सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम
सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम
सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम
सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम
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सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम
श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष

श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम

सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए
temple venue
श्री काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
pooja date
4 अगस्त, रविवार, श्रावण कृष्ण अमावस्या (शाम 04:42 बजे तक)
Warning Infoइस पूजा की बुकिंग बंद हो गई है
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अब तक3,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

सर्वोच्च साहस एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए श्रावण अमावस्या काल भैरव विशेष श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम

भगवान शिव को "देवो के देव महादेव" के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। भगवान काल भैरव को शिवजी का उग्र रूप माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी में सर्वश्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। दोनों एक दूसरे को अपना पुत्र बता रहे थे। तब एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ और कहा कि जो इसका ओर-छोर जान लेगा, वही सर्वश्रेष्ठ होगा। ब्रह्मा जी हंस रूप में स्तंभ के ऊपरी भाग का पता लगाने गए, जबकि विष्णु जी वराह रूप में निचले भाग का। विष्णु जी ने सत्य बताया कि उन्हें स्तंभ का अंत नहीं मिला, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ कहा कि उन्होंने अंत का पता लगा लिया। तब अग्नि स्तंभ ने पुरुष रूप लिया और वो भगवान शिव के रूप में प्रकट हुए। शिवजी ने ब्रह्मा जी को असत्य बोलने पर कभी न पूजे जाने का श्राप दे दिया। क्रोधित ब्रह्मा जी ने शिवजी को अपशब्द कहे, जिसके कारण शिवजी ने अपने अंश से विकराल भैरव को उत्पन्न किया।

भैरव ने ब्रह्मा जी के पांचवे मुख को काट दिया, जो उनके हाथ से नहीं छूटा। यह ब्रह्महत्या थी, जिससे मुक्ति के लिए भैरव को सृष्टि का विचरण करना पड़ा। अंततः काशी में भैरव के हाथ से ब्रह्मा जी का कपाल छूट गया और वे ब्रह्महत्या से मुक्त हो गए। शिवजी ने कहा कि भैरव ने कालचक्र पर विजय प्राप्त की है, इसलिए उनका नाम 'काल भैरव' होगा और वे काशी के कोतवाल रहेंगे, तभी से वो काशी की रक्षा करते हैं और भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं। तब से काल भैरव ने काशी और अपने भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से बचाया है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के पावन महीने में यहां काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति भय से मुक्त हो जाता है और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। वहीं, अमावस्या का दिन तांत्रिक साधनाओं के लिए जाना जाता है, इसलिए इस शुभ दिन पर देवताओं के उग्र रूपों की पूजा की जाती है। इसलिए, महादेव की नगरी काशी में श्रावण अमावस्या के दिन श्री काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ और कालभैरवाष्टकम का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

पूजा लाभ

puja benefits
सर्वोच्च साहस का आशीष
भगवान भैरव को अपार शक्ति और निर्भयता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों को अटूट साहस और दृढ़ संकल्प के साथ चुनौतियों का सामना करने का आशीर्वाद देते हैं। भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला, इसलिए मान्यता जाता है कि श्रावण अमावस्या के दिन जो भी व्यक्ति कालभैरव की पूजा करने से भय का नाश होता है।
puja benefits
नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा
मान्यता है कि भगवान भैरव की पूजा नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए एक ढाल के रूप में काम करती है जो कि किसी भी प्रकार की नकारात्मक एवं दुष्ट शक्तियों और खतरों से सुरक्षा प्रदान कर सकती है। श्रावण अमावस्या के शुभ दिन पर इस पूजा को करने से भगवान अपने भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा का आशीष प्रदान करते हैं।
puja benefits
बाधाओं से मुक्ति
माना जाता है कि श्रावण अमावस्या के शुभ दिन पर काल भैरव तंत्र युक्त महायज्ञ और कालभैरवाष्टकम करने से भक्तों के जीवन में सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में मददगार साबित होती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव की कृपा से सुख और कल्याण की प्राप्ति हो सकती है।

पूजा प्रक्रिया

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श्री काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश

श्री काल भैरव मंदिर, काशी, उत्तर प्रदेश
महादेव की नगरी कही जानेवाली काशी में भैरव बाबा की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता है और पूरी नगरी की देखरेख उन्हीं के हाथों में है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी की इनमें सबसे महान कौन है। इस चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिवजी की आलोचना की, जिससे शिवजी को गुस्सा आया। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ।

काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करने वाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को काट दिया, लेकिन वो मुख काल भैरव के हाथ से अलग ही नहीं हो रहा था। तभी शिव जी ने काल भैरव से कहा, तुम्हे तो ब्रह्म हत्‍या का दोष लग गया। इस दोष को मिटाने का एक ही तरीका है कि तुम तीनों लोकों का भ्रमण करो। जिस स्थान पर ब्रह्मा का ये पांचवां मुख तुम्‍हारे हाथ से छूटेगा, वहीं तुम्हें इस पाप से मुक्‍ति मिलेगी। भैरव बाबा के हाथ से काशी में ब्रह्माजी का मुख अलग हुआ, वहीं उनको मुक्ति मिली। जिसके बाद शिवजी ने काल भैरव को काशी का कोतवाल बनाया। मान्यता है कि यहां विराजित बाबा कालभैरव की अराधना करने से सारा दुख, नजर बाधा, विकार और कष्ट को भी हरते हैं।

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व्यक्तिगत पूजा

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पूजा संकल्प के दौरान पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
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आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

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पार्टनर पूजा

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2001

पारिवारिक पूजा

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पूजा संकल्प के दौरान पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
श्री काल भैरव मंदिर में भगवान काल भैरव को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
अपने नाम से किए जाने वाले वस्त्र दान, अन्न दान, गौ सेवा या दीप दान जैसे अन्य सेवाएं का विकल्प चुनें।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

3001

संयुक्त परिवार पूजा

अधिकतम 6 सदस्यों के लिए पूजा कराएं

पूजा संकल्प के दौरान पंडित जी आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
श्री काल भैरव मंदिर में भगवान काल भैरव को पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे से युक्त भोग अर्पित किया जाएगा
अपने नाम से किए जाने वाले वस्त्र दान, अन्न दान, गौ सेवा या दीप दान जैसे अन्य सेवाएं का विकल्प चुनें।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

हमारे पिछले पूजा अनुभव के झलक

पूजा समाप्त होने के बाद, आपकी पूजा का पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग, नाम और गोत्र चैंटिंग सहित, साझा किया जाएगा।
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कैसा रहा श्री मंदिर पूजा सेवा का अनुभव?

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों