विष्णु चालीसा
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विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa)

यह सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं को दूर करता है, साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है

विष्णु चालीसा के बारे में

जब जब भी पृथ्वी पर संकट आया है भगवान विष्णु ने अवतार लेकर उस संकट से उनके भक्तों को निकाला है। भगवान विष्णु के नाम जपने से हर व्यक्ति अपने जीवन मे विशेष तरक्की करते हुए निरन्तर आगे बढ़ता रहता है। विष्णु चालीसा पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में धन, बल, यश की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु निराकार परब्रह्म है, जिन्हें वेदों में साक्षात ईश्वर कहा है। वैदिक काल से ही भगवान विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति व नियन्ता के रूप में हमेशा मान्य रहे है।

विष्णु चालीसा दोहा

विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥

विष्णु चालीसा चौपाई

नमो विष्णु भगवान खरारी।

कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।

त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत।

सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत।

बैजन्ती माला मन मोहत॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे।

देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।

काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन।

दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।

दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण।

कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण।

केवल आप भक्ति के कारण॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।

तब तुम रूप राम का धारा॥

भार उतार असुर दल मारा।

रावण आदिक को संहारा॥

आप वाराह रूप बनाया।

हिरण्याक्ष को मार गिराया॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया।

चौदह रतनन को निकलाया॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया।

रूप मोहनी आप दिखाया॥

देवन को अमृत पान कराया।

असुरन को छबि से बहलाया॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया।

मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।

भस्मासुर को रूप दिखाया॥

वेदन को जब असुर डुबाया।

कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया॥

मोहित बनकर खलहि नचाया।

उसही कर से भस्म कराया॥

असुर जलंधर अति बलदाई।

शंकर से उन कीन्ह लड़ाई॥

हार पार शिव सकल बनाई।

कीन सती से छल खल जाई॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।

बतलाई सब विपत कहानी॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।

वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

देखत तीन दनुज शैतानी।

वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।

हना असुर उर शिव शैतानी॥

तुमने धुरू प्रहलाद उबारे।

हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

गणिका और अजामिल तारे।

बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

हरहु सकल संताप हमारे।

कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे।

दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

चहत आपका सेवक दर्शन।

करहु दया अपनी मधुसूदन॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन।

होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण।

विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

करहुँ आपका किस विधि पूजन।

कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण।

कौन भांति मैं करहुँ समर्पण॥

सुर मुनि करत सदा सिवकाई।

हर्षित रहत परम गति पाई॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई।

निज जन जान लेव अपनाई॥

पाप दोष संताप नशाओ।

भव बन्धन से मुक्त कराओ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ।

निज चरनन का दास बनाओ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै।

पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

श्री मंदिर साहित्य में पाएं सभी मंगलमय चालीसा का संग्रह।

विष्णु चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

विष्णु चालीसा का पाठ हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की स्तुति और आराधना का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसका नियमित पाठ भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। भगवान विष्णु को पालनकर्ता माना जाता है, और उनकी चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति व धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

विष्णु चालीसा का पाठ किस दिन और किस समय करना सबसे शुभ माना जाता है?

विष्णु चालीसा का पाठ करने के लिए गुरुवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। सुबह के समय, स्नान आदि के पश्चात, स्वच्छ वस्त्र धारण करके, शांत मन से विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है। इससे दिन की शुभ शुरुआत होती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

विष्णु चालीसा में भगवान विष्णु के किन-किन स्वरूपों का वर्णन किया गया है?

विष्णु चालीसा में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और स्वरूपों का वर्णन किया गया है, जैसे मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि। इन अवतारों के माध्यम से भगवान ने संसार में धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश किया। चालीसा के माध्यम से इन अवतारों की महिमा का गुणगान किया जाता है, जिससे भक्तों को उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है। क्या विष्णु चालीसा का पाठ करने से ग्रह दोषों और कुंडली दोषों से मुक्ति मिल सकती है?

विष्णु चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?

ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करने से ग्रह दोषों और कुंडली में उपस्थित दोषों से मुक्ति मिल सकती है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से, जिनकी कुंडली में शनि, राहु या केतु से संबंधित दोष होते हैं, उन्हें विष्णु चालीसा का पाठ करने से लाभ मिलता है।

विष्णु चालीसा का पाठ करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?

विष्णु चालीसा का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पवित्र स्थान पर दीपक जलाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। शांत और एकाग्र मन से चालीसा का पाठ करें। यदि संभव हो, तो पीले वस्त्र पहनें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। पाठ के पश्चात भगवान को प्रसाद अर्पित करें और अंत में आरती करें।

क्या एकादशी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ विशेष फलदायी होता है?

एकादशी का दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने और विष्णु चालीसा का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए, एकादशी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

विष्णु चालीसा PDF

क्या आप भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाना चाहते हैं? यहाँ आपको श्री विष्णु चालीसा का शुद्ध और स्पष्ट पाठ मिलेगा, जिसे आप बिना किसी बाधा के पढ़ सकते हैं और आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

PDF डाउनलोड करें: ऊपर दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें और श्री विष्णु चालीसा को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करें।

पेज को बुकमार्क करें: इस पेज को सेव कर लें ताकि जब भी भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहें, आपको चालीसा तुरंत मिल जाए।

बिना किसी विज्ञापन के शुद्ध पाठ: यहाँ आपको संपूर्ण श्री विष्णु चालीसा स्पष्ट और सुव्यवस्थित रूप में मिलेगी, जिसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी।

भगवान विष्णु की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे! जय श्री हरि!

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Published by Sri Mandir·March 7, 2025

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