दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक
वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष

शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक

दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए
temple venue
श्री नवग्रह शनि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
pooja date
Warning Infoइस पूजा की बुकिंग बंद हो गई है
srimandir devotees
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अब तक3,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

दुर्भाग्यपूर्ण घटना एवं बाधाओं से रक्षा के लिए वैशाख पूर्णिमा अनुराधा नक्षत्र विशेष शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक

अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि ग्रह है, जो न्याय देवता माने जाते हैं और लोगों को उनके कर्मों के अनुसार उन्हें फल देते हैं। मान्यता है कि इस नक्षत्र में शनि देव की पूजा करने से भक्तों पर विशेष कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में शनि दोष के कारण होने वाली समस्याएं जैसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना, बाधाओं, अधिक खर्चे एवं कारोबार में होने वाले नुकसान से मुक्ति के लिए अनुराधा नक्षत्र की जाने वाली शनि देव की पूजा अत्यंत प्रभावकारी है। दिनांक 23 मई 2024, को उज्जैन के प्राचीन श्री नवग्रह शनि मंदिर के आचार्यों द्वारा आयोजित शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और तिल तेल अभिषेक में भाग लें। यह पूजा बुद्ध पूर्णिमा में विशेष रूप से अनुराधा नक्षत्र पर की जा रही है, इसमें श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और घर बैठे ही शनिदेव का शुभाशीष प्राप्त करें।

पूजा लाभ

puja benefits
दुर्भाग्यपूर्ण घटना से रक्षा
शनि ग्रह को कर्म का कारक माना गया है, जो व्यक्ति के जीवन में कई बार दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का कारण बन जाता है। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि है इसलिए इस समय पर शनिदेव की पूजा से दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से सुरक्षा मिलती है क्योंकि इससे कुंडली में बने शनि दोष से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को सामर्थ्य और स्थिरता का आभास होता है।
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बाधाओं से रक्षा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ होती है तो उसका कोई भी काम आसानी से नहीं होता है। उसके हर काम में बाधा आती है। इन बाधाओं से मुक्ति के लिए अनुराधा नक्षत्र सबसे उत्तम माना गया है, इस नक्षत्र में शनिदेव की पूजा करने से उनकी अपार कृपा प्राप्त होती है जिससे भक्तों के जीवन से बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
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साढ़े साती एवं छोटी ढैय्या से मुक्ति
जिस राशि में शनिदेव साढ़े सात साल तक प्रभाव डालते हैं उसे साढ़े साती कहा जाता है और वहीं शनि की ढैय्या का प्रभाव किसी जातक पर ढाई साल तक रहता है। इस दौरान व्यक्ति का जीवन कष्टकारी हो जाता है, इसलिए इस शुभ नक्षत्र पर शनि देव की पूजा करके साढ़े साती एवं छोटी ढैय्या के कारण उत्पन्न समस्यओं और संघर्ष से छुटकारा मिलता है।

पूजा प्रक्रिया

Number-0

पूजा चयन करें

4 विभिन्न पूजा पैकेज ऑप्शन से चयन करें।
Number-1

अर्पण जोड़ें

अपनी पूजा के साथ गौ सेवा, वस्त्र दान, दीप दान भी करें। पूजा के लिए भुगतान करें।
Number-2

संकल्प विवरण दर्ज करें

अपना नाम और गोत्र दर्ज करें।
Number-3

पूजा दिन

अनुभवी पंडितों द्वारा वैदिक प्रक्रिया के अनुसार पूजा होगी। आपको अपने WhatsApp नंबर पर अपडेट्स मिलेंगे।
Number-4

पूजा वीडियो एबं तीर्थ प्रसाद डिलीवरी

अपने पंजीकृत WhatsApp नंबर पर पूजा के 4-5 दिनों में पूजा वीडियो एबं आपके दिए गए पते पर 8-10 दिनों बाद तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें ।

श्री नवग्रह शनि मंदिर,उज्जैन, मध्य प्रदेश

श्री नवग्रह शनि मंदिर,उज्जैन, मध्य प्रदेश
क्षिप्रा नदी के तट पर बसी नगरी उज्जैन में स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 साल पहले की थी। वर्णित हैं कि, राजा विक्रमादित्य ने इस मंदिर की स्थापना शनि की साढ़ेसाती से मुक्त होने के बाद कराई थी। कहा जाता है कि विक्रमादित्य ने इस मंदिर को बनाने के बाद ही विक्रम संवत की शुरुआत की थी। इस मंदिर में शनिदेव भगवान शिव के रूप में विराजमान हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं।

मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से शनिदेव को प्रसन्न करता है उसे शनिदेव कभी दुख नहीं देते और सारे कष्ट दूर कर देते हैं। साथ ही देश के कोने कोने से लोग यहां शनि दोष का नकारात्मक प्रभाव, संतान की शिक्षा, विवाह में आ रही बाधाओं जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव के स्वरूप शनि के चरणों में शनि दोष पीड़ा शांति महापूजा एवं तिल तेल अभिषेक करते हैं।

रिव्यूज़ और रेटिंग

जानिए प्रिय भक्तों का श्री मंदिर के बारे में क्या कहना है!
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अच्युतम नायर

बेंगलुरु
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