नरक चतुर्थी पर लगा सकते हैं।
  • मूली, बैंगन, लहसुन, प्याज़ का सेवन न करें। साथ ही दालों में, उड़द मूंग चना मसूर चना मटर का सेवन न करें।
  • साथ ही खुद पर संयम रखें, किसी की निंदा न करें और अपमान न करें।
  • अगर आप एक महीने तक व्रत रख रहे हैं तो एक समय फलाहार ग्रहण करें। नमक का सेवन न करें।
  • इस दिन किसी जरूरतमंद को अपने द्वार से खाली हाथ न लौटाएं, बल्कि उन्हें दान-दक्षिणा दें।

कार्तिक अमावस्या पूजा के लाभ

  • भविष्य पुराण में बताया है कि कार्तिक माह की अमावस्या पर पवित्र नदियों में दीपदान किया जाता है। अन्न और वस्त्र दान किये जाते हैं। इससे दान करने वाले मनुष्यों के रोग, दोष और अन्य संताप दूर होते हैं।
  • कहते हैं कि कार्तिक अमावस्या के दिन भूखे जंतुओं को खाना, चारा आदि खिलाने से समस्त पापों का नाश होता है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
  • इस दिन पूर्ण श्रद्धा से पूजा अनुष्ठान करने से माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपार समृद्धि, स्वस्थ और सुखी जीवन प्रदान करते हैं।
  • हमारे पितरों को अमावस्या तिथि का स्वामी माना गया हैं। स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या पर तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
  • कार्तिक अमावस्या की रात्रि में घर की छत, दहलीज और मुंडेर पर मिट्टी के दीपक लगाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।

कार्तिक अमावस्या व्रत-अनुष्ठान के लाभ

  • इस दिन की पूजा और व्रत से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
  • माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि का वास करती हैं।
  • भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • दीपदान करने से न केवल वर्तमान जीवन, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
  • दान करने वाले व्यक्ति के रोग, दोष और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
  • शिव और विष्णु दोनों की आराधना से मन की शुद्धि, आत्मबल और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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Published by Sri Mandir·October 15, 2025

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