भैरव बाबा की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भैरव बाबा शिवजी के अवतार हैं। जिनके नाम का अर्थ है जो देखने में भयंकर और भय की रक्षा करते हों। जो भी व्यक्ति भैरव बाबा की नित्य आरती और चालीसा पढ़ता है। उसके घर में नकारत्मक शक्तियों का आगमन नहीं होता है और शारारिक बाधा भी कभी नहीं आती है। इसी के साथ बाबा भैरवनाथ को प्रसन्न करने से वे अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। तो देर किस बात की आइए पढ़ते है भैरव बाबा की चालीसा सरल और आसान भाषा (Shri Bhairav Chalisa In Hindi) में।
श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी ।
जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति सर्व भैरव विख्याता ।
जयति नाथ भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुन है भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटाजूट सिर चन्द्र विराजत ।
बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्हो ।
कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
त्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाई काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय ।
बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महाभीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो ।
सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥
|| इति श्री भैरव चालीसा समाप्त ||
भैरव चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ, भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। यह पाठ भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। भैरव जी को तंत्र, योग और रक्षा का देवता माना जाता है, इसलिए उनकी चालीसा पढ़ने से व्यक्ति को आत्मबल और साहस मिलता है। इसके अलावा, यह पाठ नौकरी, व्यवसाय और कानूनी मामलों में सफलता दिलाने में भी मदद करता है। नियमित पाठ से जीवन में शांति, सुरक्षा और समृद्धि आती है।
भैरव चालीसा का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष महत्व होता है। काल भैरव जी को रात्रि के देवता माना जाता है, इसलिए रात में भैरव चालीसा पढ़ना बहुत फलदायी होता है। सुबह स्नान करने के बाद या रात में शांत स्थान पर बैठकर इसका पाठ करना शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो भैरव मंदिर में या घर में दीपक जलाकर पाठ करें, इससे शीघ्र ही लाभ मिलता है।
हाँ, भैरव चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। काल भैरव जी को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। वे सभी प्रकार के भय, तंत्र-मंत्र प्रभाव और दुष्ट आत्माओं से रक्षा करते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से श्रद्धा के साथ भैरव चालीसा का पाठ करता है, उसे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
भैरव चालीसा का पाठ करते समय शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ के दौरान यदि संभव हो तो सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और भैरव जी को काले तिल, नारियल और लड्डू का भोग अर्पित करें। पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें और पूरी श्रद्धा से भगवान भैरव का स्मरण करें। पाठ के बाद किसी जरूरतमंद या कुत्ते को भोजन कराना शुभ माना जाता है, क्योंकि कुत्ता काल भैरव का वाहन है।
हाँ, शनिवार और रविवार को भैरव चालीसा का पाठ विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। शनिवार के दिन काल भैरव जी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्थिरता आती है। वहीं, रविवार को यह पाठ करने से राहु-केतु और अन्य ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर होते हैं। इन दिनों में विशेष रूप से सरसों के तेल का दीप जलाकर, नारियल और काले तिल का भोग लगाकर पाठ करने से भैरव जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
भैरव चालीसा और काल भैरव अष्टक दोनों ही भगवान काल भैरव की स्तुति के लिए पढ़े जाते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं। भैरव चालीसा में अवधी भाषा में लिखे गए 40 छंदों मिलते हैं, और यह भगवान भैरव के विभिन्न स्वरूपों, शक्तियों और कृपा का विस्तार से वर्णन करती है। यह चालीसा साधकों और भक्तों के लिए अधिक सरल और प्रभावी होती है। वहीं, काल भैरव अष्टक संस्कृत में रचित आठ श्लोकों का एक स्तोत्र है, जिसमें भगवान भैरव के दिव्य गुणों और उनकी महिमा का गान किया गया है। काल भैरव अष्टक विशेष रूप से तंत्र-साधना करने वालों के लिए अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
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